Boss बनना बच्चों का खेल नहीं

कहने को तो बॉस संस्थान का ऑल इन ऑल होता है पर उसके सामने भी चैलेंजेज कम नहीं होते। इस पर जब बॉस कोई लेडी हो तो चुनौतियां जस्ट डबल हो जाती हैं। सिटी में ऐसी क ई लेडी बॉस हैं जिन्होंने अनफेवरेवल कंडीशंस में भी बेहतर काम किया और वो भी अपनी टीम को साथ लेकर। तभी तो उनके इंप्लॉईज भी एक परिवार की तरह उनके साथ काम करते हैं। यही नहीं वे लेडी बॉस के साथ अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ-साथ पर्सनल लाइफ भी डिस्कस कर लेते हैं।

Take the problems as challenge

lady big boss

अनीता दिवाना पंजाब नेशनल बैंक के बरेली रीजन की असिस्टेंट जनरल मैनेजर हैं। उन्होंने 1980 में बैंक एक ट्रेनी मैनेजर के तौर पर ज्वॉइन किया था। तब से वह अपने काम को एक चैलेंज के तौर पर लेती आई हैं। उनके रीजन में छह डिस्ट्रिक्ट्स बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, पीलीभीत और लखीमपुर आते हैं। उनके अंडर में सैकड़ों हजारों इंप्लॉईज काम करते हैं। उनके एक इंप्लॉई से लेकर बॉस तक  के सफर में तमाम प्रॉब्लम्स आईं। उन्होंने इसे चैलेंज के तौर पर लिया और सक्सेज में तब्दील करती चली गईं। हालांकि वह इन सफलताओं में अपनों का बड़ा हाथ मानती हैं। इस बारे में ऑफिस के कुछ इंप्लॉईज से बात की तो उन्होंने अपनी बॉस के हेल्पिंग और केयरिंग बिहेवियर क ो उनकी स्ट्रेंथ बताया। उन्होंने यह भी कहा कि मैडम उनका कदम पर मार्गदर्शन करती रहती हैं। अनीता का कहना है कि बॉस होना आसान काम नहीं पर अगर आप अपनी टीम की प्रॉब्लम्स क ो समझते हैं, उनके  गुड वर्क को एप्रिशिएट करते हैं तो टीम भी सपोर्ट करती है। एक बॉस के लिए सबसे ज्यादा जरूरी टीम मैनेजमेंट ही है। उन्होंने इसी के बल पर चैलेंजेज को पार किया और अपने करियर में ऊपर चढ़ती गईं।

अनीता दिवाना, एजीएम, पीएनबी

Team work is important

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वंदिता श्रीवास्तव डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन में एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य कर रही हैं। उन्होंने तीन साल पहले बतौर एसडीएम मीरगंज प्रशासनिक सेवाओं में कदम रखा था। उस समय मीरगंज में बाढ़ आई थी। वहां के लोगों के राहत कार्य को मैनेज करना वह अपना एचीवमेंट मानती हैं। इसके बाद बरेली आने पर पहली बार उन्हें विधान सभा चुनाव में आरओ बनाया गया। वह सभी विधानसभा क्षेत्रों में एकमात्र महिला आरओ थीं। उनकी टीम में सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत हैं। कोर्ट में कार्यरत कर्मचारियों से जब उनके बारे में बात हुई तो सबने एक स्वर में उनकी कार्यशैली की प्रशंसा की। उनका कहना है कि मैडम के साथ काम करना उनका सबसे अच्छा एक्सपीरियंस है। वह काम के साथ-साथ सभी के लिए केयरिंग भी हैं। वह टीम पर किसी काम के लिए दबाव नहीं बनाती हैं। टीम को उसके पोटेंशियल के मुताबिक काम देना टीम लीडर की समझदारी है। वह मानती हैं कि टीम के प्रत्येक मेंबर में कोई न कोई पोटेंशियल तो जरूर होता है। अगर आप बॉस हैं तो जिम्मेदारियों पर ज्यादा ध्यान दें।

वंदिता श्रीवास्तव, एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट

My life is my achievement

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मंजू बग्गा एलआईसी में बरेली मंडल की अध्यक्ष हैं। उन्हें 1989 में डायरेक्टली असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर के तौर पर रिक्रूट किया गया था। वह एक साल पहले ही बरेली आई हैं। इससे पहले वह दिल्ली और मुम्बई में कार्यरत रही हैं। वह अपनी उम्दा कार्यशैली के आधार पर ही इस ऊंचाई तक पहुंची हैं। इस समय उनके अंडर में कई डिस्ट्रिक्ट्स के सैकड़ों इंप्लॉई काम कर रहे हैं। वह अपनी पूरी लाइफ को ही अपना अचीवमेंट मानती हैं। उन्होंने बताया कि वह जहां भी काम करती हैं, वहां अपनी पूरी टीम के साथ कोऑपरेशन और डिस्कशंस को इंपॉर्र्टेट मानती हैं। उनकी टीम में काम करने वाले डिफरेंट डिपार्टमेंट्स के हेड की मानें तो वह अपने काम को किसी पर टालती नहीं हैं और उसके प्रति हर तरह से संजीदा रहती हैं। उनका मानना है अगर बॉस टीम को पूरी तरह समझता है और प्रॉब्लम्स को सॉल्व करता है तो टीम मेंबर भी उसके प्रति पूरी ईमानदारी से काम करते हैं। इसका रिवॉर्ड बॉस के साथ-साथ पूरी टीम को मिलता है। अपने इंप्लॉईज के साथ अच्छे कोऑर्डिनेशन को वह अपनी सफलता की वजह भी मानती हैं।

