राह चलते सामान लूटना, बच्चों के लिए बने खतरा, परेशान पब्लिक

घरों की छत पर जाना हुआ दूभर, घर के अंदर से ले जाते हैं सामान

BAREILLY: इस गर्मी बिजली कटौती और पानी की किल्लत ही शहर की जनता को हलकान करने वाली वजह नहीं हैं। पब्लिक को काफी हद तक प्रभावित करने वाले कारणों में बंदरों का उत्पात भी अपनी जगह बना चुका है। शहर का लगभग 40 फीसदी एरिया और करीब 45 फीसदी आबादी बंदरों के डर और परेशानी से जूझ रही है। बंदरों का उत्पात इस कदर लोगों की आम जिंदगी पर हावी हो गया है कि उन्हें चोर उचक्कों से ज्यादा बंदरों के घर में सेंध लगाने का डर है। घरों में घुसकर बेखौफ सामान उठा ले जाना, छत पर रखे कपड़े फाड़ देना और बच्चों व महिलाओं पर अक्सर हमला कर देना बंदरों कर बिगड़ी हरकतों की आम निशानी है।

फ्रिज खोल ले जाते हैं सामान

बिहारीपुर ढाल, सुभाषनगर, मढ़ीनाथ, गंगापुर, माधोबाड़ी, गुलाबनगर समेत पुराना शहर में बंदरों का आतंक पिछले 6 महीनों में काफी बढ़ गया है। इन एरियाज में बंदरों की हिमाकत इतनी बढ़ गई है कि वे बेखौफ दिन दहाड़े घर के अंदर घुसकर फ्रिज खोलकर खाने का सामान तक ले जाते हैं। वहीं किचेन से आटा दाल और सब्जियां भी उठा ले जाते हैं। लोगों ने इस डर से घरों के दरवाजे बंद करने के साथ ही फ्रिज लॉक करना भी शुरू कर दिया है।

छत पर जाने से परहेज

घरों की छत, मुंडेर और आंगन में बंदरों की सबसे ज्यादा चहल पहल रहती है। सुबह व शाम को बंदरों की एक्टिविटी तेज हो जाती है। अक्सर छत पर बैठे बंदर बच्चों के आते ही उन पर झपटने को तैयार रहते है। इससे बच्चों को उनके मां बाप अकेले जाने नहीं दे रहे। यह कहना है बिहारीपुर ढाल में जनरल स्टोर चलाने वाले शकील का। शकील बताते हैं कि घर की छत पर कपड़े सुखाना भी अब महफूज न रहा। बंदर प सिर्फ कपड़े उठाकर ले जाते हैं। बल्कि बटन तोड़ कर कई बार कपड़े फाड़ भी देते हैं।

गलियों में लूट रहे सामान

बिहारीपुर ढाल से गुजरना यहां के बाशिंदों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। एरिया की तंग गली से गुजरने वाले राहगीरों के सामान बंदर जब तब झपट्टा मारकर छीन लेते हैं। बात सुनने पढ़ने में मजेदार लग सकती है, पर यह सच है और कई मामलों में खतरनाक भी। गली से गुजरने वाले लोगों के हाथ में फल-सब्जी की थैली या खाने का अन्य पैकेट व सामान देख बंदर तेजी से झपटते हैं। कई बार इससे तंग गली में एक्सीडेंट होने के आसार बन जाते हैं। वहीं छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक को कई बार बंदरों की इस हरकत से चोट या खरोंच आ जाती है।

नहीं आया निगम का दस्ता

बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम का कोई दस्ता बिहारीपुर ढाल व इससे जुड़े अन्य एरियाज भी नहीं आया। यह कंप्लेन एरिया के लगभग सभी लोगों की रही। बंदरों के बढ़ते आतंक के पीछे यहां रहने वाले लोग अपनों को भी जिम्मेदार मानते हैं। दरअसल कई बार लोग खराब फल, सब्जी या रोटी घर के आंगन या छत पर बंदरों के लिए डाल देते हैं। इसी के चलते बंदर धीरे धीरे घरों की छत व दालान से होते हुए घर के अंदर तक अपनी घुसपैठ बना चुके हैं। बंदरों के खिलाफ कार्रवाई करने से लोग भी बचते हैं, जिससे इनकी आबादी व आतंक में बढ़ोतरी होती जा रही।

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बंदर लोगों का थैला-सामान छीनकर भाग जाते हैं। पिछले 6 महीनों से बड़ी समस्या है। बंदर घर में घुस जाते हैं। घर का सामान उथल पुथल कर देते हैं। सब्जी-फल व अनाज सब खराब कर देते हैं।

- निसार अहमद

अगर घर का गेट या दरवाजा भूल से खुला रह गया तो बंदर अंदर आकर सब बर्बाद कर देते है। किचन में रखा सामान बर्बाद कर देते हैं। फ्रिज खोलकर अंदर रखी खाने की चीजें तक ले जाते हैं।

- अब्दुल सलीम खान

राह चलते लोगों के लिए भी बंदर परेशानी बन रहे। झपट्टा मारकर लोगों का सामान लूट लेते हैं। इस चक्कर में कई बार लोगों को चोट आने का खतरा रहता है। इन्हें पकड़ने निगम की कोई टीम नहीं आती।

- मो। सलीम

घर के दरवाजे बंद कर ही रखते हैं। भूल से खुला रह जाए तो समझो मुसीबत। छत पर कपड़े सुखाओ तो उठाकर ले जाते हैं। दुकान पर हमेशा नजर रखनी होती है। फल वालों के फल उठा कर ले जाते हैं।

- उमा अग्रवाल