- बुकिंग न किराया सूची, नाम का बन गया प्रीपेड बूथ

- बूथ के नाम पर सरकुलेटिंग एरिया में सैकड़ों आटो का बना दिया स्टैंड

BAREILLY:

जंक्शन पर आटो के प्रीपेड बूथ की आड़ में अराजकता मची हुई है। यह एक ऐसा प्रीपेड बूथ है कि जहां न बुकिंग होती है और न ही कोई किराया सूची टंगी है। आटो ड्राइवरों को मनमाना किराया वसूलने की खुली छूट है। इस लूट की सहभागी जीआरपी भी है, जिसने सैकड़ों आटो को बूथ के नाम पर खड़ा रहने की इजाजत दे रखी है। यही वजह है कि जंक्शन गेट के मुहाने पर आड़े-तिरछे वाहनों को खड़ा कर रास्ता जाम करने वाले आटो ड्राइवरों को किसी का भय नहीं है।

प्रीपेड व्यवस्था का मकसद

करीब एक दशक पहले आटो प्रीपेड बूथ की व्यवस्था लागू की गई थी। मकसद था कि पैसेंजर्स को आटो ड्राइवर्स को मनमाना किराया की मांग से निजात मिल सके। साथ, महिला पैसेंजर्स की सिक्योरिटी पर भी गौर फरमाया गया था कि आटो रजिस्टर्ड होने से ड्राइवर बद्तमीजी नहीं कर सकेंगे। यदि करते भी हैं तो पकड़े जाएंगे।

300 आटाे की इजाजत

प्रीपेड बूथ से संचालित होने के लिए जीआरपी ने 300 आटो का इजाजत दे रखी है। प्रत्येक आटो से जीआरपी 100 रुपए मासिक शुल्क भी वसूल करती है, लेकिन पब्लिक के लिए वास्तव में प्रीपेड बूथ जैसी कोई व्यवस्था ही काम नहीं कर रही है। ये अलग बात है कि पुलिस ने सरकुलेटिंग एरिया के बीचो-बीच एक बूथ जरूर बनाया है।

दोगुना से अध्िाक संचालित

प्रीपेड बूथ पर अधिकृत आटो की संख्या वैसे तो 300 ही है, लेकिन यहां पर रोजाना 600 से अधिक आटो व विक्रम खड़े होते हैं, जो पब्लिक के लिए समस्या का सबब बने हैं तो जीआरपी की अवैध कमाई का जरिया हैं। बेहिसाब आटो के जंक्शन पर खड़ा होने से जाम के हालात बने रहते हैं। आटो इस तरह खड़े होते हैं कि पैदल जाने का भी रास्ता नहीं होता है। इस जाम की वजह से सीनियर सिटीजन व सामान लिये हुई फैमिली को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई मर्तबा रिक्शा आगे न बढ़ पाने की वजह से लोगों को पैदल जंक्शन तक जाना पड़ता है।

नहीं है िकराया सूची

पब्लिक के लिए आटो प्रीपेड बूथ तो है, लेकिन यहां न आटो की बुकिंग की कोई व्यवस्था है और न ही किराया सूची ही चस्पा है, जिसे देखकर पब्लिक वाजिब किराया जान सके। मिलीभगत से उपजी इस अव्यवस्था का फायदा आटो ड्राइवर उठाकर पब्लिक से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। प्रीपेड बूथ पर सुनवाई के लिए कोई जीआरपी का जवान तैनात न होने से पब्लिक किसी से मनमानी की कंप्लेन भी नहीं कर पाती है।

मेंटेन नहीं होता है रजिस्टर

आटो प्रीपेड बूथ ओपन करते वक्त जीआरपी ने रजिस्टर बनाया था, जिसमें हर एक आटो के आने-जाने का समय मेंशन होता था। इसके पीछे अनधिकृत आटो को जंक्शन पर खड़ा होने से रोकना था तो पैसेंजर्स की सिक्योरिटी भी इस व्यवस्था में निहित थी। ताकि, पैसेंजर से आटो ड्राइवर रास्ते में कोई बदसलूकी करता है तो यह पता रहा कि पैसेंजर किस आटो से जा रहे हैं। जीआरपी के एक जवान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले रजिस्टर मेंटेन किया जाता था, लेकिन अब यह काम बंद कर दिया गया है।

