-रूसा ने बजट की पहली किश्त दो करोड़ रुपए जारी की

-स्वीकृत बजट से खरीदे जाएंगे शोध के उपकरण

-शोधार्थियों को नहीं होना पड़ेगा परेशान

BAREILLY

आरयू में भूत बंगला नाम से मशहूर सेंटर रिसर्च लैब के अच्छे दिन आ गए हैं। जल्द ही यहां स्टूडेंट रिसर्च कर सकेंगे। लैब को संवारने के लिए रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) ने 20 करोड़ के प्रोजेक्ट की पहली किश्त दो करोड़ रुपए जारी कर दी है। इससे रिसर्च से संबंधी उपकरण खरीदे जाएंगे, ताकि शोधार्थियों को शोध में सहूलियत मिल सके।

उपकरणाें की तैयार हुई सूची

रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए रूसा प्रोजेक्ट को लांच किया गया है। इसके तहत हर यूनिवर्सिटी में सेंटर रिसर्च लैब, पुरानी लैब्स का रेनोवेशन, पंचाल म्यूजियम, स्वीमिंग पूल और पब्लिक टॉयलेट बनवाना है। रूसा के तहत आरयू के लिए 20 करोड़ का बजट फिक्स किया गया। लास्ट ईयर अप्रैल के फ‌र्स्ट वीक में प्रोजेक्ट के जरिए आरयू को एक करोड़ 87 लाख रुपए की धनराशि मिली। साथ ही, यूनिवर्सिटी को गाइडलाइन दी गई कि इस बजट से लैब का निर्माण कराया जाए। यूनिवर्सिटी ने रूसा को पत्र लिखा था कि उसके पास सेंटर लैब है। उपकरण न होने के कारण वहां रिसर्च नहीं हो पा रहा है। लिहाजा, बिल्डिंग के बजट से उपकरण खरीदने की अनुमति दी जाए। यूनिवर्सिटी ने रूशा को तीन बार रिमाइंडर भेजा। इसके बाद उसे उपकरण खरीदने की अनुमति मिली। रूसा से यूनिवर्सिटी के सुझाव को हरी झंडी मिलते ही प्रोफेसर्स ने स्पेक्ट्रोमीटर, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप, टेलीस्कोप समेत कई कीमती उपकरण खरीदने की लिस्ट तैयार की है.

शोध में मिलेगी मदद

इस लैब का फायदा बीएससी, एमएससी और विभिन्न विषय पर शोध कर रहे शोधार्थियों को मिलेगी। उन्हें रिसर्च से संबंधित सभी उपकर एक की छत के नीचे मिलेंगे। हाल में उन्हें उपकरणों के लिए दूर-दूर भटकना पड़ता है। इस कारण उनकी शोध अधर में लटक जाती है। वहीं प्रोफेसर्स भी अपनी शोध में इस लैब का प्रयोग कर सकेंगे।

स्टूडेंट्स और गाडर् कहते हैं भूत बंगला

आरयू कैंपस में करीब डेढ़ साल पहले सेंटर रिसर्च लैब बनी। गवर्नर राम नाइक ने इसका उद्घाटन किया। लेकिन उपकरणों के अभाव फिर कभी इसके गेट का ताला नहीं खुल सका। इसके चलते यह स्टूडेंट्स और सुरक्षाकर्मियों में भूत बंगला के नाम से मशहूर हो गई।

वर्जन

रूसा ने जारी बजट से उपकरण खरीदने की अनुमति दे दी है। लिस्ट तैयार है। जल्द ही उपकरण खरीद लिए जाएंगे, ताकि शोध की बाधा को दूर किया जा सके।

प्रो। वीपी सिंह, वाइस वीसी, आरयू