- सीवियर एनीमिक बच्चे को घंटों गोद में लिए भटकते रहे बच्चे

- सीएमओ से शिकायत की सूचना मिलने पर बच्चे को किया भर्ती

बरेली : डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में सुविधाएं भले ही बढ़ाई जा रही हैं, लेकिन यहां के डॉक्टर्स और स्टाफ का रवैया पेशेंट्स के साथ नहीं सुधर रहा है। मंडे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज के लिए बच्चे को इलाज के लिए लेकर पहुंचे परिजनों को करीब तीन घंटे भटकना पड़ा। जब बच्चे के परिजनों ने हंगामा किया तब जाकर बच्चे को एडमिट किया गया।

क्या है पूरा मामला

मीरगंज के सिहौर निवासी झम्मन लाल के 10 माह के बेटे सुमित की संडे देर रात हालत बिगड़ी तो वह पत्‍‌नी कृष्णा देवी के साथ बच्चे को लेकर मीरगंज सीएचसी पहुंचे जहां बच्चे की जांच की तो पता चला कि वह सीवियर एनीमिक है। डॉक्टर ने बच्चे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल रेफर कर दिया। सुबह करीब 11 बजे परिजन उसे लेकर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे तो ईएमओ ने उसे डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल में एडमिट कराने को कहा। जब परिजन उसे लेकर फीमेल हॉस्पिटल गए तो सीएमएस डॉ। अलका शर्मा ने बताया कि यहां दो माह तक के बच्चों को ही एडमिट किया जाता है, आप लोग बच्चे को लेकर मेल हॉस्पिटल जाओ उन्होने एक गार्ड को भी बच्चे के परिजनों के संग कर दिया। जब गार्ड परिजनों को लेकर ईएमओ के पास पहुंचा तो उन्होंने फिर उसे एडमिट करने से इनकार कर दिया। इसके बाद परिजन हंगामा करने लगे। तब कहीं जाकर दोपहर करीब एक बजे बच्चे को एडमिट किया गया।

चूक पर एडीएसआईसी हो चुके हैं सस्पेंड

करीब 8 माह पहले इसी प्रकार के रेफर के खेल में एक मासूम ने दम तोड़ दिया था। परिजनों ने मामले की शिकायत सीएम से की थी जिसके बाद सीएम ने मामले का संज्ञान लेते हुए तत्कालीन एडीएसआईसी को निलंबित कर दिया था।

मेल हॉस्पिटल को गाइड लाइन पता है कि फीमेल हॉस्पिटल में दो माह तक के बच्चे ही भर्ती होते हैं। बावजूद इसके बच्चे को यहां भेज दिया ऐसे में बच्चे की जान चली जाती तो कौन जिम्मेदार होता।

डॉ। अलका शर्मा, सीएमएस

मामला मेरे संज्ञान में नहीं है अगर ऐसा किया है कि तो संबंधित ईएमओ से जबाव-तलब कर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। टीएस आर्या, एडीएसआईसी।