दबिश पर जाने से पहले मनोज ने पत्‍‌नी को किया था फोन

पुलिस लाइंस में सलामी के दौरान नम हुई सभी की आंखें

BAREILLY: 'शशि मैं दबिश में जा रहा हूं। तुम फोन मत करना। मैं खुद रात में लौट कर फोन कर लूंगा। शहीद दारोगा मनोज कुमार मिश्र ने दबिश पर जाते वक्त ये अन्तिम लफ्ज पत्‍‌नी से बोले थे। पत्‍‌नी को क्या पता था कि पति से उनके जीवन की ये आखिरी बात होगी। वह तो पति के फोन आने का इंतजार कर रही थी। जब पति की मौत की खबर आई तो उसे एकबारगी विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उसकी तो दुनिया ही उजड़ गई थी। पति के कहे आखिरी शब्दों को दोहरा-दोहरा कर रो रही थी। दर्द का सैलाब कुछ यूं बहा कि आंसू भी कम पड़ गए।

छुट्टियों में जाते थे घर

मनोज कुमार मिश्रा का जन्म सीतापुर के लहरपुर गांव में हुआ था। वह अपनी नानी के गांव में हरदासपुर लखीमपुर खीरी में रहते थे। उनके परिवार में पिता श्याम मुरारी, मां रामा देवी, दो भाई पंकज मिश्रा व मानू मिश्रा, पत्‍‌नी शशि और तीन बच्चे दिव्यांशी, प्रियांशी व अभिनव हैं। मनोज की पत्‍‌नी व तीनों बच्चे गांव में ही रहते हैं। मनोज छुट्टियों में ही गांव चले जाते थे।

मंडे को ही पत्‍‌नी गइर् थीं घर

पिता ने बताया कि मनोज 28 अगस्त को एक दिन की छुट्टी लेकर घर आया था। वह किसी रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में शामिल होने आया था। कुछ दिनों पहले पत्‍‌नी शशि उसके पास फरीदपुर चली गई थी। शशि सोमवार को ही फरीदपुर से वापस गांव गई थीं। मनोज घर में सबसे बड़े थे, इसलिए उनके ऊपर ही सबसे ज्यादा जिम्मेदारी थी। एक भाई विकलांग है और छोटे भाई की कुछ दिनों पहले ही शिक्षामित्र से टीचर की जॉब मिली है। मनोज अपने घर का पूरा ख्याल रखते थे।

मेरी तो दुनिया ही लुट गई

मनोज की पत्‍‌नी शशि ने बताया कि वेडनसडे रात में 9 बजकर 15 मिनट पर मनोज का फोन आया था। मनोज ने उनसे कहा कि वह दबिश देने जा रहे हैं। इसलिए वह फोन न करें। वह जब फ्री होंगे तो खुद ही फोन कर लेंगे। इतनी बात कहते ही शशि फूट-फूटकर रोने लगी। शशि रोते-रोते कह रही थी कि उसके पति कहते थे कि यदि उन्हें गोली लग गई तो वह क्या करेगी। पुलिस लाइंस में एसएसपी के सांत्वना देते वक्त शशि बोली कि उसकी तो दुनिया ही लुट गई है। उसके बच्चे तो अनाथ हो गए। अब वह किसके सहारे रहेगी। मनोज के पिता भी लगातार फूट-फूटकर रोते रहे। सलामी के बाद जब आईजी व डीआईजी परिवार से मिलने पहुंचे तो पिता दोनों पुलिस अधिकारियों के गले मिलकर ही रोने लगे। जिस पर अधिकारियों ने पूरी मदद का भरोसा दिलाया।

सीएमओ की मौजूदगी में पोस्टमार्टम

थर्सडे को मनोज का पोस्टमार्टम सीएमओ की मौजूदगी में डॉक्टर एके गुप्ता व डॉक्टर वागीस के पैनल ने किया। पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि मनोज को सामने से पेट में गोली थी, जो पीठ के पास जाकर हड्डी में फंस गई थी। पोस्टमार्टम में गोली को निकाल लिया गया। वहीं एफएसएल मुरादाबाद टीम के डॉक्टर अरुण भी केस की जांच के लिए पहुंचे।

दारोगा को भावभीनी श्रद्धांजलि

दारोगा मनोज की शहादत पर सभी पुलिसकर्मियों की आंखें नम हो गई। दोपहर में करीब 1 बजे मनोज के शव को पोस्टमार्टम के बाद पुलिसलाइंस ले जाया गया। यहां पर आईजी, डीआईजी, व एसएसपी, एसपी क्राइम, एसपी सिटी, एसपी ट्रैफिक व अन्य पुलिसकर्मियों ने फूल-माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी, जिसके बाद मनोज को अंतिम सलामी दी गई। आईजी विजय सिंह मीना ने बताया कि मनोज के परिवार को विभागीय स्तर पर पूरी मदद की जाएगी। उनकी पत्‍‌नी को एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी पेंशन के साथ 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी दी जाएगी।