बरेली में सरोगेसी से बेऔलाद कपल के मां-बाप बनने का पहला कामयाब केस

निजी हॉस्पिटल में हुई डिलीवरी, देखरेख को नवजात एनआईसीयू में एडमिट

BAREILLY:

मेडिकल हब बरेली ने अपनी उपलब्धियों में एक और पहचान जोड़ ली है। बरेली के डॉक्टर्स ने सरोगेसी में भी अपना कदम बढ़ा दिया है। लखनऊ के एक दंपति ने सरोगेसी आईवीएफ के जरिए मां-बाप होने का सुख पाया है। सरोगेसी आईवीएफ के जरिए औलाद का सुख पाने की यह खुशी दंपति को बरेली के एक निजी हॉस्पिटल से मिली है। पूरे बरेली मंडल में यह पहला मामला है जब किसी बेऔलाद दंपति के घर सरोगेसी के जरिए बच्चे की किलकारी गूंजंी है। मेडिकल साइंस की यह सुविधा दिल्ली-मुंबई व लखनऊ जैसे बड़े शहरों में ही मुहैया थी।

15 साल बाद हुए जुड़वां

चौपुला स्थित निजी हॉस्पिटल पर बरेली में पहली सरोगेसी आईवीएफ टेक्निक इस्तेमाल करने और पहली बार में ही कामयाब होने का श्रेय गया है। हॉस्पिटल ओनर डॉ। एसपी मिश्र ने बताया कि लखनऊ के एक दंपत्ति को सरोगेसी के जरिए जुड़वां बेटों का सुख मिला है। यह दंपत्ति शादी के करीब 15 साल बाद भी औलाद न होने से निराश था। इस दौरान दंपत्ति ने लखनऊ में दो बार आईवीएफ के जरिए औलाद पाने की उम्मीद भी पाली जो नाकाम रही। आईवीएफ से भी फायदा न होने की सूरत में हॉस्पिटल ने दंपत्ति को सरोगेसी यानि किराए की कोख के जरिए कानूनी रूप से औलाद पाने का रास्ता सुझाया। जिसे दंपति ने अपना लिया।

लखनऊ से आई सरोगेट मदर

सरोगेसी आईवीएफ के लिए सबसे पहली जरूरत सरोगेट मदर तलाशने की हुई। डॉ। मिश्र ने बताया कि इसके लिए लखनऊ स्थित एक इंफर्टिलिटी सेंटर से मदद लेकर सरोगेट मदर की तलाश पूरी हुई। कानूनी करार के बाद शर्तो को पूरा करते हुए सरोगेसी आईवीएफ का तरीका शुरू हुआ। गायनोकोलॉजिस्ट डॉ। कविता शर्मा की देखरेख में

सबसे पहले दंपति में पति का स्पर्म लिया गया और उससे वाइफ के एग को फर्टिलाइज्ड किया गया। इसके बाद यह फर्टिलाइज्ड एग सरोगेट मदर के गर्भ में इम्पलांट किया गया। सरोगेट मदर को लखनऊ के ही एक सरोगेट हाउस में पूरी सुविधाओं संग रखा गया। हर महीने सरोगेट मां को पीरियोडिक चेकअप के तहत बरेली हॉस्पिटल बुलाया जाता था।

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प्रीमेच्योर लेकिन खतरे से बाहर

लेबर पेन उठने पर 5 मई को हॉस्पिटल में सरोगेट मदर की सिजेरियन डिलीवरी हुई। गर्भ में ही जुड़वां बच्चों के होने की खुशी दंपति को मिल चुकी थी। डिलीवरी में 36 हफ्ते के नवजात सामान्य माने जाते हैं। लेकिन सरोगेसी से हुए इन जुड़वां बेटों की 35 हफ्ते 4 दिन में प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई। वहीं बच्चों का वजन सामान्य से कम था। एक

का वजन 1.96 किग्रा और दूसरे का वजन 1.65 किग्रा रहा। डिलीवरी होते ही दोनों मासूमों की देखरेख व खतरे से बचाने को रामपुर गार्डेन स्थित क्लिनिक में एनआईसीयू में एडमिट करा दिया गया। फिलहाल सरोगेट मदर, मां-बाप बन चुके दंपति और दोनों मासूम बरेली में ही स्वस्थ हैं।

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सरोगेसी आईवीएफ के जरिए सेफ डिलीवरी हुई। दंपत्ति की रजामंदी के बाद उनकी पहचान उजागर की जाएगी। बरेली में सरोगेसी आईवीएफ से पहली बार संतान हुई है। हमें इस पर खुशी है।

- डॉ। डीपी मिश्रा, अर्क नं। 4 हॉस्पिटल

दोनों नवजात की डिलीवरी समय से पहले हुई है, वजन भी सामान्य से कम रहा। लेकिन दोनों ही खतरे से बाहर हैं और पूरी तरह स्वस्थ है। जल्द ही डिस्चार्ज कर उन्हें सरोगेट मदर व मां-बाप को सौंप दिया जाएगा।

- डॉ। रवि खन्ना, सीनियर पीडियाट्रिशियन

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