- केंद्रीय टीम ने ऑनलाइन कृषि उत्पादों को बेचने की दी जानकारी

- ऑनलाइन विक्रय के लिए कृषि मंडी से बनाया लाइसेंस ही होगा मान्य

BAREILLY:

कृषि उत्पादन मंडी समिति के राष्ट्रीय कृषि बाजार में शामिल होते ही यहां की हकीकत परखने के लिए पहुंची केंद्रीय टीम ने रिपोर्ट तैयार की। थर्सडे की सुबह टीम ने ऑनलाइन टेंडरिंग प्रक्रिया देखी। ऑनलाइन धान बिकवाया, जिसमें त्रिशूल एयरबेस के पास निवासी बाबू खां का धान जैसे ही मंडी पहुंचा तो टीम ने उसकी ग्रेडिंग कराई और ऑनलाइन गुणवत्ता डाली। धान तयशुदा रेट 1510 रुपए से बढ़कर 1690 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदा गया।

मिट्टी जांच को परखी लैब

मिनिस्ट्री ऑफ पॉवर के डायरेक्टर इरफान अहमद और कृषि मंत्रालय के सचिव डॉ। बनर्जी मंडी समिति पहुंचे। मृदा परीक्षण लैब में पाया कि मिट्टी के नमूनों की जांच हो रही है। किसानों को मिट्टी की बीमारियों के बारे में किताबें दी। फिर कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे। यहां वैज्ञानिकों से भौगोलिक खेती के प्रकार, बाधाओं को जाना। फिर टीम साथ डीएम सुरेंद्र सिंह, डीडी शिवपूजन यादव, मंडी समिति सचिव संतोष यादव फरीदपुर के गांव सरसपुर पहुंचे। शाम को टीम दिल्ली रवाना हो गई। जो निरीक्षण की रिपोर्ट प्रधानमंत्री द्वारा बनाई गई कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

विक्रय का ऑनलाइन तरीका

मंडी समिति के इंस्पेक्टर माल की ग्रेडिंग करेंगे और ग्रेड ए, बी व सी में बांटकर उसको ऑनलाइन नेट पर डाल देंगे। जिस व्यापारी को खरीदारी करनी है वह ऑनलाइन गुणवत्ता चेक करेगा और ऑनलाइन ही उसका दाम लगाएगा। हर दिन दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक ऑनलाइन मार्केट ओपन होता है। सबसे अधिक बोली लगाने वाले व्यापारी को माल बेचा जाता है और उसका मूल्य किसान के खाते में तुरंत आ जाता है। बिचौलियों का झंझट इसमें नहीं रहेगा। न ही कमीशन का खेल होगा। भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। साथ ही दूर-दराज की मंडियों में माल नहीं ले जाना होगा। कृषि उत्पादन मंडी से बना लाइसेंस पूरे देश में मान्य होगा। लाइसेंस का यूजर आईडी व पासवर्ड देना होगा।

योजना का उद्देश्य

पिछले साल अप्रैल के मध्य में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय कृषि मंडी योजना का उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय मंडी का निर्माण करना था। ताकि मौजूदा कृषि उपज बाजार समिति की मंडियों के नेटवर्क के लिए एकीकृत अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल डिजाइन हो सके। सबसे पहले राष्ट्रीय कृषि मंडी का प्रस्ताव 2014-15 के केंद्रीय बजट में हुआ था। सबसे पहले प्रायोगिक चरण में 8 राज्यों में फैली 21 मंडियों और 11 कृषि उत्पादन को शामिल किया गया था। राष्ट्रीय कृषि बाजार से अब तक बरेली के 50 हजार किसानों को जोड़ा गया है।

अब होंगे यह काम

- कृषि बाजार मंडी का पोर्टल अंग्रेजी में लांच हुआ है। किसान उसे पूरी तरह नहीं पढ़ पाते। इसलिए उसे हिंदी में किया जाएगा।

- राष्ट्रीय कृषि मंडी बरेली से स्थानीय मंडियों को जोड़ने की तैयारी होगी। ताकि किसान यहां तक न आ पाएं। उन्हें क्षेत्र में ही उचित मूल्य फसल का मिल जाए।

- हर फसल का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार की ओर से तय किया जाए ताकि उन्हें लाभ का पता चल सके।

राष्ट्रीय कृषि बाजार में शामिल बरेली की मंडी के निरीक्षण को टीम आई थी। तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर बरेली कृषि मंडी की ग्रेडिंग होगी।

सुरेंद्र सिंह, डीएम