i reality check

-बिना बुक्स के हो रही है इंग्लिश मीडियम 'मॉडल' स्कूलों में पढ़ाई, समय से पहले छुट्टी कर देते हैं टीचर्स

फैक्ट्स एंड फिगर

92 मॉडल स्कूल जिले में हैं

10 मॉडल स्कूल क्यारा ब्लॉक में हैं

04 सहायक अध्यापक और एक हेडमास्टर की पोस्ट है हर स्कूल में

rajnesh.saxena@inext.co.in

BAREILLY: शिक्षा विभाग स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। विभाग ने हर ब्लॉक में मॉडल स्कूल बना दिए। लेकिन उनमें न तो पढ़ाई ढंग से हो रही है और न ही सुविधाएं ही मिल रही हैं। वहीं टीचर्स का आलम यह है कि उन्हें स्टूडेंट्स को पूरा समय पढ़ाने में भी दिक्कत होने लगती है। समय से पहले ही स्कूलों की छुट्टी कर दी जाती है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में इसकी सच्चाई कुछ यूं सामने आई

समय से पहले ही कर देते हैं छुट्टी

शुक्रवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम करगैना के एक मॉडल स्कूल में 12:25 बजे पहुंची। उस समय स्कूल में एक भी बच्चा नहीं था। सभी टीचर्स स्कूल के स्टाफ रूम बैठी हुई थीं। जब उनसे पूछा कि मैडम क्या स्कूल की छुट्टी हो गई तो उनका जवाब था हां, स्कूल की छुट्टी तो इस समय तक हो जाती है। जबकि सच्चाई यह है कि स्कूल एक बजे तक चलाए जाने का स्पष्ट निर्देश है।

न पढ़ने को किताबें, न बैठने को बेंच

आलम यह है कि शिक्षा विभाग ने स्कूलों को मॉडल स्कूल का नाम तो दे दिया, लेकिन यह मॉडल स्कूल के नाम पर मजाक सरीखा लगता है। वजह, यहां पर बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं है। अगले महीने से बच्चों की परीक्षा शुरू हो जाएगी और अभी तक ना तो बच्चों के पास बुक्स हैं और ना ही उनके बैठने को बेंच। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी और वो एग्जाम में क्या लिखेंगे, यह सोचने की बात है।

किचन में बैठकर पढ़ते हैं बच्चे

हाल इतना बुरा है कि बच्चे किचन में बैठकर पढ़ाई करते हैं। स्कूल की प्रिंसिपल चेतना ने बताया कि अगर बच्चे ज्यादा आ जाते हैं तो उन्हें बैठाने तक की जगह नहीं है। मजबूरी में किचन में बैठाकर पढ़ाया जाता है। उन्होंने बताया कि स्कूल में केवल दो रूम ही हैं, उनमें बच्चे एडजस्ट नहीं हो पाते।

पानी की भी नहीं है व्यवस्था

नए बने मॉडल स्कूल में कोई भी सुविधा नही है। न तो बच्चों के लिए पीने का पानी है और न टॉयलेट में पानी है। स्कूल के बाहर लगा हैंडपम्प भी कई महीनों से खराब है। इन सब बातों ने मॉडल स्कूलों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

बॉक्स

ऐसा हो तो कहेंगे मॉडल स्कूल

-बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शुद्ध पेयजल

-सुरक्षा के लिए विद्यालय परिसर में चारों ओर बाउंड्रीवाल

-छात्र संख्या के सापेक्ष अध्यापकों, फर्नीचर व कक्षाओं की संख्या

-चाइल्ड फ्रेंडली शौचालय

-फर्श पर टाइल्स, परिसर में इंटरलॉकिंग, रंगाई-पुताई, चित्रण, लेखन आदि कार्य

वर्जन आएगा