-मोबाइल व अन्य सामान खोने की ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए फरवरी में लांच किया गया था एप

-पब्लिक को सुविधा देने और थानों की मुंशियों का खेल रोकने की थी तैयारी

BAREILLY: गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए लागू 'लॉस्ट आर्टिकल रिपोर्ट एप' का हाईटेक सिस्टम तीन माह बाद भी पॉपुलर नहीं हो सका। लिहाजा, थानों में खोए सामान की अप्लीकेशन पर मुहर लगाने के नाम पर पुलिसकर्मी चांदी काट रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस महकमा इस सिस्टम को पॉपुलर भी नहीं होने देना चाह रहा है। हैरत की बात तो यह है कि पब्लिक ही नहीं थानों में तैनात तमाम पुलिसकर्मी भी एप से अंजान हैं।

मेल पर आ जाती है रिपोर्ट

पुलिसकर्मियों के इसी खेल को रोकने और पब्लिक को घर बैठे सुविधा देने के लिए सीएम के निर्देश पर यूपी पुलिस ने मोबाइल एप लांच किया था। इस एप को लॉस्ट आर्टिकल रिपोर्ट नाम दिया गया। इसे स्मार्टफोन के अलावा डेस्कटॉप से भी यूज किया जा सकता है। इस एप पर कोई भी अपने डिस्ट्रिक्ट का थाना चुनकर रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। उसे मेल पर एक रिपोर्ट की कापी मिलेगी। इस कापी को वह अपने काम में यूज कर सकता है। इस कापी का रिकॉर्ड भी स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में दर्ज किया जाता है।

कई तरह के बताते हैं कानून

अक्सर किसी का मोबाइल तो किसी का लैपटॉप, तो किसी का कोई डॉक्यूमेंट खो जाता है। मोबाइल खोने पर दूसरा सिम इश्यू कराने और डॉक्यूमेंट खोने पर दोबारा इन्हें बनवाने के लिए पुलिस में इसकी रिपोर्ट दर्ज करानी जरूरी होती है। इन सबके लिए पब्लिक अपने एरिया के पुलिस स्टेशन का रुख करती है। वह जैसे ही थाने में मौजूद मुंशी को अप्लीकेशन देता है तो मोहर लगाने के नाम पर सुविधा शुल्क के रूप में भ्0 से क्00 रुपए तक मांगे जाते हैं। यदि कोई रुपए देने से इनकार करता है तो उसे एफिडेविट लगाने सहित कई कानूनी बातें पढ़ाई जाती हैं, जिससे मजबूरी में पब्लिक सुविधा शुल्क देकर अपना काम करा लेती है। अपनी जरूरत के चलते पब्लिक इसकी शिकायत भी नहीं करती है।

नहीं जानते हैं एप के बारे में

पब्लिक के अलावा ज्यादातर पुलिसकर्मी भी इस एप के बारे में नहीं जानते हैं। इसकी वजह एप को लांच कर देने के बाद इसका प्रचार प्रसार नहीं करना है। जिलों की पुलिस को इसका प्रचार करना था जिससे लोग ज्यादा से ज्यादा इसका यूज कर सकें।

पुलिस ने भी कहा नहीं जानते

जब इस एप के बारे में पुलिसकर्मियों से पूछा गया तो ज्यादातर का जवाब बस एक ही था कि वे नहीं जानते कि एप लांच हुआ है। एसआई जेपी यादव से जब सामान खोने के एप के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें नहीं पता कि इस तरह का कोई एप भी लांच हुआ है। इसी तरह से हेड कांस्टेबल राजकिशोर ने भी इस तरह के एप लांच होने की जानकारी से इनकार किया। हेड कांस्टेबल अशोक कुमार सिंह ने तो साफ कह दिया ऐसा कोई एप लांच ही नहीं हुआ है।