- जनरेटर के इस्तेमाल से पॉल्यूशन भी बढ़ने का खतरा

<- जनरेटर के इस्तेमाल से पॉल्यूशन भी बढ़ने का खतरा

BAREILLY: BAREILLY: शहर में बिजली सप्लाई का हाल किसी से छिपा नहीं है। बिजली सप्लाई की जो स्थिति है वह अभी से ही शहरवासियों को डराने लग गई है। ख्ब् घंटे बिजली देने का दावा और वादा तो खूब किया जाता है, लेकिन शहरवासियों को गर्मी में क्0-क्ख् घंटे बिजली मिलनी भी मुश्किल हो जाती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने 'गर्मी लगी क्या' अभियान के तहत 'इमीडेयेट डिसकम्फर्ट फ्रॉम पावर फल्लेयोर' मुद्दे पर राय जानी। बिजली कटौती से किस तरह से अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ता है। इस पर शहरवासियों ने बेबाक तरीके से अपनी राय रखी।

बिजनेस होता है प्रभावित

श्यामगंज सूफीटोला में प्रोग्राम की शुरुआत सुबह क्0.फ्0 पर हुई। शाकिर यार खां नूरी ने कहा कि गर्मी के दिनों में बिजली कटौती के चलते बीमारी से जूझ रहे लोगों को काफी प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती है। इकबाल हुसैन बोले, कभी-कभी पसंदीदा प्रोग्राम के समय ही बिजली चली जाती है। इरिटेशन होती है। निशाद अहमद अंसारी और सरदार खान ने बताया कि सबसे अधिक वेल्डिंग और जरी का काम प्रभावित होता है। शहर में जरी का काम सबसे अधिक होती है। लेकिन घंटों बिजली कटौती से कारीगर खाली बैठे रहते हैं। माल के उत्पादन पर भी असर पड़ता है। हाजी तहसीन खान ने कहा टाइम टेबल के आधार पर बिजली की कटौती होनी चाहिए। ताकि लोग पहले से अलर्ट रहे और अपना पेंडिंग काम समय रहते कर सके। यदि ऐसा होगा तो किसी तरह की प्रॉब्लम्स नहीं होगी।

चोरों की हो जाती है चांदी

वहीं मालगोदाम रोड सरन हॉस्पिटल के पास दोपहर क्ख् बजे हुए प्रोग्राम में अपनी बातों को रखते हुए इंदू शर्मा ने कहा कि इस समय बोर्ड का एग्जाम शुरू है। जब भी बच्चों के पढ़ने का समय होता है बिजली चली जाती है। इससे बच्चों के रिजल्ट पर असर पड़ता है। मोहम्मद परवेज ने कहा हिन्दुस्तान में वैसे की बेरोजगारी है। बिजली नहीं रहने से रोजगार के अवसर बंद हो रहे है। बरेली में दर्जनों उद्योग बंद हो गए। मोहम्मद अदीब ने कहा रात में बिजली नहीं जानी चाहिए। इससे अंधेरे का फायदा उठा कर चोर चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं। इस तरह के कई मामले सामने आ भी चुके हैं। अपनी बातों को रखते हुए दिलीप सिंह ने कहा कि जब फॉल्ट होता है, तो बिजली कर्मचारी दौड़ते हैं। उन्हें चाहिए कि समय रहते अपने जर्जर इक्विपमेंट को सही कर ले।

बिजली जीवन रेखा बन गई है

गांधी उद्यान चौराहे के पास हुए प्रोग्राम में राकेश शर्मा ने कहा बिजली कटौती से बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होती है, महिलाएं परेशान होती है। वैभव गंगवार ने कहा घरों में सभी इलेक्ट्रॉनिक्स सामान डम्प पड़ जाते है, व्यक्ति अपने आप को असहाय महसूस करने लग जाता है। सोनू शर्मा कहते है अचानक बिजली कटौती से व्यापारियों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। बिजली के लिए जनरेटर इस्तेमाल करना पड़ता है, इससे पॉल्यूशन भी बढ़ता है। अपनी बातों को रखते हुए सुनील यादव कहते है गांव, देहात के बच्चों के बच्चों को सबसे अधिक प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती है। वहां पर तो अधिकतर लोगों के यहां इंवर्टर भी नहीं है। विनोद कुमार कहते है निर्बाध बिजली न मिलने की ही देन है कि बरेली से उद्योग पलायन कर रहे हैं। धीरू ने कहा कि कटियाबाजों पर रोक लगनी चाहिए। सेटिंग से हो रही बिजली सप्लाई पर रोक लगनी चाहिए। तभी भरपूर बिजली मिलने की उम्मीद की जा सकती है। शिवदेव पांडेय ने कहा बिजली हमारी जीवन रेखा बन गई है। इससे जाते ही हम कोमा में चल सकते हैं। गौरव ने कहा बच्चों को सबसे अधिक प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती है उन्हें हम किसी तरह समझा भी नहीं पाते हैं।