11वीं में आए स्टूडेंट्स पर रहेगा स्पेशल फोकस, पिछली क्लास से ज्यादा विस्तृत पाठयक्रम होने के चलते कराई जाएगी स्पेशल काउंसलिंग

50 दिन लंबे वेकेशन के बाद स्टूडेंट्स को पढ़ाई के प्रति दोबारा गंभीर बनाने के लिए स्कूलों को स्पेशल प्लान

>BAREILLY: समर वेकेशन में बेपटरी हो चुकी 'स्टूडेंट्स एक्सप्रेस' को पटरी पर लाने के लिए स्कूल्स विशेष तैयारी में जुट गए हैं। हर बार की तरह इस बार भी स्कूल्स की यह प्राथमिकता है कि वह स्टूडेंट्स को दोबारा पढ़ाई के ट्रैक पर ले आएं। स्कूल्स का मानना है कि वेकेशन के दौरान ज्यादतर स्टूडेंट्स गैर जिम्मेदार हो जाते हैं। इसके चलते वह अपनी एकाग्रता खो देते हैं। वही एकाग्रता उनको लौटने के लिए स्कूल्स पूरी तरह से तैयार हैं।

होगी स्पेशल काउंसलिंग

स्कूल्स का विशेष ध्यान 11वीं क्लास के स्टूडेंट्स पर होगा। इस क्लास के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल स्पेशल काउंसलिंग तक करा रहे हैं। टीचर्स का मानना है कि टेंथ में सीजीपीए सिस्टम लागू होने से स्टूडेंट्स हाईस्कूल में ज्यादा गंभीर होकर पढ़ाई नहीं करते हैं। ऐसे में ये स्टूडेंट जब 11वीं क्लास में आते हैं तो हमें उसे वाइड सिलेबस को पढ़ने के प्रति गंभीर बनाना पड़ता है। इसलिए उनकी काउंसलिंग जरूरी होती है।

कॉप्रिहेंसिव स्टडी पर देंगे ध्यान

एसआर इंटरनेशनल सरीखे कुछ स्कूल वेकेशन के बाद शुरू होने वाले सेशन में बच्चों को कॉप्रिहेंसिव स्टडी कराते हैं। जिसका समय कुछ स्कूलों में एक सप्ताह तो कुछ में पूरा जुलाई तय किया है। इसके पीछे का कारण एसआर इंटरनेशनल स्कूल की मैनेजिंग डायरेक्टर रुमा गुप्ता बताती हैं कि कॉप्रिहेंसिव स्टडी कराने से बच्चों में विषय के प्रति अपना नजरिया, अपने जवाब पैदा करना है। स्कूल इस स्टडी मैथड के जरिए छुट्टी के बाद अचानक पड़ने वाले सिलेबस के बोझ से बच्चों को बचाना चाहते हैं।

साइकोलॉजिकल चेंज के िलए रणनीति

स्कूलों में 5वीं, 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चों पर जुलाई में खुलने वाले स्कूल के्र समय विशेष ध्यान देने के लिए रणनीति बनाई गई है। जानकार इसके पीछे दो कारण मानते हैं, पहला कि इन क्लासेज में प्रवेश करते वक्त स्टूडेंट एक अलग स्टैंडर्ड का पाठ्यक्रम पढ़ता है। स्टूडेंट में उस सिलेबस को समझने और अच्छा परफॉर्म करने के लिए उसे पिछली क्लास से ज्यादा गंभीर होने की जरूरत होती है। इसलिए स्कूल को जुलाई के कम से कम पहले वीक में स्टूडेंट की साइकोलॉजी पर काम करना पड़ता है। इसके साथ ही इन क्लासेज पर विशेष ध्यान देने से स्कूल 8वीं, 10वंीं और 12वीं क्लास में अपना रिजल्ट अच्छा दे पाते हैं। इसलिए छुट्टियों के बाद खुलने वाले सेशन खुलने पर स्कूलों को स्टूडेंट्स पर नई स्ट्रैटिजी के साथ काम करना पड़ता है।

यूं तो पूरी साल ही हम बच्चों को पॉजिटिव और कॉफिडेंट बनाने पर काम करते हैं, लेकिन जुलाई महीने में उनकी कॉप्रिहेंसिव स्टडी कराते हैं। इससे स्टूडेंट में किताबी समझ की जगह नॉलेज इंहैस करने में मदद मिलती है।

- रूमा गुप्ता, एसआर इंटरनेशनल स्कूल

11वीं में आए स्टूडेंट्स पढ़ाई के उतनी गंभीरता नहीं दिखाते, जितने की जरूरत है। ऐसे में जुलाई से खुलने वाले स्कूल्स सेशन की शुरुआत में हमें उनकी काउंसलिंग करनी पड़ती है।

आरएन सक्सेना, बीबीएल पब्लिक स्कूल

वेकेशन के बाद प्राइमरी सेक्शन के स्टूडेंट्स पर ज्यादा फोकस करना पड़ता है, हालांकि बड़ी क्लासेस के बच्चे छुट्टियों में भी पढ़ाई को लेकर गंभीर रहते हैं। लेकिन हमें 11वीं में आए स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स की जरुर काउंसलिंग करनी पड़ती है कि वे इस सिलेबस को ज्यादा गंभीरता से लें।

- रणवीर सिंह रावत, प्रिंसिपल, सेक्रेड हार्ट्स