मंजू बग्गा, अध्यक्ष, एलआईसी बरेली मंडल

Boss must be competent

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इंदू प्रभा सिंह बरेली जंक्शन पर जीआरपी में सीओ हैं। उनके कार्यक्षेत्र में तीन जिले बरेली, बदायूं और चंदौसी आते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही यहां ज्वॉइनिंग ली है। वह इस जॉब में तीन साल से हैं। वह अपने अधीन कर्मचारियों के साथ एक टीम बनाकर काम करती हैं। टीम मेंबर्स भी उनके साथ काफी कंफर्टेबल महसूस करते हैं। उनका मानना है आप जिस टीम के  साथ काम कर रहे हैं, उसे समझना सबसे ज्यादा जरूरी है। जब तक  आपको उनकी स्ट्रेंथ और वीकनेस पता नहीं होगी, तब तक उनसे काम नहीं लिया जा सकता है। इतना ही नहीं, अगर आपको प्रोफेशनली स्ट्रांग टीम बिल्ट करनी है तो उसके लिए जरूरी है कि टीम मेंबर्स की पर्सनल लाइफ की प्राब्लम्स को भी मानवीय आधार पर समझा जाए। अगर आप एक अच्छे बॉस बनना चाहते हैं तो कॉम्पिटेंट होना बहुत जरूरी है। कहती हैं उनके टीम मेंबर्स क ा रेस्पांस उन्हें अच्छा लगता है। यह तभी हो सकता है जब आप उनके बारे में सोचते हों।

इंदू प्रभा सिंह, सीओ, जीआरपी

Appreciation is must

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मंजरी नारायण महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की सीएमएस हैं। उनके अंडर में 100 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। हॉस्पिटल में आने वाले सैकड़ों पेशेंट्स क ो बेहतर सुविधाएं देना वह अपनी जिम्मेदारी मानती हैं। टीम को मैनेज करने के लिए वह गणेश जी को अपना आइडियल मानती हैं। उनके मुताबिक बॉस को विस्तृत सोच रखनी चाहिए और किसी फैसले पर पहुंचने से पहले उसके हर पहलू पर गौर जरूर करना चाहिए। उनके इंप्लॉईज उनके सॉफ्ट बिहेवियर से काफी खुश नजर आते हैं। उन्हें मैडम से अपनी पर्सनल लाइफ डिस्कस करने में भी प्रॉब्लम नहीं होती। वे मानते हैं कि मैडम के लिए टीम भी फैमिली ही है। मंजरी कहती हैं कि उनकी टीम का जो भी मेंबर अच्छा काम करता है, वह उसे एप्रीशिएट करना कभी नहीं भूलतीं। गलती होने पर वह उसे सुधारने का तरीका जरूर बताती हैं। इससे इंप्लॉईज में विश्वास बना रहता है और वह नेक्स्ट टाइम अपनी जिम्मेदारी और अधिक ईमानदारी से पूरी करते हैं।

मंजरी नारायण, सीएमएस

Woman of excellence

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प्रो। नीलिमा गुप्ता रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के एनिमल साइंस डिपार्टमेंट की एचओडी और डीन स्टूडेंट वेलफेयर हैं। उन्होंने अपने एकेडमिक एक्सीलेंस और सहयोगियों की मदद से न केवल डिपार्टमेंट को उंचाइयों तक पहुंचाया बल्कि यूनिवर्सिटी को वल्र्ड लेवल पर पहचान देने में अहम भूमिका निभाई। वह 1985 में यूनिवर्सिटी में एप्वॉइंट होने वाली पहली फैकल्टी मेंबर हैं। यही नहीं डीएसटी से अवार्ड होने वालीं आरयू की पहली फैकल्टी मेंबर बनीं। 1989 में सीएसआईटी की तरफ से रिसर्च फील्ड में फॉरेन (जापान) जाने वाली आरयू की पहली फैकल्टी मेंबर बनीं। अपनी प्रतिभा के बलबूते पर वे 2007-10 तक डिपार्टमेंट की डीन का पद भी बखूबी संभाल चुकी हैं। लास्ट ईयर उनके डिपार्टमेंट को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस का अवॉर्ड भी मिला। उनके और डिपार्टमेंट के रिसर्च वर्क इंटरनेशनल जर्नल्स में शामिल किए जाते हैं। उन्होंने डिपार्टमेंट में स्मार्ट क्लास की भी स्थापना की ताकि स्टूडेंट्स लेटेस्ट टॉपिक्स पर अपडेट हो सकें। डीएसडब्लू के दौरान उन्हें ब्रिटिश काउंसिल की तरफ से वहां के डिफ्रेंट यूनिवर्सिटीज का दौरा करने का भी गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने स्टूडेंट्स के वेलफेयर के लिए कई बदलाव भी किए। अपने सहयोगियों और स्टूडेंट्स के बीच कूल और मृदुभाषी के लिए जानीं जाती हैं। उनके सहयोगियों का कहना है कि वे कभी काम से पीछा नहीं छुड़ातीं। यही कारण है कि फैकल्टी में होने के बाद भी वे एफओ समेत कई एडमिनिस्ट्रेटिव पदों पर रहीं। यूनिवर्सिटी की ग्रिवांस सेल की चेयरमैन भी हैं।

प्रो। नीलिमा गुप्ता, एचओडी एनिमल साइंस व डीएसडब्लू, आरयू

Report by: Nidhi Gupta