बरेली (ब्यूरो)। स्टूडेंट्स में राष्ट्र प्रेम और मॉरल कैरेक्टर डेवलप करने के लिए ग्रेजुएशन के कोर्स में कई बदलाव किए गए है। यह बदलाव न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत किए गए हैं। यूपी के सभी नेशनल यूनिवर्सिटीज के स्लेबस यह एड ऑन किया गया है। इसके तहत ही स्टूडेंट्स को अब हिन्दी में अदर स्लेबस के साथ-साथ बालीवुड की पैट्रियोटिक फिल्म्स के गाने, कविताएं और मूवीज के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।

बीए के स्लेबस में है कोर्स
बीए के फिफ्थ सेमेस्टर में हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य नाम से पूरा एक कोर्स तैयार किया गया है। इसमें हिन्दी की राष्ट्रीय काव्य चेतना से जुड़े कवियों की रचनाओं को शामिल किया गया। इसका उद्देश्य स्टूडेंट्स मेें राष्ट्र प्रेम को बढ़ाना है। इस कोर्स में मैक्सीमम पासिंग माक्र्स 25 प्लस 75 हैं तो मिनिमम पासिंग माक्र्स 10 प्लस 30. वहीं पांच क्रैडिट माक्र्स हैं।

स्टूडेंट्स को दिखाई जाएंगी फिल्में
इस सेमेस्टर में स्टूडेंट्स को देश के लिए बनी कई फिल्में दिखाई जाएंगी। इस स्लेबस में सेशनल एग्जाम के चलते स्टूडेंट्स को 25 नंबर का इंटरनल एग्जाम देना होगा, जिसमें स्टूडेंट्स को फिल्म की समीक्षा लिखनी होगी। इसमें कई मूवीज शामिल हैं। जैसे कि उरी द सर्जिकल स्ट्राइक, केसरी, गांधी, शहीद, उपकार, हकीकत, आनंदमठ। इन सभी में से एक मूवी की समीक्षा लिखनी होगी।


अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं भी
बरेली कॉलेज के हिन्दी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। निरुपम शर्मा ने बताया कि समकालीन राष्ट्रीय काव्य में अटल बिहारी वाजपेयी की कदम मिलाकर चलना होगा, उनकी याद करें। सोहनलाल द्विवेदी की मातृभूमि, तुम्हें नमन, डॉ। रमेश पोखरियाल &निशंक&य की मातृ वंदना, हम भारतवासी जैसी कविताएं शामिल हैं।

फिल्मी गीत है शामिल
कवि मूवी गाना
कवि प्रदीप किस्मत आज हिमालय की चोटी से हमने ललकारा है
गैर ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी
जाग्रती हम लाए हैैं तूफान से कश्ती निकाल के, आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की
साहिर लुधियानवी नया दौर ये देश है वीर जवानों का
प्रेम धवन, हम हिन्दुस्तानी, छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
नीरज, काबुलीवाला, ऐ मेरे प्यारे वतन
कैफी आजमी, हकीकत, कर चले हम फिदा जाने वतन साथियो
राजेन्द्र आजमी, सिकंदर-आजम, जहां डाल-डाल पर सोने की चिडिय़ा करती है बसेरा
गुलशन बावरा, उपकार, मेरे देश की धरती सोना उगले
इंदीवर, पूरब और पश्चिम, है प्रीत जहां की रीत सदा
प्रसून जोशी, फना, देस रंगीली रंगीला देश मेरा रंगीला

अन्य कवि भी हैं शामिल
इसमें छायावादोत्तर के बालकृष्ण शर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, श्यामलाल गुप्त, सोहनलाल द्विवेदी, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, माखनलाल चतुर्वेदी, जय शंकर प्रसाद आदि मौजूद शामिल हैैं।


इस स्लेबस को तैयार करने वाली टीम में मैैं भी शामिल थी। इसके जरिए लोगों में राष्ट्र के लिए प्रेम की भावना जागरूक होगी। वहीं कई ऐसी फिल्में हैं जिन्हें जरूर देखना चाहिए। इस कोर्स में उन्हें भी शामिल किया गया है।
प्रो। परमजीत कौर, एचओडी हिन्दी विभाग

सभी को देश की संस्क़ति से जुड़ा रहना चाहिए। यह एक प्रयास है, जिससे स्टूडेंट्स बहुत कुछ सीखेंगे। भारतीए ज्ञान परंपरा और संस्कृति से जुडेंगे।
डॉ। अरविंद कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर