सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की एजेंसी का 8 साल पुराना करार किया रद

प्लांट छोड़कर भागी एजेंसी ने नहीं दिया था निगम को कई नोटिस का जवाब

BAREILLY:

पिछले दो साल से बंद पड़े नगर निगम के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट पर 40 करोड़ से ज्यादा सरकारी धन बर्बाद हो गया है। जनता की गाढ़ी कमाई के मिले टैक्स से बर्बाद हुए 40 करोड़ रुपए के लिए प्लांट का जिम्मा देख रही एजेंसी को ही निगम ने जिम्मेदार ठहराया है। रजऊ परसपुर स्थित इस प्लांट शुरू होने से ही इसका संचालन कर रही एजेंसी ने बेरुखी अपना ली थी। बार-बार भेजी गई नोटिस के बावजूद एजेंसी की ओर से जरूरी सुधार न कराने और जवाब देने में कोताही करने पर नगर निगम ने एजेंसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। निगम की ओर से एजेंसी का 8 साल से ज्यादा पुराना करार खत्म कर दिया गया है।

बर्ड-हिट का खतरा बरकरार

प्लांट चलाने के लिए नगर निगम ने जून 2008 को ही दिल्ली के ग्रेटर नोएडा की एजेंसी एकेसी प्राइवेट लिमिटेड के साथ करार किया था। प्लांट के बनने के बाद मार्च 2011 को जरूरी संशोधन के बाद फिर से करार किया गया। प्लांट के निर्माण का मुख्य मकसद कुछ ही किमी। दूर स्थित त्रिशूल एयरबेस से उड़ने वाले फाइटर्स प्लेन को 'बर्ड हिट' से बचाना था। वहीं शहर से निकलने वाला 300 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा से कंपोस्ट बनाकर किसानों को खेती के लिए मुहैया कराना था। लेकिन प्लांट के बंद होने से एयरफोर्स के सामने बर्ड हिट का खतरा बना हुआ है।

नहीं कराए जरूरी सुधार

प्लांट के शुरू होते ही इंवर्टिस यूनिवर्सिटी समेत तमाम अन्य लोगों ने प्लांट में मानकों के तहत कूड़ा डिस्पोजल न करने पर आपत्ति जता दी थी। मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, एनजीटी तक पहुंचा तो कोर्ट ने प्लांट को बंद करने के आदेश जारी किए थे। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने प्लांट में ग्रीन बेल्ट डेवलेप करने और लीचेट प्लांट का निर्माण कराने के आदेश दिए थे, लेकिन एजेंसी की ओर से प्लांट में न तो ग्रीन बेल्ट डेवलेप की गई, न ही लीचेट प्लांट का निर्माण कराया गया।

मुकदमे के िलए जिम्मेदार

प्लांट बंद होने के लिए भी निगम ने एकेसी प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी को ही जिम्मेदार ठहराया है। एजेंसी को जारी किए गए लेटर में निगम ने साफ कहा है कि मैनेजमेंट ऑफ सॉलिड वेस्ट 2000 और अन्य अथॉरिटीज की गाइडलाइंस के तहत प्लांट का संचालन नहीं किया गया। वहीं एजेंसी की लापरवाही के चलते ही पड़ोसियों को प्लांट के खिलाफ मुकदमा करने का मौका मिला। साथ ही प्लांट पर चल रहे मुकदमे की पैरवी में भी एजेंसी की ओर से कभी कोई दिलचस्पी नहीं ली गई।

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कब-कब दी एजेंसी को नोटिस

28 मार्च 2014 को

4 अप्रैल 2014 को

16 जून 2014 को

3 फरवरी 2015 को

12 फरवरी 2015 को

31 दिसंबर 2015 को

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प्लांट पर एजेंसी के चलते निगम को नुकसान

10 लाख, करार के तहत हुए नुकसान पर

28 लाख रुपए बिजली के बिल पर

2.75 करोड़ रुपए 3.24 लाख मीट्रिक टन कूड़े के डंपिंग कॉस्ट पर

32.40 करोड़ रुपए प्लांट के नए सेटअप पर, 1000 रुपए प्रति मीट्रिक टन से 3.24 लाख मीट्रिक टन पर

5 करोड़ रुपए लीचेट प्लांट के डेवलेपमेंट पर पूरे प्रोजेक्ट के बंद होने से

डंपिंग के चलते पर्यावरण को हुआ बड़ा नुकसान

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एजेंसी को कई बार नोटिस दी गई थी। लेकिन न तो जवाब दिया गया न ही जरूरी सुधार ही एजेंसी की ओर से कराए गए। लीगल प्रोसीजर के बाद एजेंसी का करार निगम के साथ रद कर दिया गया है।

- शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त