- एग्जिबिशन में आए बिजनेसमेन की पूर्वजों की जन्मस्थली देखने की तमन्ना

- कहा, दादा-दादी से किस्सों में सुनने को मिली इंडिया की कहानियां

BAREILLY:

इंडिया ख्वाबों में बसा है। दादा-दादी और मम्मी-पापा से इंडिया के किस्से खूब सुने हैं। तमन्ना है कि वो गांव देखूं, जहां मेरे पूर्वजों का आशियाना हुआ करता था। जज्बातों से भरे ये लफ्ज उन पाकिस्तानियों के हैं, जिनके परिजन बंटवारे के समय सरहद पार चले गए थे। जमीं तो बंट गई, लेकिन दिलों के फासले कम न हो सके । यही वजह है कि इंडिया में बीते बचपन की यादें अब किस्से बन गए हैं, जो दादी-दादा नई पीढ़ी को सुना रहे हैं। यही वजह है कि इंडो-पाक प्रदर्शनी के बहाने इंडिया आकर तमाम बिजनेसमेन घर का अहसास कर रहे हैं।

कहानियां में सुना आज करीब से जाना - इशरत

प्रदर्शनी में भाग ले रही इशरत के पूर्वज कभी जालंधर के बाशिंदें थे। देश के बंटवारे ने इनकी खुशियों को छीन लिया। इशरत बताती है कि मेरे पिता शाहदिन और मां सीरिफा जो कि क्लास फेलो थे। दादा-दादी से जालंधर और भारत के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। फिर, मेरे मम्मी-पापा ने मुझे इंडिया के बारे में कहानियों के माध्यम से बताया। मैंने इंडिया को कभी नजदीक से नहीं देखा था, लेकिन कहानियां सुनकर जेहन में इंडिया की एक प्यारी-सी तस्वीर उभर आती हैं। जब प्रदर्शनी के बहाने इंडिया आने का मौका मिला तो, मैं अपने आप को रोक नहीं सकी। ऐसा लगा कब इंडिया पहुंच जाउं। हालांकि, दादा जी के पैतृक गांव जालंधर नहीं जा सकी हूं। इसका मुझे बेहद मलाल रहेगा। मैं अपने पूर्वजों की कर्म और जन्मस्थली को देखना चाहती हूं। मौका मिला तो जालंधर जाना जरूर पसंद करूंगी।

बचपन से आ रहे हैं- शकील अहमद

पाकिस्तान के कराची में रह रहे शकील अहमद के पूर्वज कभी दिल्ली में रहते थे। बंटवारे के समय पूर्वज कराची चले गए, लेकिन वह दिल्ली को हमेशा मिस करते रहे। शकील अहमद ने बताया कि कारोबार के सिलसिले से मेरे पूर्वजों का इंडिया जाना लगा रहता था, जब मेरी

उम्र भ् साल थी तब से इंडिया आना हो रहा है। भले ही मैं यहां पैदा नहीं हुआ, लेकिन मेरे जेहन में यहां की आबोहवा बसी हुई है। अपनों से ज्यादा इज्जत इंडिया में मिलती है। यह कहते हुए वह भावुक हो गए और आंखें नम हो गई। आंसू छिपाते हुए शकील कहते हैं कि यहां के कण-कण में अपनों की यादें बसी

हुई हैं। आज हम भले ही पाकिस्तानी होकर रह गए हैं, लेकिन धड़कनें आज भी भारत के लिए धड़कती हैं।