-हाईकोर्ट के निर्देश पर डीजीपी ने सभी जिलों की पुलिस को जारी किया निर्देश

-आतंकी व साम्प्रदायिक घटनाओं की एफआईआर अधिकारियों के आदेश पर होगी अपलोड

BAREILLY: क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएसस) के तहत अब रेप और पास्को एक्ट की एफआईआर ऑनलाइन अपलोड नहीं की जाएंगी। ऐसा पीडि़ता की पहचान छिपाने के लिए किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश के तहत डीजीपी ऑफिस से रेप, पाक्सो समेत 6 मामलों की ऑनलाइन एफआईआर अपलोड न करने के लिए हाईकोर्ट को लिखा था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने सहमति दे दी है। अब डीजीपी ने सभी जिलों को इस संबंध में जरुरी दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।

अधिकारी का आदेश लेना होगा जरूरी

हाईकोर्ट के निर्देश के तहत रेप से जुड़ी सभी धाराओं 376, 376 ए, 376 बी, 376 सी, 376 डी, 376 ई और 377 में यूपी पुलिस की वेबसाइट पर एफआईआर लोड करने पर पीडि़ता का नाम सार्वजनिक हो जाता है। यह एक दंडनीय अपराध है। इसके अलावा पाक्सो एक्ट के तहत क्राइम, जुवेनाइल के द्वारा किए गए क्राइम, आतंकवादी व उग्रवादी घटनाओं, ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, व साम्प्रदायिक घटनाओं से संबंधित एफआईआर भी ऑनलाइन अपलोड नहीं की जाएंगी। यदि पुलिस को लगता है कि किसी एफआईआर को ऑनलाइन अपलोड करना है तो इसके लिए कम से कम एसपी रैंक के अधिकारी की परमिशन जरूरी होगी।

अभी तक सभी एफआईआर हो रहीं ऑनलाइन

सीसीटीएनएस के तहत पूरे प्रदेश में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज की जा रही है। सभी को कंप्यूटराइज्ड कापी भी दी जा रही है। बरेली में भी काफी समय से ऑनलाइन एफआईआर ही दर्ज की जा रही है लेकिन अभी तक थानों में ऑनलाइन सभी एफआईआर को अपलोड किया जा रहा है। कुछ दिनों बाद ई-एफआईआर की सुविधा शुरू होने वाली है। जिससे पब्लिक भी कोई एफआईआर देख सकेगी ऐसे में पीडि़ता की पहचान सबके सामने उजागर हो जाएगी। एसएसपी के निर्देश पर एसपी सिटी व एसपी रुरल ने सभी थानों में इसे लागू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।