- आरक्षण का आधार जनसंख्या होने से नहीं मिलेगा दोबारा मौका

-नए शासनादेश ने बिगाड़ा समीकरण, एससी व महिलाओं को नुकसान

BAREILLY:

नए शासनादेश के मुताबिक जनसंख्या को आरक्षण का आधार बनाया गया है, जिसके आधार पर देखा जाए तो जिले के 1007 ग्राम पंचायतों में करीब 702 सिटिंग प्रधानों को दोबारा मौका नहीं मिलेगा। इस बार चुनाव में पहले सरकार ने वर्ष 2010 के शासनादेश पर ग्राम प्रधान का चुनाव कराने के निर्देश दिए थे, पंचायती राज विभाग ने उसी आदेश के मुताबिक आरक्षण तय किया तो 234 सिटिंग प्रधान चुनाव से बाहर हो रहे थे, लेकिन अब सरकार ने पुराना शासनादेश रद कर दिया है। तो सिटिंग प्रधानों की कुर्सी हिलती नजर आ रही है।

ओबीसी को सर्वािधक फायदा

नए शासनादेश के मुताबिक चक्रानुक्रम व अन्य नियमों का पालन नहीं करने और जनसंख्या के आधार पर आरक्षण तय करने के निर्देश दिए हैं। पंचायती राज विभाग ने निर्देशानुसार आरक्षण तय किया तो 702 प्रधान इस बार चुनावी क्षेत्र से बाहर हो गए। क्योंकि उनके गांवों में आरक्षण के दौरान जनसंख्या देखी गई और जहां जिसकी जनसंख्या अधिक है वही आरक्षण के दायरे में आ गया। चुनाव से बाहर होने वाले प्रधानों में नवाबगंज के 22, मीरगंज के 21, फरीदपुर 12, बहेड़ी 34, भोजीपुरा 24 शामिल व अन्य हैं। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर गांवों में ओबीसी को सीट आरक्षित हुई है, जिसके चलते सर्वाधिक नुकसान एससी, सामान्य व महिलाओं को हुआ है। जबकि पिछले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 1007 ग्राम पंचायतें में एससी को 211, ओबीसी को 271 और 332 महिला व अन्य सीट सामान्य के खाते में थी।