बरेली (ब्यूरो)। जान बचाने के लिए दौड़ रहीं एंबुलेंस ही जानलेवा बन रहीं है। पूरे जनपद में लगभग 1000 से अधिक एंबुलेंस सडक़ पर दौड़ रही हैं। इनमें 289 प्राइवेट और 86 सरकारी एंबुलेंस ही रजिस्टर्ड हंै। इनके अलावा शेष एंबुलेंस का कोई डटा आरटीओ में दर्ज नहीं है। अब बात करे फिटनेस की तो इन 375 एंबुलेंस में से 88 अनफिट हैं। इसके बावजूद जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर नहीं है। जब सरकारी महकमा ही इन एंबुलेंस की फिटनेस को लेकर संजीदा नहीं हैं तो प्राइवेट एंबुलेंस का जिक्र ही छोड़ दीजिए। जिले में ऐसी प्राइवेट व सरकारी एंबुलेंस भी पेशेंट्स को लेकर रोड पर फर्राटा भर रही हैं, जिनका फिटनेस एक्पायर हो चुका है। इन अनफिट एंबुलेंस में बैठना पेशेंट्स और उनके अटेंडेंट के लिए खतरे से खाली नहीं है।

हादसों का हो रहे शिकार
इसकी बानगी बीती 31 मई को फतेहगंज पश्चिमी में देखने को मिल चुकी है, जहां पर कैंटर और एंबुलेंस की टक्कर में सात लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस की जांच में सामने आया कि प्राइवेट एंबुलेंस पहले डिवाइडर से टकराई और दूसरी साइड में खड़े टैंकर में जा घुसी।

289 में 52 अनफिट
आरटीओ के आंकड़ों के अनुसार जिले में 289 प्राइवेट एंबुलेंस आरटीओ में रजिस्ट्रर्ड हैं। इनमें से 52 प्राइवेट एंबुलेंस ऐसी हैं, जिनका फिटनेस काफी समय पहले एक्सपायर हो चुका है। लेकिन, एंबुलेंस स्वामियों ने दोबारा फिटनेस नहीं कराया है। विभाग की ओर से ऐसे एंबुलेंस स्वामियों को नोटिस भी जारी किया जा चुका है, लेकिन नतीजा सिफर रहा।

सरकारी एंबुलेंस: 86 में 36 अनफिट
प्राइवेट तो अलग बात है, जब सरकारी महकमा ही एंबुलेंस का फिटनेस कराने के प्रति गंभीर नहीं है। जिले में 86 सरकारी एंबुलेंस आरटीओ में रजिस्ट्रर्ड हैं। जिसमें से 36 एंबुलेंसों का फिटनेस एक्सपायर हो चुका है। नोटिस भेजने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने एंबुलेंसों का फिटनेस कराने को संजीदा नहीं हैं।

1000 के करीब प्राइवेट एंबुलेंस सडक़ों पर
यह बात तो अलग है कि आरटीओ में मात्र 289 एंबुलेंस रजिस्ट्रर्ड हैं। लेकिन हकीकत इसके उलट बयां करती है। शहर की सडक़ों पर वर्तमान में एक हजार के करीब प्राइवेट एंबुलेंस दौड़ रही हैं। अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन एंबुलेंस का आरटीओ में रजिस्ट्रेशन ही नहीं है, उनकी फिटनेस और कंडीशन क्या होगी।

15 वर्ष से ऊपर की कई एंबुलेंस
एआरटीओ प्रशासन मनोज कुमार ने बताया कि जिले में काफी संख्या में सरकारी और प्राइवेट एंबुलेंस ऐसी हैं, जिनका फिटनेस एक्सपायर हो चुका है। साथ ही ऐसी भी कई एंबुलेंस हैं, जो 15 वर्ष से ज्यादा की आयु पार कर चुकी हैं। न तो उनका री-रजिस्ट्रेशन कराया गया है, न ही फिटनेस। ऐसे में उन्हें नोटिस जारी किया जा चुका है।

बरती जा रही लापरवाही
एआरटीओ प्रशासन ने बताया कि एंबुलेंस का फिटनेस कराने की फीस मात्र 600 से 700 रुपए है। इसके बाद भी एंबुलेंस स्वामी डेट एक्सपायर होने के बाद फिटनेस कराने में लापरवाही बरतते हैं। यह ही लापरवाही मरीजों की जान पर बन आती है। ज्यादातर को नोटिस भी जारी कर दिया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा। ऐसी एंबुलेंस के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

वसूलते हैं मनमाना किराया
प्राइवेट एंबुलेंसों का किराया निश्चित नहीं है। सभी प्राइवेट एंबुलेंस चालक मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर मनमाना किराया वसूलते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पड़ताल में अलग-अलग एंबुलेंस के चालकों ने अलग-अलग किराया बताया। इनका किराया पूर्व में निर्धारित भी किया गया था पर उसे इन लोगों द्वारा दरकिनार कर दिया गया।

फैक्ट एंड फिगर
289 प्राइवेट एंबुलेंस रजिस्ट्रर्ड हैं जिले
52 प्राइवेट एंबुलेंस अनफिट
86 सरकारी एंबुलेंस रजिस्ट्रर्ड हैं पूरे जिले में
36 सरकारी एंबुलेंस का नहीं कराया फिटनेस
1000 के करीब एंबुलेंस सडक़ों पर दौड़ रहीं पूरे जिले में
600 से 700 रुपए फीस है फिटनेस की

वर्जन
जिले में 289 प्राइवेट एंबुलेंस में से 52 और 86 सरकारी एंबुलेंस में से 36 एंबुलेंस का फिटनेस एक्सपायर हो चुका है। सभी को नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
मनोज कुमार, एआरटीओ प्रशासन


हमारे पास पूरे जनपद में मात्र दो लाइफ सेविंग एंबुलेंस हैं। बाकी एंबुलेंस एजेंसी संचालित करती है। आरटीओ से नोटिस जारी करने के बाद उनसे लिखित में जवाब मांगा गया है। इसके साथ ही हिदायत दी गई है कि खराब गाडिय़ों को बदल कर नई गाड़ी लगाई जाएं।
डॉ। बलवीर सिंह, सीएमओ