परिजनों का आरोप बिना मंजूरी कर दिया ऑपरेशन, लापरवाही से गई जान

सदमे से बेहोश हो गए परिजन, डॉक्टर हॉस्पिटल छोड़ भागे, भारी तादाद में पुलिस पहुंची

BAREILLY:

निजी हॉस्पिटल में मरीज की मौत ने एक बार फिर मेडिकल हब बरेली में बवाल खड़ा कर दिया। शहर के नामचीन मिशन हॉस्पिटल में संडे को एक मरीज की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा कर दिया। परिजनों ने हॉस्पिटल प्रशासन पर लापरवाही बरते जाने के आरोप के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। परिजनों ने मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के बिना सामने आए डेडबॉडी को उठाने से मना कर दिया। वहीं इमरजेंसी वार्ड में धरना देकर अंदर जाने का रास्ता बंद कर दिया। बवाल बढ़ता देख कोतवाली थाना और स्टेशन चौकी की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई। करीब दो घंटे तक चले बवाल के दौरान पुलिस भी परिजनों को काबू करने में बेबस रही।

मिलिट्री हॉस्पिटल से रेफर

कैंट निवासी जगतपाल सिंह के 44 साल के रिटायर्ड फौजी बेटे मनोज कुमार सिंह को सैटरडे सुबह 9 बजे सीने में तेज दर्द होने लगा। परिजन उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। आर्मी डॉक्टर्स ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें शहर के किसी बड़े हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया। परिजनों ने मरीज को सुबह करीब 9.40 बजे मिशन हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया। परिजनों के मुताबिक डॉक्टर्स ने संडे सुबह मरीज की एंजियोग्राफी करने की बात कही थी। परिजनों के मुताबिक संडे को करीब दोपहर 12.40 बजे मरीज की एंजियोग्राफी के दौरान मौत हो गई। लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीज को वेंटीलेटर पर लिटाए रखा और मौत की जानकारी छिपाई।

बिना सहमति किया ऑपरेशन

परिजनों का आरोप है कि दोपहर 11 बजे के करीब मरीज की एंजियोग्राफी के लिए हॉस्पिटल प्रशासन ने बताया। एंजियोग्राफी के लिए मरीज की वाइफ संजू देवी से परमिशन पेपर पर साइन कराए गए। दोपहर 1 बजे के करीब जब परिजन मरीज से मिलने पहुंचे, तो शरीर में हरकत न होने पर शक हुआ। हालांकि वेंटीलेटर पर होने की वजह से सांसें चल रही थीं, लेकिन मरीज का बोलना बंद हो गया था। परिजनों का कहना है कि पड़ताल करने पर पाया कि मरीज का ऑपरेशन किया गया था, जिसके लिए परिवार से कोई परमिशन नहीं ली गई, न ही इस बारे में सूचित ि1कया गया।

डॉक्टर नहीं आए ताे जान दूंगी

मरीज के पिता ने बताया कि उन्हें अक्सर सीेने में दर्द की शिकायत रहती थी। वह मिलिट्री हॉस्पिटल से ही दवा लेकर टेंपरेरी दर्द का इलाज करा रहे थे। संडे को मरीज की मौत की खबर होते ही परिजनों के बवाल देख डॉक्टर्स भाग खड़े हुए। किसी भी वार्ड में डॉक्टर्स नजर नहीं आए। मौके पर भारी पुलिस फोर्स ने सुरक्षा के लिहाज से स्थिति को संभाला। लेकिन इमरजेंसी वार्ड के बाहर मरीज की बहन, वाइफ और मां बदहवास हो डॉक्टर्स को बुलाने की मांग करने लगी। महिला पुलिस के हटाने की कोशिश में मरीज की बहन भड़क उठी और चेतावनी दी कि यदि 15 मिनट में डॉक्टर्स नहीं आए तो वह जान दे देगी। लेकिन हंगामे के दो घंटे बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन से कोई नहीं आया।

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