-आरटीओ और पुलिस प्रशासन को बेलगाम ऑटो संचालकों पर कसनी चाहिए नकेल

>BAREILLY: प्रशासन और पुलिस के ढुलमुल रवैया के कारण बरेली में महिलाएं अनेसफ फील करती हैं। महिलाओं की मुसीबत उस वक्त और बढ़ जाती है, जब उन्हें देर रात में कहीं आना-जाना होता है। कई बार महिलाओं की सेफ्टी खतरे में पड़ जाती है। यही वजह है कि किसी अनहोनी के डर के चलते रात में महिलाएं आजादी के साथ घर से बाहर निकलने से कतराती हैं। वहीं, जेंट्स के साथ भी रात के वक्त लूटपाट की वारदात होती है। इन्हीं परेशानियों को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने नायसिल 'गर्मी लगी क्या' कैंपेन के जरिए शहरवासियों से बातचीत की। 'कनेक्टिविटी प्रॉब्लम फॉर डिफरेंट लोकेशन इन लेट आवर्स' पर शहरवासियों ने प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली।

मंडे को संजय नगर स्थित क्रिएथिक्स पब्लिक स्कूल में सुबह 10.30 बजे कैंपेन की शुरुआत में स्कूल के डायरेक्टर जनरल डॉ। आरके शर्मा ने कहा कि पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के चलते अपराधी किस्म के लोग वाहन चलाते हैं। वाहन में जब सवारी बैठ जाती है, तो वे शॉर्ट कट होने का बहाना कर गलत रास्ते पर ले जाते हैं, जहां वे महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और जेंट्स के साथ लूटपाट की वारदात को अंजाम देते हैं। अरविन्दर कौर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वाहनों में मीटर नहीं होता है, जिस कारण ड्राइवर मनचाहा किराया सवारियों से वसूलते हैं। नंदनी गुप्ता ने कहा कि जब भी कोई ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर रुकती है, तो वाहन चालक जंक्शन के अंदर तक घुस आते हैं। सवारियों के साथ खींचतान करते हैं, जिसमें कई बार सवारियां घायल हो जाती हैं। कंचन पिपलानी ने कहा कि वाहनों के पीछे पुलिस प्रशासन या आरटीओ के नंबर नहीं लिखा होता है। इस कारण घटनाएं होने पर सवारियां शिकायतें दर्ज कराने के लिए इधर-उधर भटकती रहती हैं। साधना शर्मा कहती हैं कि वाहनों में जीपीएस नहीं होता है। इस कारण वाहन चालक सवारी को किस रूट पर ले जा रहा है, इसकी उसे जानकारी नहीं होती है। अदिति ने कहा शासन-प्रशासन को एक ऐसा एप बनवाना चाहिए, जिस पर सवारी घर बैठे वाहन बुक कर सके। इससे सवारी सुरक्षित रहेगी। इसके अलावा रश्मि गंगवार, सुमित स्वामी ने प्रशासन को कोसा।

प्रशासन हो सख्त

इसके बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मॉडल टाउन स्थित बचपन प्ले स्कूल की ओर रुख किया। यहां प्रीति शर्मा ने कहा कि देखने में आता है कि ऑटो व दूसरे वाहनों के ड्राइवर बिना डीएल के वाहन चलाते हैं, उनकी कोई पहचान नहीं होती। फिर यही वारदातों का सबब भी बनते हैं।

गुरदीप सिंह ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन, पुलिस प्रशासन और आरटीओ के अधिकारियों को समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाते रहना चाहिए, जो ड्राइवर बगैर यूनिफार्म और डीएल के मिले। उसके वाहन को तत्काल सीज कर देना चाहिए। ऐसे, वाहन मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो ऐसे ड्राइवर को वाहन दे देते हैं, जिनके पास डीएल नहीं होता है। सुरजीत सिंह ने कहा कि ड्राइवर्स के पुलिस वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट को लेकर भी बड़ी लापरवाही बरती जा रही है, जिसके चलते अपराधी किस्म के लोग भी ड्राइविंग करते हैं और फिर छेड़छाड़ और लूटपाट जैसी वारदात करते हैं.वाहनों में जीपीएस या सीसीटीवी कैमरे नहीं लग पाए हैं।

रेडियो टैक्सी को िमले बढ़ावा

'गर्मी लगी क्या' का तीसरा और आखिरी पड़ाव डोहरा रोड स्थित ओम सांई सप्लायर रहा। यहां पर दुकानदारों ने देर रात में कहीं भी आने-जाने की समस्या के लिए आरटीओ प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। संजीव शर्मा ने कहा कि अधिकारी लापरवाही के चलते रेडियो टैक्सी को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं, जबकि रात में आने-जाने के लिए सबसे सुरक्षित तरीका रेडियो टैक्सी है। आशु खान ने कहा कि चढ़ावे में लालच में आरटीओ विभाग के अधिकारी अनधिकृत वाहनों को बढ़ावा दे रहे हैं। वाहन चालक सवारियों को मिस गाइड कर गलत रूट पर ले जाते हैं। जहां छेड़छाड़ और लूट की वारदात को अंजाम देते हैं।

वर्जन

प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा सवारियों को भुगतना पड़ रहा है। वे लूटपाट और छेड़छाड़ की घटना के शिकार हो रहे हैं। वहीं, आरटीओ विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं।

अदिति

आरटीओ के अधिकारियों को रात के वक्त बस स्टैंड और जंक्शन के आसपास चेकिंग अभियान चलाना चाहिए। इस दौरान जो भी ड्राइवर मानक पूरा नहीं कर हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

लवलेश दत्त

रेडियो टैक्सी देर रात में आने जाने का सबसे सुरक्षित साधन है। इसके चालक की सभी जानकारी सवारी के पास होती है। कोई अप्रिय घटना होने पर उसे आसानी से पकड़ा जा सकता है।

हरप्रीत

देर-रात में आने-जाने के लिए शहरवासियों के पास कोई सुरक्षित साधन नहीं है। मजबूरी में उसे ऑटो या रिक्शा का सहारा लेना पड़ता है, जो काफी जोखिम भरा होता है।

त्रिजित पटेल

अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सवारियों के यात्रा के सुरक्षित साधन मुहैया कराना चाहिए। ताकि वे देर रात में भी बेझिझक कहीं आ-जा सके। खासतौर पर महिलाएं।

नेहा