सिटी स्टेशन के पास पकड़े गए

पुलिस के मुताबिक, सूचना मिली थी कि जगतपाल और उसके गनर रवींद्र कुमार मिश्रा उर्फ पंडित पौनिया के हत्यारोपी सिटी स्टेशन पर आने वाले हैं। वे मझौला, उत्तराखंड में अपने रिश्तेदार के घर जाने वाले थे। पुलिस ने सिटी स्टेशन की घेराबंदी कर पूर्वी गेट के पास से आरोपी संजीव, उसके भाई राजीव, साले ध्रुव पटेल, अतुल उर्फ गुड्डा और दोस्त अंकुश को अरेस्ट कर लिया।

नया सिम व मोबाइल खरीदा

संजीव ने पुलिस को बताया कि जेल से छूटने के बाद जगतपाल उसकी हत्या करने की प्लानिंग कर रहा था। कोर्ट से 302 का नोटिस आया था, जिसमें उसकी गवाही होनी थी। जगतपाल को लगा कि वह फिर जेल चला जाएगा, इसके लिए उसने संजीव की रायफल का लाइसेंस निरस्त कराने का प्रयास किया। इस पर उसने जगतपाल को ही रास्ते से हटाने की प्लानिंग कर डाली। पहले उसने अपनी लाइसेंसी रायफल निर्मल गन हाउस में जमा करा दी, फिर नए मोबाइल और सिम खरीदे।

तीन दिन पहले सब सेट

24 सितंबर को घटना को अंजाम देने की पुख्ता प्लानिंग तीन दिन पहले की गई। संजीव ने बताया कि उसे जगतपाल के आने-जाने का शेड्यूल पता था। उसकी गाड़ी दुकान से ही दिख जाती थी। इसलिए पहले से ही घरवालों और मेन रिश्तेदारों को बता दिया गया था। घटना वाले दिन जैसे ही जगतपाल की गाड़ी आई, तो राजीव ने कार के आगे कार लगा दी। कार रोकते ही ड्राइवर वीरपाल गेट खोलकर वहां से भाग गया।

फर्ज निभाने में गनर की मौत

संजीव ने बताया कि उसने गनर को भागने के लिए कहा था। फिर भी उसने बंदूक निकालकर उस पर चला दी। हालांकि फायर मिस हो गया। फिर संजीव ने पहले गनर को गोली मारी और सभी ने गाड़ी पर हमला बोल दिया। इसके बाद जगतपाल पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और गाड़ी में ही तमंचे फेंक कर भाग गए। आरोपियों व पुलिस की मानें तो सब के पास अवैध हथियार थे। पब्लिक और ड्राइवर जिसे रायफल बता रहे थे, वह अवैध थी।

डेली बदलते रहे ठिकाना

मर्डर करने के बाद सभी तीन बाइक पर बैठकर भाग गए। वे बीसलपुर रोड स्थित सिंघाई गांव पहुंचे, लेकिन वहां जगतपाल के रिश्तेदार लाल बहादुर से उनकी बाइक की टक्कर हो गई और उनकी बाइक वहीं गिर गई। यहां से विपिन अपनी बाइक पर अलग चला गया और पांच लोग अलग पैदल भाग गए। वे पैदल रिठौरा पहुंचे और मैजिक में बैठकर नवाबगंज पहुंचे। फिर टनकपुर चले गए। वहां एक दिन रुकने के बाद वो हरिद्वार में हरि की पैड़ी में रहे। ऋषिकेश, देहरादून, पीलीभीत होते हुए फिर बदायूं पहुंच गए। बदायूं से ट्यूजडे को गाड़ी व रुपयों की व्यवस्था कर अपने रिश्तेदार के घर मझौला जाने वाले थे।

बंद कर दिए थे मोबाइल

सभी आरोपियों ने घटना वाले दिन 2 बजे ही अपने मोबाइल बंद कर दिए थे। जो नए सिम व मोबाइल संजीव ने खरीदे थे, उन्हें मर्डर के अगले दिन बंद कर दिया। पुलिस जांच में आया कि सिम फेक आईडी पर लिया गया था। उसमें नाम तो संजीव का था, लेकिन फोटो किसी वर्दी पहने पुलिसकर्मी का लगा था। आईडी किसी पुलिसकर्मी की ही है। यह आरोपियों के पास कैसे पहुंची, इसका पुलिस पता लगा रही है।

नहीं बचा था कोई चारा

डबल मर्डर के खुलासे के लिए पुलिस की टीमें लगी हुई थीं, वहीं आरोपी भी पूरी प्लानिंग के तहत सारा काम कर रहे थे। उन्होंने कोर्ट में सरेंडर की प्लानिंग कर ली थी, लेकिन अर्जी खारिज होने पर उनके पास कोई चारा नहीं बचा था। पुलिस पर भी आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रेशर था। पुलिस सोर्सेज की मानें तो सभी किसी बड़े नेता की शरण में थे और पूरी प्लानिंग के तहत उन्हें पुलिस के सामने पेश किया गया। अब पुलिस उन पर गैंगस्टर और एनएसए लगाने की तैयारी में है।