-वर्ष 2009 के बाद की एक भी डिग्री नहीं है मानक के मुताबिक

-इस डिग्री से नहीं मिलनी है जॉब

BAREILLY: बीएड स्पेशल की तरह ही आरयू की पीएचडी डिग्री की विश्वसनीयता पर सवाल उठने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2009 के बाद से जितनी भी उपाधियां दी जा रही हैं उन्हें यूजीसी द्वारा निर्धारित मानकों पर खरा उतरना है। लेकिन आरयू की ये सभी डिग्रियां सरकारी जॉब के लायक समझी नहीं जा रही हैं। ये डिग्रियां यूजीसी के मानकों पर खरी ही नहीं हैं। इस मामले को लेकर पीएचडी डिग्री धारक और आरयू के बीच जंग छिड़ी हुई है। डिग्री धारक प्रमाण पत्र मांग रहे हैं। जबकि आरयू उनको सभी मानकों पर खरे उतरने का प्रमाण पत्र दे ही नहीं सकता। आरयू ने इसमें हाथ खड़े कर दिए हैं।

आया था नया रेगुलेशन

यूजीसी ने 2009 में पीएचडी रेगुलेंशंस में बड़े पैमाने पर चेंजेस किए थे। पीएचडी में एंट्रेंस टेस्ट लागू करने, गाइड का सेलेक्शन प्रोसेस, रजिस्ट्रेशन से पहले कोर्स वर्क क्लियर समेत कई महत्वपूर्ण नए नियमों को समाहित किया था। तभी से आरयू में पीएचडी प्रक्रिया बंद चल रही थी। उस वर्ष के बाद जितनी भी पीएचडी उपाधी दी गई उनका 2009 तक रजिस्ट्रेशन हो चुका था। इन्हीं डिग्रियों पर विवाद गहराया हुआ है।

यूजीसी ने जारी किए हैं 11 मानक

दरअसल, ये पीएचडी डिग्री धारक टीचिंग समेत जितने भी विभाग में सरकारी जॉब के लिए अप्लाई कर रहे हैं उनकी पीएचडी डिग्री को जॉब के लिए एलिजिबल नहीं माना जा रहा है। इनको जॉब के लिए एक प्रमाण पत्र भी देना होता है जो यह प्रमाणित करता है कि इनकी डिग्री यूजीसी द्वारा निर्धारित 11 मानकों को पूर करती है। यूजीसी के 11 मानकों में रजिस्ट्रेशन एडमिशन टेस्ट व इंटरव्यू से हुआ, सुपरवाइजर की निर्धारित सीट मानक को पूरा करते हैं, नेशनल रिजर्वेशन पॉलिसी को फॉलो करते हैं, कोर्स वर्क व मैथोडोलॉजी किया कि नहीं, रिसर्च एडवाइजरी कमेटी की रिव्यू, सिनोप्सिस सब्मिशन से पहले प्री पीएचडी प्रेजेंटेशन दिया कि नहीं, थीसिस सब्मिशन से पहले एक रिसर्च पेपर पब्लिश करना, सेमिनार में दो पेपर प्रजेंट करना, थीसिस की सॉफ्ट कॉपी यूनिवर्सिटी में जमा करना और थीसिस को दो एक्सपर्ट से चेक कराना जैसे नियम शामिल है।

यूजीसी के मानक पूरा नहीं करते

विवाद मानकों को लेकर ही है। यूजीसी द्वारा निर्धारित 11 मानकों में से कम से 8 मानक पूरा करने होते हैं। इसके बिना डिग्री धारक जॉब के लिए एलिजिबल नहीं होते। जबकि जितनी भी पीएचडी उपाधी दी गई हैं, वे केवल 3 से 6 मानकों को ही पूरा करते हैं। अधिकांश डिग्री तो 3 मानक ही पूरा करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक करीब 800 से ज्यादा पीएचडी डिग्रियां विवादित हैं। ये सभी डिग्री धारक आरयू से सभी मानकों पर खरा उतरने का प्रमाण पत्र दिए जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं आरयू के रजिस्ट्रार एसएल मौर्य ने बताया कि यूजीसी के रेगुलेशन 2009 के अनुसार इनकी डिग्रियां जिन मानकों को पूरा करती हैं उन्हीं का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते।