बरेली(ब्यूरो)। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के 7.50 लाख से अधिक लाभार्थियों को अब रोटी ज्यादा चावल कम खाने की की अपनी आदत में थोड़ा बदलाव लाना होगा। उन्हें जून से रोटी कम तो चावल ज्यादा खाने की आदत डालनी ही होगी। यह इसलिए कि जून से राशन कार्ड में प्रति यूनिट बंटने वाले गेहूं में एक किलो की कटौती तो चावल में एक किलो की बढ़ोत्तरी होने जा रही है। इतना ही नहीं कोरोना काल से अब प्रधानमंत्री की ओर से बांटी जा रही मुफ्त राशन की सौगात में भी उन्हें सिर्फ चावल ही प्राप्त होगा।

चावल से 34 हजार क्विंटल अधिक बंटता था गेहूं
रकारी कोटे की दुकानों से बंटने वाले राशन में अभी तक प्रति यूनिट तीन किलो गेहू और दो किलो चावल बंटने का प्रावधान था। वितरण की इस प्रणाली के तहत जिले में 5,61,712 राशन कार्ड धारकों को प्रति महीने कुल 1,83,603.500 क्विंटल राशन वितरण होता था। इसमें गेहू की मात्रा 1,09,165.230 क्विंटल तो चावल की मात्रा 74,438.270 क्विंटल रहती थी। इस तरह हर महीने बंटने वाले कुल राशन में गेहूं की अपेक्षा चावल की मात्रा 34,727 क्विंटल अधिक रहती थी। गेहूं की कमी को मद्देनजर रखते हुए पीडीएस में किए गए बदलाव से जिले में पहले से करीब 50,000 क्विंटल अधिक चावल बंटने का अनुमान है।

अंत्योदय कार्ड धारकों को भी चावल अधिक
पीडीएस में सामान्य राशन कार्ड धारकों के साथ ही अंत्योदय कार्ड धारकों का भी मानक भी बदला गया है। अंत्योदय कार्ड धारकों को अभी तक हर कार्ड पर मिलने वाले 35 किलो राशन में 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल रहता था, पर अब यह मात्रा बदलकर 21 किलो चावल और 14 किलो गेहूं कर दिया गया है।

गेहूं पाने की चाहत अधिक
कोरोना काल से पीडीएस के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा। इसके बाद से राशन कार्ड की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई और हर महीने बटने वाले राशन की मात्रा में भी। जब से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना लागू हुई तब से सभी कार्ड धारकों को हर महीने दो बार मुफ्त राशन की सौगात मिलने लगी। इससे कार्ड धारकों को भरपूर राशन मिलने लगा। इसमें भी कार्डधारकों की चाहत चावल से अधिक गेहूं पाने की रहती थी।

चावल बचने से कोटेदारों की भी चांदी
राशन की दुकानों से बंटने वाले राशन में चावल मोटे किस्म का होता है। इससे खासकर शहरी राशन कार्ड धारक चावल के बदले गेहूं पाने की चाहत रखते थे। इनमें से भी हजारों कार्ड धारक ऐसे थे जो चावल के बदले गेहूं नहीं मिलने पर मात्र गेहूं से ही संतोष कर लेते थे। ऐसे में कोटेदारों के पास चावल का स्टाक बच जाता था। इससे उन्हें भी अच्छा फायदा होता था। अब पीडीएस के मानकों में होने वाले बदलाव से उन्हें कितना फायदा या नुकसान होगा, यह जून के बाद ही पता चलेगा।

फैक्ट फाइल
5,61,712 - कुल ग्रामीण राशन कार्ड धारक

2,27,115 - शहरी राशन कार्ड धारक

1,83,603 - क्विंटल राशन का हर महीने होता था वितरण

1,09,165 -क्विंटल बंटता था गेहूं

74,438 - क्विंटल बंटता था चावल

02 - किलो प्रति यूनिट अब मिलेगा गेहूं

03 - किलो प्रति यूनिट मिलेगा चावल