कोरोना की दूसरी लहर के बीच ही ब्लैक फंगस नाम की आफत ने देश में तेजी से पांव पसारे हैं। इस आफत ने देश के हजारों लोगों को जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने को मजबूर किया है। ब्लैंक फंगस से इंफेक्टेड पेशेंट्स की परेशानी और उनके ट्रीटमेंट को लेकर जो स्थितियां सामने आई हैं, उसने आम लोगों के मन में भी डर भर दिया है। ऐसा भी नहीं है कि ब्लैक फंगस सभी के लिए परेशानी का सबब बने, पर जिनको इससे खतरा हो सकता है उन्हें सर्तक रहने की जरूरत है। सतर्कता और सावधानी से वह इस आफत से बच सकते हैं।

कोरोना पॉजिटिव पेशेंट्स के लिए ब्लैक फंगस बड़ा खतरा बना हुआ है। इस खतरे को लेकर आम लोगों के मन में जो डर है, उसके पीछे जानकारी का भी अभाव भी बड़ा कारण है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने अपने रीडर्स और व्यूअर्स को ब्लैक फंगस और इससे बचाव की जानकारी देने के लिए खास वेबिनार का आयोजन किया। इसमें ब्लैक फंगस से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए जो एक्सप‌र्ट्स पैनल मौजूद रहा उसमें गर्ग हॉस्पिटल एंड पैथलैब्स प्रा.लि। के ईएनटी सर्जन डॉ। गौरव गर्ग, क्लारा स्वैन मिशन हॉस्पिटल के ऑरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ। हिमांशु शर्मा और गंगा ज्योति आई हॉस्पिटल के कंसलटेंट आई सर्जन डॉ। अमित राठौर शामिल रहे। वेबिनार में इन एक्सप‌र्ट्स ने ब्लैक फंगस को लेकर रीडर्स और व्यूअर्स के सवालों के जवाब भी दिए और उन्हें इससे बचने उपाय भी बताए।

डॉक्टरों के जवाब

ब्लैक फंगस कोई देखने में काले रंग का नहीं है, बल्कि यह जिस एरिया को इंपेक्ट करता है उस एरिया में ब्लड सर्कुलेशन को बंद कर देता है। इससे इंफेक्टेड एरिया ब्लैक हो जाती है। कोराना के पीरियड में यह फंगस तेजी से ग्रो किया है। इसकी वजह फिलहाल तो अनकंट्रोल शुगर व डायबिटिज ही सामने आ रही है। बेसिकली यह फंगस एनवायरमेंट में होता है और नाक के जरिए एंट्री करता है। नाक बंद होना, सूजना आना, नाक से काला खून आना, एक साइड में असहनीय दर्द होना, नाक के आस-पास की स्किन ब्लैक होना आदि इसके मुख्य लक्षण है। इससे बचने के लिए अपनी इंम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाना है, शुगर को कंट्रोल रखना है।

डॉ। गौरव गर्ग

ब्लैक फंगस के नाम से ही लोगों में डर है। यह फंगस नाक से होकर ही आंख तक पहुंचता है। इसकी तीन स्टेजेज होती हैं। फ‌र्स्ट स्टेज में यह नाक में रहता है, सेकेंड स्टेज में यह साइनसेस में और थ‌र्ल्ड स्टेम में यह आरबेट में पहुंचता है। इसलिए जब यह इंफेक्शन नाक में होता है तभी इसको लेकर अलर्ट होने की जरूरत है। आंख तक यह इंफेक्शन पहुंचेगा तो विजन प्राबलम होगी, स्वेलिंग होगी और आई बॉल के चारों ओर भी अच्छी खासी स्वेलिंग होगी, आई बॉल का मूवमेंट भी प्रॉपर नहीं होगा, ऐसा लगेगा जैसे आंख बाहर आ रही हो। इसके बाद भी घबराने की जरूरत नहीं है। सामान्य लक्षण होने पर इसका खतरा नहीं मान लेना चाहिए। परेशानी होने पर डॉ। से जरूर संपर्क करें।

डॉ। अमित राठौर

कोविड में पैनिक होने की वजह से डर है। इससे ही डॉ। में भी पैनिक है। मुंह में आम परेशानी होने पर भी लोगों को ब्लैक फंगस की आशंका डराने लगती है। ब्लैक फंगस का इंफेक्शन अधिकांश पोस्ट कोविड पेशेंट्स में ही देखा जा रहा है। मुंह या चेहरे में इसका असर एडवांस स्टेज में देखने को मिलता है। इस स्टेज में जीभ में ब्लैक स्पाट, स्वेलिंग, चेहरे में सुन्नपन जैसी परेशानी होने लगती है। कोविड पेशेंट को इस परेशानी से बचने के लिए माउथ हाइजीन का विशेष ध्यान रखना है। प्रापर माउथ वाश करना है। डेंटिस्ट को भी डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें पशेंट की कोविड हिस्ट्री लेनी है। पेशेंट को प्रॉपर माउथ वॉश कराना है। उसे आगे की ट्रीटमेंट के लिए गाइड करना है।

डॉ। हिमांशु राठौर

सवाल : वैसे यह माना जा रहा है कि कोराना पेशेंट को ही ब्लैक फंगस का खतरा है, पर क्या दूसरी कंडिशन भी ऐसी बन सकती है कि जिससे बिना करोना के भी यह इंफेक्शन हो जाए।

जवाब : पहली बार यह नहीं आई है, पहले यह साल में एक या दो मिलते थे, पर अब ज्यादा सामने आ रहे हैं। जिनकी इम्यूनिटि बहुत डाउन है, जिनको किडनी संबंधी परेशानी है, किडनी ट्रांसप्लांट की गई हो, शुगर अनकंट्रोल हो ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस का इंफेक्शन जल्दी हो सकता है। फंगस हमारी बॉडी में रहते हैं, पर जब इम्यूनिटी वीक होती है तो यह ग्रो कर जाते हैं। इसलिए हमें इम्यूनिटी मजबूत रखनी है।

सवाल : ब्लैक फंगस का इंफेक्शन होने से इसके खतरनाक स्टेज तक पहुंचने में कितना वक्ल लगता है। इसको इग्नोर करना कितना भारी पड़ सकता है।

जवाब : ब्लैक फंगस एक बहुत ही एग्रेसिव इंफेक्शन है। सिमटम दिखाई देने के बाद भी अगर कोई इसको इग्नोर करता है तो वह अपनी जान को खतरे में डालता है। बिना कोरोना के भी ब्लैक फंगस का इंफेक्शन होने की बात सामने आ रही है, पर यह भी देखा जा कि ऐसे पेशेंट्स ने अपनी कोविड जांच ही नहीं कराई। इसलिए सबसे पहले कोविड इंफेक्शन को लेकर बहुत ही अलर्ट रहने की जरूरत है। शरीर में थकावट महसूस होने या अन्य कोई परेशानी होने पर टेस्ट करान बहुत जरूरी है। डायबिटिक कोविड पेशेंट तो बेहद अलर्ट व अवेयर रहने की जरूरत है।

सवाल- यह भी सुना जा रहा है कि ब्लैक फंगस कूलर की हवा और स्टीम से भी फैलता है। क्या ऐसा भी हो सकता है।

जवाब: कूलर की हवा या स्टीम लेने से ब्लैक फंगस इंफेक्शन होने का खतरा नहीं हो सकता है। यह खतरा इम्यूनिटी डाउन होने से रहता है। इसी तरह गार्डनिंग करने से ब्लैक फंगस का खतरा होने की बात भी पूरी तरह सही नहीं है। इतना जरूर है कि जिनकी इम्यूनिटी वीक है या जो अनकंट्रोल शुगर के पेशेंट हैं या ऑर्गन ट्रांसप्लांट वाले पेशेंट हैं, उन्हें कुछ हद तक इससे बचने की सलाह दी जा सकती है। कोविड पेशेंट्स में इम्यूनिटी डाउन होने से ही ब्लैक फंगस के केसेस बढ़े हैं।