-आरयू में 1998 से नहीं हुए यूनिवर्सिटी कोर्ट का इलेक्शन

-गवर्नर ने यूनिवर्सिटी को जल्द चुनाव कराने के दिए निर्देश

>BAREILLY

पिछले 18 वर्षो यूनिवर्सिटी कोर्ट का चुनाव न कराकर डिसीजन में मनमानी कर रहे आरयू एडमिनिस्ट्रेशन को गवर्नर की फटकार पड़ी है। साथ ही, अविलम्ब चुनाव कराने के निर्देश भी दिए हैं। फटकार के बाद हरकत में आए यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी।

1998 में हुए हैं चुनाव

आरयू के लाइफटाइम मेम्बरशिप होल्डर राजेश जैन ने पिछले दिनों कोर्ट चुनाव न होने की शिकायत गवर्नर राम नाईक से की थी। उन्होंने पत्र के माध्यम से गवर्नर को बताया कि यूनिवर्सिटी में लास्ट टाइम 1998 में चुनाव हुए थे। इसके बाद से चुनाव प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अभी तक कोर्ट मेम्बर के चुनाव नहीं हुए। इस कारण स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स नहीं उठाई जा पा रही है। यूनिवर्सिटी मनमाने तरीके से निर्णय लेती है, इस शिकायत को हुए गवर्नर ने गंभीरता से लिया और सात जनवरी को गवर्नर के सचिव चन्द्र प्रकाश ने आरयू वीसी को पत्र भेजा है कि जल्द से जल्द कोर्ट चुनाव कराए जाएं।

क्या होती है यूनिवर्सिटी कोर्ट

उप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1972 के तहत यूनिवर्सिटी कोर्ट में 50 सदस्यीय कमेटी होती है। इसमें 35 सदस्य एमपी, एमएलए, एमएलसी, गवर्नमेंट डिग्री के प्रिंसिपल और प्रोफेसर्स होते हैं। वहीं 15 सदस्य वह मेधावी स्टूडेंट्स होते हैं, जो 51 रुपए की फीस चुकाकर यूनिवर्सिटी की लाइफटाइम मेम्बरशिप ले लेते हैं। यह कमेटी यूनिवर्सिटी के संचालन के संबंध में निर्णय लेती हैं। स्टूडेंट्स की समस्याओं को उठाती है, लेकिन बीते 18 साल से यूनिवर्सिटी कोर्ट के चुनाव हुए हैं। जिससे यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन मनमाना रवैया अपना रही है।

कोर्ट के चुनाव से संबंधित सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। जल्द ही प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। गवर्नर के आदेश को जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा।

एसएल मौर्य, रजिस्ट्रार, आरयू