-पुराने गीतों को सुनने का शौकीन है अनोखे लाल मौर्या

-प्रत्येक माह आकाशवाणी को भेजता है करीब 250 पत्र

BAREILLY शौक भी बड़ी चीज होती है। इसे पूरा करने के लिए आदमी हर संभव प्रयास करता है। कुछ ऐसा ही कदम गुड़ बेचने वाले अनोखे लाल मौर्य ने उठाया है। अनोखे लाल रेडियो पर गाने सुनने के शौकीन हैं। लेकिन अशिक्षित होने के कारण वह आकाशवाणी को लेटर नहीं लिख सकते हैं। उसकी अशिक्षा उसके शौक में बाधा नहीं बने, इसलिए उसने अपने नाम, परिवार और आकाशवाणी केन्द्र के नाम की मुहर बनवा रखी है, जिसे वह पोस्टकार्ड पर लगाकर आकाशवाणी केन्द्र को भेजते हैं। साथ ही अपनी फरमाइश के गाने को रेडियो पर सुनाने को कहते हैं।

डेली सुनते हैं कार्यक्रम

बारादरी थाना क्षेत्र के कटरा चांद खां मौर्य मन्दिर वार्ड नम्बर 10, पुराना शहर निवासी अनोखे लाल मौर्या करीब 25 साल से रेडियो पर गाने सुन रहे है। उन्हें रेडियो पर गाने सुनने का शौक है। वह अपने पास हमेशा रेडियो रखते हैं। निरक्षर होने से वह कहीं पढ़ाई लिखाई का काम नहीं कर सकते इसीलिए वह गुड़ बेचते हैं। वह रेडियों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सुबह को 7:30 बजे आपकी पसंद, रात 10:30 बजे अनुरोध गीत, सैटरडे को रात 7:30 बजे आपका पत्र मिला और युगवाणी के श्राोता हैं। अनोखे लाल मौर्या ने बताया कि रेडियों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम को उनके साथ उनका परिवार भी सुनता है। इसके लिए वह एक रेडियो घर पर और एक अपने ठेले में रखते हैं।

दूसरे की लेते थे मदद

अनोखे लाल मौर्या का कहना है कि वह रेडियो पर फरमाइशी गीत सुनने के शौकीन थे। इसके लिए वह पोस्टकार्ड आकाशवाणी पर भेजने के लिए दूसरे लोगों से लिखवाकर भेजते थे। लेकिन कुछ समय बाद लोगों ने समय न होने का बहाना बताकर पत्र लिखने से मना करने लगे। अनोखे लाल ने करीब आधा दर्जन से अधिक मुहर बनवा ली है। जिसमें हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम हाल कैसा है जनाब कामेरे महबूब तुझे सलाम। आदि प्रमुख हैं।

पसंदीदा गाने

हाल क्या दिलों का ना पूछो सनम

हाल कैसा है जनाब का

मेरे महबूब तुझे सलाम