- देर तक चलती रही तकरीर, देश विदेश से पहुंचे उलमाशबाब पर पहुंचा उर्स-ए-रजवी

- जुलूस और पताका बने उर्स के गवाह, रजा। के नारों संग हुई चादरपोशी और गुलपोशी

BAREILLY:

'पत्ती पत्ती फूल फूल या रसूल या रसूल', इश्क मोहब्बत इश्क मोहब्बत आला हजरत, आला हजरत, कुछ इन्हीं पंक्तियों के साथ 97वां उर्स ए रजवी में मंडे को शिरकत करने वाले हजारों जायरीन पहुंचे। आला हजरत की खिदमत में हाजिरी दर्ज कराने के लिए सुबह से रात काफिलों में जायरीन पहुंचते रहे। शहर के कई रास्तों से होते हुए इस्लामिया ग्राउंड और दरगाह तक लंबी चादरों के साथ जत्थे की शक्ल में जायरीन का तांता लगा रहा। हर उम्र के लोग लाउडस्पीकर पर आला हजरत जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। देर रात 1.40 बजे मुफ्ती आजम हिन्द का कुल हुआ। फिर अहसन मियां ने अमन व शांति की दुआ की।

मजहब की खिदमत करेगा भविष्य

उर्स-ए-रजवी के पाक मौके पर स्टूडेंट्स ने अंग्रेज़ी, हिन्दी, उर्दू, अरेबिक और फारसी में तकरीरों का जबरदस्त प्रोग्राम प्रस्तुत किया। जिसमें मन्जरे इस्लाम और मरकजी तन्जीमुल मदारिस के स्टूडेंट्स शामिल थे। प्रोग्राम की अध्यक्षता अहसन मियां ने की। स्टूडेंट्स ने तकरीरों के माध्यम से इरादों का सुबूत पेश करते हुए बताया कि वह पढ़ाई के बाद मुल्क कौम और मजहब की खिदमत में रहेंगे। उन्होंने भ्रष्टाचार, खून खराबा और मानवाधिकारों की रक्षा और आतंकवाद को खत्म करने की बात रखी। दूसरी ओर, उर्स-ए-रजवी के मौके पर इस्लामियां ग्राउंड में लगे बुक स्टॉल से जायरीन ने आला हजरत पर लिखी पुस्तकें, कैलेंडर, झंडे, जरी जरदोजी, कंबल, वूलेन क्लॉथ समेत अन्य स्टॉल्स पर जमकर चटखारे लगाए।

786 के नोटों से लिखा उर्स-ए-रजवी

उर्स-ए-रजवी के पाक मौके पर हल्द्वानी के जावेद रजा ने 786 नम्बर के नोटों से उर्स-ए-रजवी लिखकर देश को उर्स की मुबारकवाद दी है। देर शाम उर्स में शिरकत करने आए जावेद को बचपन से ही 786 नम्बर के नोटों को जमा करने का शौक था। जावेद का मोबाइल का नंबर, सिम नम्बर। टेलीफोन बिल, टिकट, पानी के बिल, सुडोकु नं। सभी का आखिरी नं 786 है। जावेद के पास अभी तक इस नं। के करीब 4786 नोटों का कलेक्शन है।

दखलंदाजी न करे सरकार

उर्से रेहाने मिल्लत, तहफ्फुज्जे मुसलमान हिन्द और तहफ्फुज्जे मुस्लिम पर्सनल लॉ कान्फ्रेंस ने मंडे को आयोजित मुस्लिम पर्सनल लॉ की मीटिंग की। मौलाना सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन अहसन मियां ने सदारत की। सुबह 9.58 बजे रेहाने मिल्लत का कुल शरीफ हुआ। कारी अब्दुर्रहमान साहब ने शजरा पढ़ा, मौलाना आकिल ने कुल शरीफ पढ़ा, मौलाना अनवर अली ने दुआ की। जिसके बाद कान्फ्रेंस हुई। कान्फ्रेंस में बुद्धिजीवियों और आलिमों ने देश के मुसलमानों की सुरक्षा पर और मुस्लिम पर्सनल लॉ की सुरक्षा को लेकर चिन्ता प्रकट की।

किताब में तब्दील हो मुस्लिम लॉ

मुस्लिम पर्सनल लॉ की सुरक्षा के लिए देश विदेश से आये उलमा और मुफ्तियों का एक बोर्ड बनाने की योजना रखी गई। जिसमें हनफी, शाफई, मालिकी, हम्बली मुफ्तियों को रखने की मांग की गई। उन्हें मिलजुल कर निकाह, तलाक, विरासत, नान नफ्का इद्दत, वसीयत व अन्य मुस्लिम पर्सनल लॉ से सम्बन्धित शरीअत के लिए अहकाम और मसाइल को किताब में एकत्र करने की मांग की। इसके बाद सरकार से पार्लियामेन्ट में बिल लाकर इस मुस्लिम पर्सनल लॉ पर आधारित पुस्तक को मान्यता दिलाने की योजना रखी। ताकि मुसलमानों के मुकदमों जैसे निकाह, तलाक, इद्दत, खुला व अन्य से संबंधित फैसले हो सकें। जिससे लॉ बोर्ड को खत्म कर कॉमन सिविल कोड बनाया जा सके।

पहले बढ़ावा देते हैं फिर खेलते हैं खूनी खेल

टीटीएस राष्ट्रीय महासचिव मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि मुसलमानों को देश का नागरिक होने के नाते भ्रष्टाचार के खात्मे की मुहिम चलाने की जरूरत है। दरगाह आला हजरत भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाएगी। दूसरी ओर, हजरत मुख्तार अहमद बहेड़वी ने मुस्लिम समाज में फैली बेरोज़गारी के खात्मे की मुहिम चलाने का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि आईएस, तालिबान, अलकायदा आतंकी संगठन की भ‌र्त्सना की। संगठनों को बनाने में अमेरीका, रूस, बरतानिया, इस्त्राईल और फ्रांस देशों का अहम रोल बताया। इस मौके पर परवेज खान नूरी, हाजी जावेद खान, शाहिद खान नूरी, अजमल नूरी, ताहिर अल्वी, शान सुब्हानी, तारिक सईद, औरंगजेब खां नूरी, मन्जूर खान, सैयद माजिद मुजाहिद बेग व अन्य मौजूद रहे।