BAREILLY:

कागजों में ड्राइविंग की ट्रेनिंग देकर सर्टिफिकेट देने वाले मोटर ट्रेनिंग स्कूल पर परिवहन विभाग के हुक्मरान की नजर टेढ़ी हो गई है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पी गुरुप्रसाद ने प्रदेश के सभी मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही, उनकी डिटेल तलब की है। जांच में दोषी पाए जाने वाले मोटर ट्रेनिंग स्कूलों को बंद किया जाएगा।

 

सुविधाओं का है अभाव

मोटर ट्रेनिंग स्कूलों के खिलाफ प्रदेश भर से परिवहन आयुक्त तक शिकायत पहुंच रही थी। ज्यादातर मोटर ट्रेनिंग स्कूल रुपए लेकर कागजों में ट्रेनिंग देते हैं। क्योंकि, इनके पास ट्रेनिंग के लिए जो वाहन हैं, वह खटारा हैं और खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं, तो ऑटोपा‌र्ट्स की जानकारी के लिए प्रैक्टिकल रूम भी नहीं है। इसके अलावा मोटर ट्रेनिंग स्कूल में तमाम बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

 

 

फीस भी ली जाती है मनमाना

पीलीभीत रोड स्थित मारुति ट्रेनिंग स्कूल का काफी बुरा हाल देखने को मिला। यहां पर हैवी वाहन चलाना सिखाने के लिए एक ट्रक हैं, लेकिन शायद ही, यह कभी रोड पर जाती है। जिस जगह ट्रक खड़ा पड़ा हुआ है चारों तरफ घास के जंगल हैं। वहीं एक ऑफिस है, जो मानक से काफी छोटा है। रीना मोटर ट्रेनिंग स्कूल में मात्र 10 दिन में ही ड्राइविंग में एक्सपर्ट बनाने का दावा किया जाता है। कुछ ऐसा ही हाल बाकी मोटर ट्रेनिंग स्कूल का भी है। ट्रेनिंग के नाम पर 2500 से 3000 रुपए महीना लिए जाते हैं।

 

यह हैं सेंटर

कपिशा मोटर ट्रेनिंग सेंटर, भारत मोटर ट्रेनिंग सेंटर, रीना मोटर ड्राइविंग, सपना मोटर ड्राइविंग सेंटर, पूजा मोटर ड्राइविंग सेंटर, संस्कार मोटर ट्रेनिंग, स्टार मोटर ट्रेनिंग राज मोटर ट्रेनिंग स्कूल, आरके मोटर ट्रेनिंग कॉलेज और मारूति ट्रेनिंग सेंटर।

 

ये हैं ट्रेनिंग सेंटर के मानक

- ट्रेनिंग देने वाला ड्राइवर आईटीआई पास, ऑटोमोबाइल या डिप्लोमा मैकेनिकल ऑटोमोबाइल किए हुए हो।

- उसका कॉमर्शियल हैवी लाइसेंस कम से कम पांच साल पुराना हो।

- ट्रेनिंग स्कूल के लिए एक कार्यालय हो उसके बराबर में दो ओर कमरे होने चाहिए। जिसमें पुरानी गाडि़यों के पार्ट रखे हों ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले को पार्ट के बारे में भी समझाया जा सके।

- गाड़ी के आगे और पीछे बड़ा एल का निशान लगा हो।

 

परिवहन आयुक्त ने मोटर ट्रेनिंग स्कूल्स की डिटेल मांगी है। जिसकी जांच प्रक्रिया जल्द पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन