- प्रदेशीय विद्युत व्यवस्था संबंधी जांच समिति ने लगायी फटकार

- काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों से मांगा लिखित जवाब

>BAREILLY:

यूपी विधान परिषद की प्रदेशीय विद्युत व्यवस्था संबंधी जांच समिति की ट्यूजडे को विकास भवन में हुई समीक्षा बैठक में बिजली विभाग की पोल खुल गई। बैठक में सामने आया है कि विकासखंड बिथरीचैनपुर के डोहरा गांव में बिजली नहीं है। फिर भी यहां के लोगों के नाम से बिजली बिल जारी कर दी गई। जिस पर समिति के सभापति ने अधिकारियों ने जवाब तलब किया है। वहीं मीरगंज के विधायक सुल्तान बेग और शहर विधायक अरुण कुमार की शिकायत ने भी विभाग की खूब फजीहत कराई।

अधिकारियों ने मानी गलती

समीक्षा बैठक में मुख्य रूप से जांच समिति के सभापति सुनील कुमार चित्तौड़ और बाकी सदस्य लीलावती कुशवाहा, जयपाल सिंह व्यस्त और चेतनारायण सिंह मौजूद रहे। सबसे पहले बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर वीके शर्मा ने 2015-2016 के योजनाओं और विकास कार्यो का संक्षेप में समिति के सदस्यों के सामने रखा। अधिकारियों तब ज्यादा लताड़ पड़ी जब विकासखंड बिथरीचैनपुर के डोहरा गांव में की यह हकीकत पता चली कि गांव में बिजली सप्लाई नहीं की गई और फिर भी विभाग 10 से 20 हजार रुपए का बिल भेज रहा हैं। अधिकारियों ने अपनी गलती स्वीकारते हुए बिजली बिल माफ करने की बात कही।

तलब कर लिया जवाब

मीरगंज के विधायक सुल्तान वेग ने भी बिजली विभाग की पोल खोली। उन्होंने आरोप लगाया कि बहेड़ी में शेरगढ़ फीडर का तार लटक रहा है। खंभे 50 मीटर की बजाय 150 मीटर पर पोल लगाये गये हैं। मीरगंज बलूपुरा में बिजली कागजों पर मिल रही है। गौटिया बैरम में विभाग ने डीपीआर भी बना लिया था फिर उसे कैंसिल कर दिया। यह बताया गया था कि 25 एमवी का ट्रांसफार्मर, पोल सहित अन्य काम होना हैं। फिर डीपीआर कैंसिल करने की क्या वजह है। गांव में 10 घंटे से भी कम बिजली मिल रही है। इस पर समिति की सदस्य लीलवाती कुशवाहा ने बिजली विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए एक वीक के अंदर रिपोटर्1 मांगी।

अधिकारियों की हुई बोलती बंद

जांच समिति के सभापति सुनील कुमार चित्तौड़ ने ट्रांसमिशन के बन रहे बिजली घरों के बारे में बात की। इसमें दो प्राइवेट कंपनियों को काम की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। जिसमें से एक कंपनी बीच में ही काम छोड़ कर भाग गयी। सभापति पूछा कि उन्होंने इस संबंध में मुख्यालय को क्यों अवगत नहीं कराया। कंपनी के लाइसेंस रद़द करने या और चीजों के लिए आपने क्यों एक्शन नहीं लिया। इस बात पर ट्रांसमिशन के एसई और एक्सईएन की राय अलग-अलग रही। बैठक से गैर हाजिर रहे कर्मचारियों और अधिकारियों से भी जांच समिति ने लिखित जवाब मांगा हैं।