-फॉरेस्ट की रेस्क्यू टीम को तीन दिन लगे उत्पाती बंदरों को रेस्क्यू करने में

-बंदरों को रेस्क्यू करने में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम ने कड़ी मशक्कत की

देहरादून, बंदर दून के अलावा आसपास के एरियाज में बिग चैलेंज बने हुए हैं। स्थिति ये है कि राजभवन, सीएम आवास से लेकर तमाम इलाकों में बंदरों से आम क्या, वीआईपी तक परेशान हैं। अब बंदरों का आतंक जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक जा पहुंचा। मंडे को अचानक एयरपोर्ट की मेन बिल्डिंग की छत पर दो बंदर चढ़ गए। जब इन उत्पाती बंदरों ने वहां से हटने का नाम नहीं लिया तो फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की दो टीमों को तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू किया और अब जाकर वेडनसडे को उन्हें जंगल में छोड़ा जा सका।

दो दिनों तक छत पर

मंडे को अचानक दो बंदर सारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर एयरपोर्ट पहुंच गए। बंदर एयरपोर्ट की मेन बिल्डिंग की छत पर पहुंच कर वहीं अड़ गए। उन्हें हटाने के लिए तमाम कोशिशें की गई, लेकिन वे वहां से नहीं भागे। इसके बाद एयरपोर्ट प्रशासन ने फॉरेस्ट मुख्यालय को इनकी सूचना दी। मंडे को इन बंदरों को रेस्क्यू करने के लिए फॉरेस्ट हेड क्वार्टर की टीम पहुंची। टीम ने उन्हें वहां से भगाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। बंदर दिन-रात छात पर ही डटे रहे। फॉरेस्ट हेडक्टर्वाटर की टीम के साथ थानों रेंज की टीम ने भी ट्यूजडे को मोर्चा संभाला। इसके बावजूद बंदर टस से मस नहीं हुए।

थानों के जंगलों में छोड़ा

बंदरों को एयरपोर्ट की छत से हटाने की तमाम रणनीतियां फेल होते देख आखिरकार पिंचरे का सहारा लिया गया। दो पिंजरे लगाए गए। पिंजरे लगाने के एक दिन और एक रात बीत जाने के बाद बंदर पिंचरे में फंस पाए। लेकिन बंदरों को पिंजरे में फंसाने के लिए टीम को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। महंगी से महंगी खातिरदारी करनी पड़ी। केले, ब्रेड, बिस्कुट जैसी खाद्य सामग्रियां उनके लिए पिंजरे में परोसनी पड़ी। तब जाकर बंदर पिंजरे में कैद हो पाए। वेडनसडे को दोपहर बाद इन बंदरों को थानों रेंज के जंगलों में छोड़ना पड़ा।

एयरपोर्ट में अलर्ट

जौलीग्रांट एयरपोर्ट प्रशासन ने अब ऐसे वाइल्ड एनिमल्स के एयरपोर्ट में घुसने को लेकर अलर्ट कर दिया है। दुबारा ऐसे एनिमल्स की पुनरावृत्ति न हो पाए, इसके लिए सबको चौकन्ना कर दिया गया है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट के डायरेक्टर डीके गौतम ने बताया कि बंदरों को रेस्क्यू करने के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के कार्मिकों ने मदद की। जिन्हें रेस्क्यू के बाद जंगल में छोड़ दिया गया है।