यहां नहीं है कोई प्रीपेड बूथ

जब इस संबंध में जीआरपी के इंस्पेक्टर से बात करी गयी तो, वह पहले इस बात से मुकर गए कि जंक्शन पर आटो प्रीपेड बूथ जैसी कोई व्यवस्था भी है। सिटी परमिट हासिल होने के नाते इन आटो को जंक्शन आने की इजाजत है। इंस्पेक्टर के इस बयान के इतर बात नियमों की करें तो स्टेशन के सरकुलेटिंग एरिया में आटो को सवारी उतारने के लिए आने की छूट है। न कि खड़े होकर सवारी बैठाने की छूट है। हालांकि, जीआरपी की रसीद दिखाने पर उन्होंने माना कि आटो प्रीपेड बूथ की व्यवस्था है।

विज्ञापन का बना अड्डा

प्रीपेड बूथ पब्लिक के लिए सहूलियत का सबब तो नहीं बन सका। अलबत्ता, यह जरूर हुआ कि जीआरपी की कमाई का जरिया जरूर बन गया। प्रीपेड बूथ की छत पर विज्ञापन की होर्डिग टंगी है। जंक्शन के प्राइम लोकेशन की वजह से यहां विज्ञापन को मोटा रुपया वसूल किया जा रहा है, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है।

जंक्शन से किराया

स्थान - रिजर्व किराया

नॉवेल्टी - 40

सेटेलाइट - 50

आरयू मेडिकल कॉलेज - 100

महानगर - 100

सनसिटी - 120

एयरपोर्ट - 120

राममूर्ति - 150

आरवीआरआई - 100

कुतुबखाना - 50

सिटी स्टेशन - 40

गन्ना मिल - 50

जितनी रसीद मुरादाबाद से आती है उतना रसीद काटकर उसका पैसा मुरादाबाद भेज दिया जाता है। रिजर्व किराया इस लिए तय नहीं है कि यहां पर रिजर्व ऑटो की बुकिंग बहुत कम होती है। पैसेंजर ज्यादातर ऐसे ही ऑटो में जाना पसंद करते है।

चंद्रशेखर गुप्ता, इंस्पेक्टर, जीआरपी

जंक्शन पर एक हजार से अधिक ऑटो की इंट्री रोजाना होती है। जबकि हर महीने 300 ऑटो का रसीद काटने का नियम है। यही नहीं हर महीने जो जंक्शन पर पहले पहुंचते है उसकी की रसीद काट दी जाती है। ऑटो चालक भी फिक्स नहीं है।

गुरुदर्शन सिंह, सेक्रेटरी, ऑटो यूनियन

चालक काफी अधिक किराया की डिमांड करते है। मुझसे चालक ने सेटेलाइट का रिजर्व में 80 रूपए की मांग की थी। जब मैने दूसरे लोगों से पता कि तो जानकारी मिली की सेटेलाइट का रिजर्व किराया 50 रूपए है।

प्रकाश पाठक, पैसेंजर

साधन के लिए चालकों से काफी बार्गेनिंग करनी पड़ती है। यदि प्रीपेड बूथ पर किराया चार्ट हो किसी से कुछ पूछने और बार्गेनिंग की जरूरत ही नहीं है। पैसेंजर्स ठगे जाने से बच जाते।

अजय कश्यप, पैसेंजर

चालक जहां होता है वही ऑटो खड़ी कर सवारियां भरने लग जाते है। दुकान के सामने जाम होने से कस्टमर का आना कम हो गया है। रोजाना 300-400 रुपए का नुकसान हो रहा है।

अम्बुज कुकरेती, दुकानदार

कई बार शिकायत की गयी, लेकिन ट्रैफिक जाम से निपटने की कोई कवायद नहीं की गयी। जाम से बचने के लिए कस्टमर दूसरी दुकानों की ओर रुख कर जाते हैं। दिन-ब-दिन कस्टमर की संख्या कम होती जा रही है।

सुनील वाजपेयी, दुकानदार