-पति की ज्वाइनिंग के विवाद में फंसी थीं

BAREILLY

: सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद सियासी संकट में घिरी नवाबगंज की चेयरमैन शहला ताहिर के लिए राहत की उम्मीद जगी है। जनपद न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह ने धोखाधड़ी के आरोप में निरुद्ध शहला की जमानत थर्सडे को स्वीकार कर ली है। रिहाई के लिए उन्हें 50-50 हजार के दो जमानतदार पेश करने होंगे।

17 जनवरी को गई थीं जेल

वर्ष 2003 में तत्कालीन नगर पालिका परिषद पीलीभीत के चेयरमैन राजीव अग्रवाल (टीटी) ने डॉ। मोहम्मद ताहिर व उनकी पत्नी शहला ताहिर के विरुद्ध सुनगढ़ी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि चार अप्रैल 2003 को कैंप कार्यालय पर दो लोग आए, जिन्होंने परिचय डॉ। मोहम्मद ताहिर व शहला ताहिर के रूप में दिया। उन्होंने अधिशासी अधिकारी के पद पर कार्यभार ग्रहण कराने का पत्र दिखाया। मंत्री आवास नगर विकास एवं नगरीय रोजगार उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ के लिखे पत्र की फोटो कॉपी तथा डॉ। ताहिर के चांदपुर में अधिशासी अधिकारी के रूप में कार्य करने की बात कही। चांदपुर की नगर पालिका की ओर से दिया गया अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दिया। यह सारे कागजात जांच में फर्जी निकले। जांच के बाद डॉ। ताहिर व शहला के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। डॉ। ताहिर की उसी समय जमानत हो गई लेकिन, पत्नी के विरुद्ध आरोप पत्र फरारी में दाखिल किया गया। 17 जनवरी को नवाबगंज चेयरमैन के शपथ ग्रहण करने के बाद नवाबगंज के अन्य मुकदमे में पुलिस ने शहला ताहिर को अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया। सीजेएम की ओर से जमानत निरस्त किए जाने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह के न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था।