बरेली (ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से इस वित्तीय वर्ष में रेवन्यू बढ़ाने के लिए टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य 44 करोड़ तय किया गया था। मार्च माह शुरू हो चुका है और अब तक करीब 35 करोड़ टैक्स कलेक्शन भी किया जा चुका है। लक्ष्य को साधने के लिए अब 30 दिनों में नौ करोड़ की वसूली करनी होगी। निर्धारित लक्ष्य पूरा हो, इसके लिए कर विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लगातार सीलिंग, नोटिस आदि की कार्रवाई की जा रही है, जिससे निगम अपने टैक्स कलेक्शन के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

की जा रही कार्रवाई
नगर निगम चार जोन में डिवाइड है, इसमें कुल 80 वार्ड है। शहर में कुल 1.42 लाख आवासीय व कमर्शियल भवन हैं। मार्च माह शुरू हो चुका है, लक्ष्य को देखते हुए निगम के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक ने कार्यशैली में तेजी लाना शुरू कर दिया है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी महातम यादव ने बताया कि टैक्स कलेक्शन के लिए लगातार टीमें काम कर रही हंंै, उम्मीद है मार्च के अंत तक निर्धारित लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। निगम में कर-करेत्तर का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष के लिए 67 करोड़ तय किया गया था। इसमें से अब तक करीब 50 करोड़ कर वसूल किया जा चुका है।

यहां सबसे अधिक वसूली
नगर निगम के चार जोनों में से अब तक सबसे अधिक वसूली जोन दो में की गई है। अधिकारी बताते हैैं कि जोन दो अधिक वसूला का एक कारण यह भी हैै कि इस जोन में अन्य की अपेक्षा अधिक कमर्शियल व आवासीय भवन हैैं।

60 हजार से अधिक नए कर दाता
जीआईएस सर्वे के माध्यम से अब तक 60 हजार से अधिक नए कर दाता सामने आए हैैं। सभी भवनों का विस्तृत ब्योरा जानने के लिए नगर निगम की ओर से जीआईएस सर्वे कराया जा रहा है। कार्यदायी कंपनी ने 80 वार्डों में से 60 से अधिक वार्डों का सर्वे पूरा कर लिया है, मार्च तक कंपनी को 80 वार्डो का सर्वे पूरा करने का टारगेट दिया गया है। बता दें लंबे समय से कंपनी कछुए की चाल से सर्वे कर रही है, इस बार मार्च तक लक्ष्य को पूरा करने का दावा किया जा रहा है।

दो माह में भी नहीं पूरी हुई जांच
विगत वर्ष दिसंबर माह में नगर निगम के गृहकरदाताओं से फर्जी टैक्स कलेक्टर बन फर्जी रसीदें बनाकर टैक्स वसूली का प्रकरण सामने आया था। इसमें फर्जी रसीदों से कर वसूलने वालों ने करदाताओं को लाखों का चूना लगाया था। एजाज नगर मोहल्ले में सात भवनों से फर्जी रसीदें वसूल की गई थी। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ तहरीर भी दी गई थी। निगम में मामले की जांच के लिए कर निर्धारण अधिकारी ललतेश सक्सेना को जांचाधिकारी बनाया गया था। दो माह से अधिक का समय पूरा होने के बाद भी अब तक जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को नहीं सौंपी गई है।