: जरूरत है स्पेशलिस्ट की, काम चला रहे फिजिशियन से, इसलिए
-यही है बरेली के उन लोगों का दर्द, जिन्हें आग ने गिरफ्त में लेकर पहुंचाया डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल
-तीन साल से नहीं है स्पेशलिस्ट प्लास्टिक सर्जन, 58 से ज्यादा बर्न पेशेंट्स की टूट चुकी हैं सांसें
अंकित चौहान, बरेली
केस स्टडी 1
1 फरवरी को फरीदपुर से गंभीर झुलसी अवस्था में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल आई भूपाल की पत्नी रामा को सुबह 6 बजे एडमिट किया गया, लेकिन डॉक्टर ने उसे दोपहर एक बजे देखा। लापरवाही, देरी और बेइंतहा दर्द के सामने दोपहर एक बजे रामा ने दम तोड़ दिया।
केस स्टडी 2
7 फरवरी की सुबह आंवला के गौरव सिंह 75 फीसदी झुलस चुकी पत्नी शिवानी को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लाए। बर्न स्पेशलिस्ट नहीं थे। तिस पर लापरवाही ये कि शिवानी की जांच 8 फरवरी को हुई। हंगामा हुआ फिर भी बात नहीं बनी। मजबूर परिवारवालों ने उसे रेफर कराया।
ये दो केस बानगी भर हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में आने वाले बर्न पेशेंट्स और उनके तीमारदारों को जब पता चलता है कि यहां स्पेशलिस्ट सर्जन ही नहीं, तो उनके मन में बस यही कसक उठती है कि ऐसे दर्द से कहीं बेहतर मौत है। इलाज के नाम पर यहां कुछ मिलेगा, तो सिर्फ देरी और दर्द।
इस देरी और दर्द को तीन साल से झेला जा रहा है। ऐसे 58 पेशेंट्स की जान तो बीते एक साल में चली गई। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पास स्पेशलिस्ट नहीं, तो फिजिशियन से काम चलाया जा रहा है। लेकिन ये तो सभी जानते हैं कि ऐसी कोशिशों से मरीज की जान बचने से रही।
कोई भी डॉक्टर करने लगता है इलाज
हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसरों के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में प्लास्टिक सर्जन की तैनाती नहीं की गई है। बर्न पेशेंट्स का इलाज फिजीशियन से कराया जा रहा है या फिर अन्य बीमारियों के स्पेशलिस्ट की ड्यूटी लगा दी जा रही है।
वर्ष 2019 में इतनों ने तोड़ दिया दम
मंथ - एडमिट - मौत
जनवरी - 30 - 7
फरवरी - 24 - 6
मार्च - 38 - 7
अप्रैल - 23 - 4
मई - 24 - 7
जून - 35 - 4
जुलाई - 26 - 3
अगस्त - 23 - 5
सितंबर - 17 - 1
अक्टूबर - 20 - 8
नवंबर - 21 - 2
दिसंबर - 28 - 4
200 मरीजों को हायर सेंटर भेजना पड़ा
वर्ष 2018 से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। जनवरी से दिसबंर तक 333 मरीज एडमिट हुए, लेकिन स्पेशलिस्ट के न होने के कारण 200 मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया गया।
बर्न वार्ड चकाचक
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर न होने से मरीजों से निजी या बड़े हॉस्पिटल ले जाना पड़ता है।
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में 3 साल से प्लास्टिक सर्जन नहीं है। कई बार पत्र भेजकर शासन से मांग की है। हालांकि, बर्न पेशेंट्स के लिए डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जाती है।
डॉ। टीएस आर्या, एडीएसआईसी।