केस 1.

रिठौरा स्थित जीत राम स्मारक इंस्टीट्यूट के एडमिशन के समय बीटेक स्टूडेंट्स से 25 से 30,000 रुपए बतौर फीस चार्ज किए। स्टूडेंट्स को कोई जानकारी नहीं दी गई कि उन्हें और कितनी फीस जमा करनी है। एग्जाम से ठीक पहले इंस्टीट्यूट ने स्टूडेंट्स से बाकी फीस के नाम पर 20 से 45,000 रुपए तक और मांगे। अचानक इतनी रकम मांगने से स्टूडेंट्स सकते में थे। जिन्होंने नहीं दी उनको एडमिट कार्ड रोक शुरुआती परीक्षाओं से वंचित कर दिया गया।

केस 2.

संजीव शहर के एक इंस्टीट्यट से बीटेक फ‌र्स्ट ईयर का छात्र है। उससे शुरू में 30,000 रुपए एडमिशन फीस ली गई। फिर अचानक एग्जाम से पहले इंस्टीट्यूट ने यह कहकर उससे दोबारा फीस मांगी उसकी स्कॉलरशिप की रकम काफी कम आई है। उससे इंस्टीट्यूट ने फिर से 30,000 रुपए एक्स्ट्रा की डिमांड की। न देने के ऐवज में उसका एडमिशन निरस्त करने की धमकी दी।

केस 3.

दिलीप भी एक इंस्टीट्यूट से बीटेक फ‌र्स्ट ईयर का छात्र है। इंस्टीट्यूट ने उससे एडमिशन के शुरू में 25 रुपए चार्ज किए। फीस की कोई डिटेल नहीं दी। एग्जाम से पहले इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट ने कहा कि उसका स्कॉलरशिप फॉर्म रिजेक्ट हो गया है। वह बाकी की फीस जमा कर दे। इंस्टीट्यूट ने उससे 20,000 रुपए फीस की मांग की। फीस जमा न करने पर उसका एडमिट कार्ड रोक दिया गया।

BAREILLY: इंजीनियरिंग में अपना भविष्य संवारने की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स एडमिशन के समय जरा सावधान रहें। इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजेज में एडमिशन के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया 16 जून से स्टार्ट होगी। इंस्टीट्यूट्स मैनेजमेंट एडमिशन के समय स्टूडेंट्स को तमाम तरह के प्रलोभन देकर एडमिशन दिलाने में कामयाब तो हो जाते हैं लेकिन कई तरह के हथकंडे अपना कर वे स्टूडेंट्स को पूरे कोर्स भर तंग करते हैं। हर सेमेस्टर में उनसे किसी न किसी बहाने से एक्स्ट्रा फीस वसूली जाती है। उन्हें फीस की डिटेल भी नहीं दी जाती है। किस मद में कितनी फीस ली जा रही है। इसकी भी कोई डिटेल प्रोवाइड नहीं कराते हैं।

अंडरटेकिंग ले लेते हैं

इंस्टीट्यूट्स मैनेजमेंट बड़ी चालाकी से स्टूडेंट्स के साथ इस तरह का गोरखधंधा करते हैं। वे एडमिशन के समय स्टूडेंट्स कम फीस में ज्यादा फैसिलिटीज प्रोवाइड कराने का सब्जबाग दिखाते हैं। फैसिलिटीज के नाम पर बड़ी लाइब्रेरी, वाइफाई युक्त कैंपस, कम्प्यूटर हॉल, कैफेटीरिया, पिकनिक, जिम समेत कई तरह के दावे करते हैं। स्टूडेंट्स भी उनके झांसे आ जाते हैं। एडमिशन के समय स्टूडेंट्स से 20 से 45,000 रुपए की एक अनुमानित रकम फीस के नाम पर चार्ज करते हैं। इसके लिए वे स्टूडेंट्स और पेरेंट्स से अंडरटेकिंग लेते हैं कि वे इंस्टीट्यूट द्वारा बताई जा रही फीस को अपने सुविधा अनुसार पे कर रहे हैं।

खुद भरते हैं स्कॉलरशिप फार्म

एक बार फीस जमा करने के बाद इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट गिरगिट की तरह अपना रंग बदलने लगता है। स्टूडेंट्स के सारे डॉक्यूमेंट्स अपने पास रखवा लेता है। स्टूडेंट्स को यह कह दिया जाता है कि उनकी फीस प्रतिपूर्ति और स्कॉलरशिप का फॉर्म वे खुद ही भर देंगे। फॉर्म ऑनलाइन भराए जाते हैं। इंस्टीट्यूट सभी स्टूडेंट्स के फॉर्म खुद ही भरते हैं। किसी भी स्टूडेंट को भरने नहीं देते।

गुमराह कर उठाते हैं फायदा

इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट द्वारा स्कॉलरशिप और फीस प्रतिपूर्ति का फॉर्म भरे जाने पर स्टूडेंट्स को कुछ पता नहीं होता। उनका खाता है भी कि नहीं, उनके नाम पर कितनी स्कॉलरशिप व फीस प्रतिपूर्ति की रकम आई, यह कुछ भी पता नहीं चलता। जिसका फायदा इंस्टीट्यूट्स मैनेजमेंट उठाते हैं। स्टूडेंट्स को इसके नाम पर गुमराह करते हैं। उनकी स्कॉलरशिप भी हड़प लेते हैं और स्टूडेंट्स को भटका कर उनसे एक्स्ट्रा फीस भी वसूलते हैं।

नहीं होती लोकल स्तर पर सुनवाई

एक्स्ट्रा फीस जमा करवाने के लिए इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट एग्जाम के समय ही सबसे ज्यादा दबाव बनाते हैं। एग्जाम में अपीयर होने के लिए स्टूडेंट चुपचाप सबकुछ सहन कर जाते हैं। जो जमा नहीं कर पाते हैं उनको परीक्षा से भी बाहर कर दे रहे हैं। स्टूडेंट्स इंस्टीट्यूट्स मैनेजमेंट के इस तरह की करतूतों से काफी परेशान हैं। प्रशासनिक विभागों का चक्कर काटते रहते हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती। इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स यूपीटीयू से एफिलिएटेड हैं। ऐसी कंप्लेन की सुनवाई शासन स्तर पर होती है। इसका फायदा यह निजी संस्थान उठा रहे हैं।