- मूलभूत सुविधाओं के साथ ही टैक्स में मिले छूट
BAREILLY:
बरेली में प्रदेश का पहला सिडकुल बनाये जाने की बात से उद्यमियों और व्यापारियों के मन में एक नई उम्मीद जगी हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे बरेली आर्थिक रूप से निश्चित हुई सुदृढ़ होगा। क्योंकि, मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण बरेली में स्थापित उद्योग वेंटिलेटर पर चले गये हैं। कुछ तो 2001 में उत्तराखंड बनने के बाद वहां पलायन कर गये। सिडकुल के निर्माण की बात से एक बार फिर उद्यमी यहां पर निवेश करने की बात कर रहे हैं। यदि सिडकुल की योजना सफल हुई तो नए उद्योग स्थापित होने के साथ ही रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
उद्योगों के विकास में सहायक
जिले में छोटे-बड़े करीब 4 हजार उद्योग हैं। लगभग 300 उद्योग पलायन कर चुके हैं। सुविधाएं नहीं मिलने से जो उद्योग चल रहे हैं वह किसी तरह सस्टेन कर रहे हैं। कपूर, करघा, चीनी मिल बमुश्किल चल रही हैं। जबकि, रबर फैक्ट्री, विमको और किसान जैम जैसी बड़ी फैक्ट्रियां बंद हो गई। जिसकी वजह से हजारों मजदूर बेरोजगार हो गये। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल की बातों ने एक बार फिर से बंद पड़ी और वेंटिलेटर पर चल रही फैक्ट्रियों में जान डालने का काम किया है।
सिडकुल की बातों ने दी जान
उद्यमियों का कहना है कि सिर्फ सिडकुल बनाने से कुछ नहीं होगा। बल्कि उत्तराखंड, उद्यम नगर जहां भी सिडकुल बना है वहां पर उद्यमियों को स्थापित होने के लिए कई सुविधाएं मुहैया कराई गई। जैसे- 24 घंटे सस्ती बिजली, 12 वर्ष इनकम टैक्स फ्री, 5 वर्ष तक एक्साइज ड्यूटी में छूट, प्लाट की रजिस्ट्री में छूट सहित अन्य सुविधाएं। ऐसे में बरेली में भी इन बातों का ध्यान देना आवश्यक हैं। सहूलियत मिलने से प्रोडक्शन कास्ट कम होगा, जिससे बरेली भी अन्य जगहों से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।
इन समस्याओं को करना होगा दूर
उद्योगों के विकास में इस समय कई चीजें रोड़ा बनी हुई हैं। जिसकी वजह से जो उद्योग चल भी रहे हैं वह विकास की राह में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। बरेली में पेयजल आपूर्ति, सफाई, स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज, अतिक्रमण, जलभराव की समस्या और सड़कों का खस्ताहाल ने उद्योगों को बढ़ने नहीं दिया। उद्योग बंधु की मीटिंग में इन समस्याओं को उद्यमियों ने कई बार उठाया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका। जबकि, उत्तराखंड बनने के बाद वहां पर उद्यमियों को मिली रियायत ने बरेली में निवेश करने वाले उद्यमियों को अपनी तरफ उद्योग लगाने के लिए विवश कर दिया।
यह होगा फायदा
- उद्यमियों का पलायन रुकेगा।
- बरेली के अलावा दिल्ली, लखनऊ जैसे आसपास के उद्यमी भी यहां पर निवेश करेंगे।
- बाहरी निवेश से बरेली आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
- रोजगार के अवसर बढ़ने से बेरोजगारों को रोजगार मिल सकेगा।
- सीबीगंज-वर्ष 1960.
- एरिया 16.9 एकड़।
- भूखंड 56.
- शेड 17.
- दस प्रतिशत इकाईयां कागजों पर।
- 1300 करोड़ रुपये वार्षिक टैक्स देने वाले उद्यमी।
- भोजीपुरा- वर्ष 1962.
- एरिया 38.34 एकड़।
- भूखंड 71
- शेड 18
- आधे से ज्यादा इकाईयां कागजों पर।
- सवा चार सौ करोड़ वार्षिक रुपये टैक्स देने वाले उद्यमी।
एक नजर उद्योगों पर
- 4,000 छोटे-बडे़ उद्योग हैं जिले में।
- 300 उद्योग उत्तराखंड बसने के बाद कर गये पलायन।
- राज्य सरकार के कारखाने- 209.
- अर्द्ध केन्द्र सरकार- 147.
- निजी एक्ट-115.
- नॉन एक्ट-107.
-केन्द्र सरकार-55.
- अर्द्ध सरकारी- 49.
- स्थानीय निकाय-39.
उत्तराखंड में पहले बरेली से कच्चा माल जाता था। अब ऐसा नहीं रहा बरेली में सुविधाओं की कमी से उद्यमी पलायन कर गये, जो चल भी रहे हैं वहां पर पर्याप्त प्रोडक्शन नहीं हैं।
अजय शुक्ला, प्रेसीडेंट, भोजीपुरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन।
सिडकुल बनने से बाहरी लोग भी बरेली में निवेश करेंगे। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बरेली आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
उन्मुक्त संभव शील, महासचिव, लघु उद्योग भारती
एनओसी जारी करने वाले विभागों में सामंजस्य होना चाहिए। एनओसी की प्रक्रिया सरल करनी होगी। उद्योग केंद्र पहले फैक्ट्री स्थापित करने की बात करता है फिर लाइसेंस देने की बात करता है।
राजेंद्र गुप्ता, महानगर अध्यक्ष, यूपी उद्योग व्यापार मंडल
व्यापारी जब खुल कर इंवेस्ट करने को राजी होंगे तभी सिडकुल प्रभावी होगा। टैक्स में छूट सहित अन्य सुविधाएं भी मिलनी चाहिए ।
आशुतोष शर्मा, सचिव, आईआईए
योजना निश्चित ही अच्छी है। उद्योगों को स्थापित करने के लिए टैक्स में छूट के साथ ही प्लॉट और रजिस्ट्री भी सस्ती होनी चाहिए।
चंद्र भूषण सक्सेना, चेयरमैन, आईआईए