-जैविक व वैज्ञानिक विधि से खेती करने की जरूरत

BAREILLY: धरती का तापमान बढ़ रहा है। लिहाजा, इसका असर फसल के ग्रोथ पर पड़ रहा है। ऐसे में, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की जरूरत है। इस क्रम में इफको की आंवला इकाई में सस्टेनेबल एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है। आंवला इकाई में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक डॉ। उदय शंकर अवस्थी ने कही। इस मौके पर कंपनी के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।

ज्यादा टेम्प्रेचर में हो सके खेती

प्रबंध निदेशक श्री अवस्थी ने कहा कि बढ़ते टेम्प्रेचर में खेती हो सके यह बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि धरती का तापमान दिनों दिन बढ़ रहा है। उपज के लिए ऐटमॉसफिअर के साथ ही जमीन उर्वरक हो, लेकिन पिछले एक दशक में रासायनिक खादों का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा हो रहा है, जिससे जमीन में पौष्टिक तत्व यानि जीवाणु मर रहे हैं। एक ग्राम मिट्टी में डेढ़ लाख जीवाणु होने चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में इनकी संख्या महज 15 हजार रह गई है। जीवाणु ही उर्वरक को घुलनशील बनाकर मिट्टी में मिलाते हैं।

जैविक उर्वरक डालें किसान

खेतों की उर्वर क्षमता बनी रहे और किसान खुशहाल हों, इसके लिए इफको ने आंवला इकाई में भी बॉयो फर्टिलाइजर प्लांट लगाया है, जिससे कुछ माह उत्पादन शुरू हो जाएगा। प्लांट से लिक्विड बॉयो फर्टिलाइजर बनेंगे। 250 मिली बॉयो फर्टिलाइजर को गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है। किसानों को महज 40 रुपए की कीमत में 250 मिली बॉयो फर्टिलाइजर अवेलेबल होगा।

डायरेक्ट सब्सिडी मिले किसानों को

प्रबंध निदेशक ने कहा कि उनकी मांग है कि सरकार सीधे किसानों को फर्टिलाइजर की सब्सिडी दे। इस संबंध में प्रपोजल भी दिया गया है। यदि ऐसा होता है तो कंपनियों पर बकाए का बोझा खत्म हो जाएगा। जैसा कि इफको का ही 50,000 करोड़ सब्सिडी का बकाया है, जो सरकार से मिलना है।