शहर में आईएमए के सत्याग्रह के चलते निजी हॉस्पिटल्स में ओपीडी ठप

धरने पर बैठे रहे डॉक्टर्स, मरीज नहीं देखे, जिला प्रशासन को दिया ज्ञापन

BAREILLY:

शहर में वेडनसडे को निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स में मरीजों के इलाज की व्यवस्था 4 घंटे से ज्यादा देर तक ठप रही। केन्द्र सरकार के खिलाफ आईएमए ने देश भर में वेडनसडे को सत्याग्रह कर हड़ताल कर दी। हड़ताल के तहत सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक ज्यादातर निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स में ओपीडी ठप रही। इससे निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स में इलाज के लिए जुटने वाले मरीजों को खासी दिक्कत हुई। आईएमए की हड़ताल को मेयर डॉ। आईएस तोमर समेत सपा के वीरपाल सिंह यादव व भाजपा पार्टी के शहर विधायक डॉ। अरुण कुमार व कैंट विधायक राजेश अग्रवाल ने भी सपोर्ट किया। हड़ताल के बाद आईएमए मेंबर्स ने कलेक्ट्रेट जाकर सिटी मजिस्ट्रेट मनोज कुमार को डीएम के नाम 6 मांगों का ज्ञापन सौंपा।

इलाज की बजाय इंतजार

शहर में आईएमए से रजिस्टर्ड करीब 705 डॉक्टर्स हैं। इन डॉक्टर्स से संबंधित निजी हॉस्पिटल्स, नर्सिग होम्स, पैथोलॉजी, डेंटल क्लिनिक्स और डायग्नोस्टिक सेंटर्स सत्याग्रह हड़ताल में 4 घंटे तक बंद रखे गए। इससे वेडनसडे सुबह 10 बजे से ही इलाज व जांच के लिए जुटने वाले हजारों मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर से बाहर रुरल एरियाज समेत आस-पास के अन्य जिलों से आने वाले मरीजों को ज्यादा दिक्कत हुई। निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स पहुंचे इन मरीजों को इलाज की बजाय घंटों का इंतजार मिला।

सरकारी ओपीडी से इनकार

आईएमए मेंबर्स के हड़ताल पर जाने से शहर के निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स में ओपीडी दोपहर 2 बजे के बाद तक ठप रही। इससे हजारों मरीज परेशान रहे। लेकिन बावजूद इसके ऐसे मरीजों ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज कराने में दिलचस्पी न दिखाई। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओर से इन मरीजों के लिए भी इलाज का इंतजाम किया गया था, लेकिन वेडनसडे को सरकारी ओपीडी में ही महज 1873 मरीज इलाज के लिए पहुंचे। ओपीडी में दोपहर 2 बजे से पहले सन्नाटा हो गया।

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सत्याग्रह की 6 वजहें

1- कन्या भ्रूण हत्या रोकने को पीसी-पीएनडीटी एक्ट में कई प्रोविजन डॉक्टर्स के खिलाफ। क्लर्किल मिस्टेक पर भी डॉक्टर को सजा व जेल भेजने की कार्रवाई।

2- सरकार के लाए जा रहे नए क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट से छोटे क्लिनिक्स व हॉस्पिटल के अस्तित्व खतरे में। बड़े कॉरपोरेट हॉस्पिटल को मिलेगा फायदा। मरीजों का इलाज होगा महंगा।

3- मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर नेशनल मेडिकल काउंसिल का गठन करना। जिसके मेंबर्स डॉक्टर्स के बजाए ब्यूरोक्रेट्स को बनाया जाना।

4- निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स में तोड़-फोड़ व मारपीट की घटना को रोकने के लिए सेंट्रल एक्ट का प्रोविजन होना।

5- अलग अलग पैथीज के डॉक्टर्स अपनी पैथी का ही इलाज करें। क्रॉस पैथी प्रैक्टिस बंद हो।

6- नेग्लिजेंट एक्ट के मामलों में कॉम्पनसेशन फिक्स हो। न कि मरीज की आर्थिक स्थिति के हिसाब से।

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