- एचआईवी संक्रमित दंपतियों के बच्चे सौ फीसद स्वस्थ

- 2012-2020 तक कुल 259 एचआईवी संक्रमित प्रसूताओं का हो चुका है प्रसव

बरेली :कहते हैं कि सूझबूझ से बड़ी से बड़ी चुनौति को भी मात दी जा सकती है। जी हां एचआईवी का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में मौत मंडराने लगती है, तमाम प्रकार के ख्याल वैवाहिक जीवन को लेकर आते हैं तो लेकिन यहां एचआइवी संक्त्रमण होने के बाद भी दंपतियों की जिंदगी में खुशियां स्वस्थ संतान के रुप में खिलखिला रही है

259 एचआइवी संक्त्रमित प्रसूताएं दे चुकी है बच्चों को जन्म

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मौजूद एआरटी यानि एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी सेंटर में कुल 3592 एचआइवी संक्रमित पंजीकृत है। जिसमें से पुरुषों की संख्या ज्यादा है। सेंटर के आंकड़ो के अनुसार 2012 से 2020 तक कुल 259 एचआइवी संक्त्रमित महिलाओं ने नवजातों को जन्म दिया है। नवजात के 18 माह पूरे होने के बाद संक्त्रमण की जांच करने पर इनमें से किसी भी बच्चें में एचआइवी संक्त्रमण की पुष्टि नही हुई है।

पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइल एक्सेस थैरेपी से होता है इलाज

एचआइवी संक्त्रमित महिलओं का एआरटी सेंटरों पर रुटिन इलाज होता है। गर्भवती होने पर संक्रमित महिलाओं पर अत्यधिक ध्यान रखा जाता है। प्रसव के बाद नवजात की पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइल एक्सेस थैरेपी शुरू कर दी जाती है। इस थैरेपी के अंतर्गत उन्हें नेवरपिन दवा सिरप के रुप में नियमित तौर पर दी जाती है। 18 माह तक नियमित तौर पर दवा देने के बाद बच्चें की एचआइवी जांच की जाती है।

फैक्ट फाइल

जिलें में कुल पंजीकृत एचआइवी संक्त्रमित । 3592

कुल संक्त्रमित पुरुष । 2299

कुल संक्त्रमित महिलाएं । 1115

कुल संक्त्रमित बच्चें । 98

कुल संक्त्रमित बच्चियां । 60

पिछले छह माह में नए केस । 228

वर्जन

मंडल में अब तक किसी भी एचआइवी संक्त्रमित दंपतियों के बच्चों में वायरस की पुष्टि नहीं हुई है। वर्तमान में नवजातों को नियमित रुप से दवा दी जा रही है। आगे भी अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है।

डॉ। संजीव मिश्रा, चिकित्सा अधिकारी

एआरटी सेंटर।