- इंडस्ट्रीज एरिया के मानक से साइलेंस जोन का साउंड पॉल्यूशन

- स्टैंडर्ड मानक से 20 डेसीबल अधिक हुआ ध्वनि पॉल्यूशन

BAREILLY:

शहर में शोर-शराबा का स्तर दिनों-दिन बढ़ने के चलते साइलेंस जोन पर साउंड पॉल्यूशन का खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि इस एरिया में साउंड पॉल्यूशन इंडस्ट्रियल के लेवल को भी क्रॉस कर रहा है। वाहनों में प्रतिबंधित प्रेशर हॉर्न व हूटर का बेजा इस्तेमाल इसकी एक बड़ी वजह बन रहा है। बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन इस पर रोक के लिए कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है।

यहां शोर करना है प्रतिबंधित

इंडियन गवर्नमेंट के सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक हॉस्पिटल, एजुकेशन इंस्टीट्यूट और कोर्ट जैसे साइलेंस जोन में हॉर्न, लाउड स्पीकर्स बजाना और पटाखे जलाना प्रतिबंधित है। साइलेंस जोन के 100 मीटर के दायरे में मानक से अधिक शोर-शराबा पर रोक है। लेकिन, बरेली में ऐसा नहीं हो रहा है। साइलेंस जोन में ही लोग अंधाधुंध हूटर, पटाखे और प्रेशर हॉर्न जैसी चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसके कारण साइलेंस जोन इंडस्ट्रियल एरिया बनता जा रहा हैं।

साइलेंस जोन का दर्द ए हाल

कोर्ट हो या फिर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल साइलेंस जोन में लोग इंडस्ट्रीज जैसे शोर के दर्द लोग झेल रहे है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में रोजाना सैकड़ों की संख्या में पेशेंट ओपीडी में आते है। उनके साथ आने वाले अटेंडेट की संख्या भी अच्छी-खासी होती है। वहीं कोर्ट में भी वकील और हजारों लोग आते हैं, लेकिन प्रजेंट टाइम में ये एरिया सिर्फ कागजों में ही साइलेंस जोन रह गया है। कैंट एरिया छोड़ दिया जाए तो बाकी जगह पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियम के मुताबिक दिन में न्वॉयज पॉल्यूशन 50 डेसीबल से ज्यादा बढ़कर 70 से 80 डेसीबल पहुंच गया है।

कई बीमारी होने का खतरा

- बच्चों में कन्सन्ट्रेशन की क्षमता पर निगेटिव इफेक्ट पड़ता है।

- चिड़चिड़ापन का होना।

- वर्क एफीशिएंसी पर बुरा असर पड़ता है।

- सीनियर सिटीजन्स में मेमोरी लॉस और ऑब्जर्वेशन की कमी आती है।

कार्रवाई का है नियम

- वाहन में प्रेशर हॉर्न और हूटर्स यूज करते पाए जाने पर 1,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।

क्या है गाइड न्वॉयज की लाइन

एरिया - रात - दिन

साइलेंस - 40 - 50

रेजिडेंशियल - 45 - 55

कॉमर्शियल - 55 - 65

इंडस्ट्रियल - 70 - 75

नोट- (आंकड़े डेसीबल में दिन 6 am - 9 pm और रात 9 pm - 6 am.)

हॉर्न के बेजा इस्तेमाल रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की है। पॉल्यूशन कंट्रोल विभाग इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।

आरके त्यागी, रीजनल ऑफिसर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड