बरेली में एड्स पीडि़त 41 महिलाओं से शिशुओं को नहीं हुई बीमारी
30 एड्स पीडि़ताएं पहली बार बनी एड्स से सुरक्षित नवजात की मां
BAREILLY:
मां बनना नारी की जिंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा होता है। यह अहसास दुनिया की किसी भी मां में फर्क नहीं करता। फिर चाहे वह एक स्वस्थ व सामान्य जीवन जी रही महिला हो या फिर अपने साथी से भरोसे के बदले मिली लाइलाज बीमारी एड्स से जूझती कोई पीडि़ता, लेकिन एड्स की स्याह परछाई यदि कोख में पड़ जाए तो होने वाले शिशु को लेकर यही ममता खिलखिलाने की बजाय दम तोड़ दे। बरेली मंडल इस मामले में एक ऐसी नजीर बनकर उभरा है, जहां एड्स का दंश चाहकर भी किसी मां की कोख को छू तक न सका है। पिछले 4 साल के दौरान 41 एड्स पीडि़त प्रसूताएं मां बनी, लेकिन बरेली एआरटी सेंटर में बेहतर इलाज व देखभाल से एक भी प्रसूता के गर्भ तक एचआईवी न पहुंच सका और डिलीवरी में सभी के शिशु एड्स से पूरी तरह सुरि1क्षत रहे।
'सुरक्षा' में 30 कोख
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल स्थित एआरटी सेंटर में बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत व बदायूं की 75 एड्स पीडि़त प्रसूताएं जनवरी 2013 से इलाज करा रही हैं। इनमें से 41 की डिलीवरी हो चुकी है। पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइल एक्सिस थेरेपी और इलाज में सावधानी बरतने से इनमें से एक भी प्रसूता के शिशु को यह बीमारी छू तक न सकी। इनमें 30 ऐसी प्रसूताएं रही, जिन्होंने पहली बार मां बनने का अहसास पाया, वह भी शिशु की सलामती के साथ। जबकि 30 अन्य प्रसूताएं अपने गर्भकाल में हैं, जिनके इलाज में खास एहतियात बरता जा रहा है। जिससे उनकी कोख भी एड्स की काली परछाई से दूर रहे। वहीं 5 प्रसूताओं का इलाज के दौरान मिसकैरिज व अबॉर्शन हो गया था।
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बरेली में एड्स पीडि़त
कुल एड्स मरीज - 1702
पुरुष मरीज - 1152
महिला मरीज - 544
ट्रांसजेंडर्स - 6
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प्रसूताओं की स्थिति
एड्स पीडि़त कुल प्रसूताएं - 75
18-38 एजग्रुप की प्रसूताएं - 51
एड्स से सुरक्षित डिलीवरी - 41
मिसकैरिज व अबॉर्शन - 05
पहली बार हुई डिलीवरी - 30
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पिछले 4 साल के दौरान बरेली में एक भी मामला ऐसा नहीं आया, जिसमें एड्स पीडि़त मां से बच्चे को गर्भ में ही यह बीमारी हुई हो। सभी 41 केसेज पूरी तरह एड्स से सुरक्षित हैं। - मनोज वर्मा, एआरटी बरेली