शहर के 70 वार्डो में वार्ड रूम बनाने की नगर निगम की योजना ठंडे बस्ते में

डेढ़ साल बीतने के बावजूद एक भी वार्ड में नहीं हुआ वार्ड कमेटी का गठन

BAREILLY:

स्मार्ट सिटी का चश्मा लगाकर शहर को नए अंदाज में देखने की नगर निगम की चाह बुनियादी व्यवस्थाओं को दरकिनार कर रही है। शहर के हर हिस्से तक चौतरफा विकास की पहुंच बढ़ाने को तैयार की गई नगर निगम की वार्ड रूम योजना ने ठंडे बस्ते में दम तोड़ दिया है। जबकि यह योजना शहर के 70 वार्डो के विकास और लोगों तक विकास कार्यो की जानकारी देने के लिए बेहद अहम थी।

10 मेंबर्स की वार्ड कमेटी

वार्ड रूम बनाए जाने का कॉन्सेप्ट 5 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए तैयार किया गया था। डेढ़ साल पहले बरेली नगर निगम में मेयर डॉ। आईएस तोमर ने शहर के सभी 70 वार्डो में वार्ड रूम डेवलेप किए जाने के निर्देश दिए थे। हर वार्ड में इसके लिए एक वार्ड कमेटी बनाई जानी थी। जिसमें ज्यादा से ज्यादा 10 मेंबर्स को शामिल किया जाता। यह एक तरह की एडवाइजरी बॉडी होती। जिसमें वार्ड के मौजूदा पार्षद के अलावा नामित पार्षद, पूर्व पार्षदों, एनजीओ एक्टिविस्ट, वार्ड के अनुभवी लोग और को बतौर मेंबर बनाया जाता। हर कमेटी का एक वार्ड काउंसलर होना था। जिसका चुनाव वार्ड कमेटी के फैसले से होता।

एकतरफा विकास पर रोक

वार्ड रूम बनाकर वार्ड कमेटी का गठन करने की एक बड़ी वजह वार्डो मं एकतरफा विकास कार्य पर लगाम कसना था। पार्षदों पर अपने खास एरियाज में ही विकास कार्य कराने के आरोप लगते हैं। इस पर रोक लगाने को वार्ड कमेटी बनाई जानी थी। वार्ड कमेटी पर वार्ड में पिछड़े एरियाज का चिह्नीकरण करने का जिम्मा होता। कमेटी बैठक में वार्डो में होने वाले विकास कार्यो पर चर्चा कर प्रस्ताव बनाती। हालांकि कमेटी के पास वार्ड के विकास कार्यो की सिफारिश करने का ही अधिकार होता।

बोर्ड में उठेगी मांग

योजना में डेढ़ साल की देरी पर कई पार्षदों ने मेयर से नाराजगी जताई है। पार्षदों ने मई में होने वाली बोर्ड बैठक में वार्ड रूम व कमेटी के गठन का मुद्दा उठाने का फैसला किया है।

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वार्ड रूम योजना के लागू न होने के पीछे अधिकारियों की लापरवाही भी है। पार्षदों ने भी इस मुद्दे पर अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई। पार्षद मांग उठाएं तो जल्द ही इस पर अधिकारियों संग बैठक कर फैसला लिया जाएगा। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर