-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के 'गर्मी लगी क्या' अभियान में खुलकर बोलीं महिलाएं

<-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के 'गर्मी लगी क्या' अभियान में खुलकर बोलीं महिलाएं

BAREILLYBAREILLY: महिलाओं के साथ आए दिन होने वाली वारदात, जहां बहुत ही गंभीर मामला है। वहीं उनकी सुरक्षा भी बहुत अहम मुद्दा है। पुलिस महिलाओं के साथ न ही वारदात रोक पा रही है और न ही पुलिस प्रशासन उन्हें सुरक्षा मुहैया करा पा रहा है। वेडनसडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन नायसिल 'गर्मी लगी क्या' में 'वूमेन सेफ्टी एंड सिक्योरिटी' पर बरेलियंस ने बेबाक होकर अपनी राय रखी। किसी ने महिलाओं के साथ हो रहे क्राइम, भेदभाव की वजह से होना बताया तो किसी ने समाज का डर दिखाकर चुप्पी साध लेने की वजह से क्राइम को बढ़ावा देने की वजह बताया।

कैंपेन की शुरुआत डीडीपुरम स्थित जीएलबी एकेडमी पर सुबह क्0.फ्0 बजे हुई। एकेडमी के डायरेक्टर जितेन्द्र शर्मा ने कहा कि पुलिस प्रशासन की ढीली कार्यप्रणाली के कारण महिलाएं अनसेफ फील करती हैं। कोई घटना होने पर उनसे पुलिस सबूत मांगती है। तरह-तरह के सवाल पूछे जाते हैं। कोर्ट-कचहरी के चक्कर आदि का डर दिखाया जाता है। वहीं, पेरेंट्स भी कोई घटना होने पर लड़की को समाज और इज्जत का डर दिखाकर उसे खामोश कर देते हैं, जो कि गलत है। घटना होने पर पेरेंट्स को लड़की के साथ खड़ा होना चाहिए। ताकि उसे सपोर्ट मिले। समीक्षा शर्मा ने कहा कि पेरेंट्स रात में बेटियों को बाहर भेजने से हिचकिचाते हैं। वहीं बेटों को खुली छूट देते हैं। पेरेंट्स के इस भेदभाव से भी बेटियां असुरक्षित महसूस करती हैं। शिवानी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि युवतियों को शालीन कपड़े पहनने चाहिए। कई बार उनके साथ होने वाली आपत्तिजनक घटना के पीछे उनका कपड़ा होता है। प्रिया ने कहा कि पेरेंट्स लड़कों नैतिकता का पाठ पढ़ाएं, तो छेड़छाड़ की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके अलावा अंजुम, कल्पना, शिवा ने टॉपिक पर अपने विचार रखे।

पुलिस दे महिलाओं को सुरक्षा

इसके बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम कुदेशिया फाटक स्थित कपूर ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज पहुंची। यहां टीचर रेनुका कहा कि पेरेंट्स बेटों को कुल दीपक मानते हैं, इसलिए उसे तो कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाते हैं। वहीं, बेटियों का एडमिशन साधारण स्कूल में कराते हैं। राखी सक्सेना ने कहा कि भारत पुरुष प्रधान देश माना जाता है। इसमें महिलाओं को आगे बढ़ाने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं किया जाता है। इस कारण महिलाओं की समस्याएं दबकर रह जाती हैं। अपर्णा मिश्रा ने बेटे की हरकतों को पेरेंट्स अनदेखा करते हैं, जबकि बेटियों को घर में कैद करके रखते हैं। बबिता राय ने कहा कि महिला-पुरुष के लिंग अनुपात में जो अंतर है। इसका एकमात्र कारण बेटे की चाहत है। सविता शर्मा ने कहा जब तक पुलिस प्रशासन सख्त नहीं होगा, तब तक महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस करेंगी।

बेटों की हो काउंसलिंग

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम का तीसरा और अंतिम पड़ाव कुर्माचल नगर स्थित अल्मा मातेर स्कूल रहा। इसमें टीचर राका ने कहा कि महिला और पुरुष समाज के दो पहिए हैं, लेकिन अक्सर महिलाओं की अनदेखी की जाती है, जिससे समाज बेपटरी हो रहा है। गुरजीत कौर ने अपने साथ हुई घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि बाइक सवार ने उनके पर्स और मोबाइल को छीनने का प्रयास किया। उन्होंने सूझबूझ ने वारदात को टाल दिया, लेकिन जब पुलिस में शिकायत की, तो तरह-तरह के सवाल किए गए। इस कारण उन्होंने शिकायत नहीं करना बेहतर समझा। प्रिंसिपल पूनम ढींगरा ने कहा कि पेरेंट्स को बेटे और बेटियों में अंतर नहीं करना चाहिए। वे जिस तरह बेटियों को शालीनता और सभ्यता का पाठ पढ़ाते हैं, उसी तरह बेटों को भी समझाना चाहिए। नेहा चौहान ने कहा कि वंश चलाने के लिए बेटा पैदा करने पर जोर दिया जाता है। जबकि, रावण के एक लाख पुत्र और सवा लाख नाती थे, लेकिन दु‌र्व्यसन के चलते उसके कुल का नाश हो गया। कैप्टन राजीव ढींगरा ने कहा कि बेटों में संस्कारों की कमी के चलते युवतियां और महिलाएं असुरक्षित फील करती हैं। आयुषी ने कहा कि बेटों की काउंसलिंग कराके छेड़छाड़ और रेप जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

वर्जन

प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा महिलाओं और युवतियों को भुगतना पड़ रहा है। घटनाओं की शिकायत होने पर उन्हें कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर समझौते का दबाव बनाया जाता है। इसलिए वे घटना होने पर चुप रहने में भलाई समझती हैं।

जितेन्द्र शर्मा, डायरेक्टर जीएलबी एकेडमी

युवतियों को सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाने चाहिए। ताकि, मुसीबत के समय में अपनी रक्षा खुद कर सकें। मनचलों को सबक भी मिलेगा। वहीं, पेरेंट्स को भी बेटे और बेटियों में अंतर नहीं करना चाहिए।

प्रेमा पाणनी

शासन ने यूपी क्00 और महिला हेल्पलाइन क्090 शुरू की है। यह सेवाएं पुलिस प्रशासन की लापरवाही से बेपटरी हो गई हैं। शिकायत करने पर भी युवतियों और महिलाओं को समय पर सुरक्षा नहीं मिल पाती है। बल्कि उन्हें टाल दिया जाता है।

अर्चना गहलौत, प्रिंसिपल

जब तक महिलाओं को उनके हक नहीं दिए जाएंगे, तब तक उनमें असुरक्षा की भावना रहेगी। महिलाओं की आवाज उठ सके, इसलिए लोकसभा और विधान सभा में भ्0 प्रतिशत महिलाओं का होना जरुरी है।

निधि शर्मा

समय-समय पर बेटों की काउंसलिंग होती रहनी चाहिए। उन्हें समझाना चाहिए कि युवतियों और महिलाओं से छेड़छाड़ एक कानूनी अपराध है। इसके लिए उन्हें सजा भी हो सकती है। इससे काफी तक महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगी।

आयुषी