-हर साल गायब होते 30 से 40 लोग
-युवतियों, महिलाओं की तादाद ज्यादा
GORAKHPUR: जिले में तीन साल के भीतर करीब दो सौ लोग लापता हो गए। गायब होने वालों में किशोरियों और युवतियों की तादाद ज्यादा है। इनकी गुमशुदगी विभिन्न थानों में दर्ज कराई गई है। यह अभी तक घर लौटकर नहीं आ सके। कई मामलों में परिजन भी गुमशुदगी नहीं दर्ज कराते। जबकि, अधिकांश केसेज में गुमशुदा के फैमिली मेंबर्स किसी के खिलाफ अपहरण की आशंका जताते हुए एफआईआर कराते हैं। ऐसे में यदि उन मामलों को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो तादाद काफी बढ़ जाएगी।
एसएसपी का कहना है कि गुमशुदा व्यक्तियों की तलाश कराई जाती है। बकायदा पोस्टर लगाकर इसकी सूचना जारी की जाती है। सोशल मीडिया के जरिए भी जानकारी देकर पब्लिक से हेल्प मांगी जाती है। सोशल मीडिया की मदद से कई बार गुमशुदा तक पहुंचने में कामयाबी मिली है।
डाटा मेंटेन करने में जुटी गोरखपुर पुलिस
मिसिंग परसन के बारे में पूरी जानकारी पुलिस जुटाती है। डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो से लेकर नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो तक इसे अपलोड किया जाता है। यूपी पुलिस की वेबसाइट पर भी इसके बारे में सूचना अपडेट होती है। परिजनों की सूचना पर पुलिस इसका रिकार्ड मेंटेन कर सभी जगहों पर जानकारी उपलब्ध कराती है। ऐसे में गुमशुदा की तलाश में पुलिस को मदद मिलती है। परिजनों को भी किसी के बारे में पता लगाने में आसानी होती है। तीन साल के भीतर कई लोग लापता हो गए हैं। उनमें से कुछ के बारे में कोई जानकारी पुलिस के पास मौजूद नहीं है। इसलिए ऐसे लोगों की खोजबीन के लिए नए साल में पुलिस अपने रिकार्ड दुरुस्त कर रही है। ताकि ताजा रिपोर्ट तैयार हो सके।
त्रिनेत्र एप से मिलान, कराते चेहरे पहचान
कई बार ऐसा होता है कि घर से भागकर या अन्य किन्हीं कारणों से गायब युवतियां, महिलाएं, बच्चे, अधेड़ या सीनियर सिटीजन दूसरी जगहों पर पहुंच जाते हैं। इस हाल में उनके साथ किसी तरह के अनहोनी की आशंका रहती है। इसलिए हर तरह का डाटा पुलिस के त्रिनेत्र एप पर अपलोड किया जाता है। इसका फायदा यह है कि कहीं पर किसी अज्ञात की डेडबॉडी मिलने पर गुमशुदा व्यक्ति से मिलान भी पुलिस करा लेती है। किसी तरह की दुर्घटना के शिकार हुए अज्ञात लोगों के बारे में भी जानकारी अपडेट हो जाती है। इसलिए त्रिनेत्र एप पर हर तरह के रिकार्ड की फीडिंग की जा रही है। एप के जरिए मिसिंग की फोटो का मिलान कराया जाता है। एक चेहरे से मिलते-जुलते चेहरों, कद-काठी सहित किसी प्रकार की मैचिंग होने पर एप जानकारी दे देता है।
शहर के थानों में दजर् गुमशुदगी
थाना महिला पुरुष उम्र
कैंट 01 25
कोतवाली 01 00 60
गोरखनाथ 01 00 20
राजघाट 01 55
गुलरिहा 01 14
खोराबार 03 02 20-22
फैक्ट फीगर
तीन साल के भीतर लापता हुए लोग- 200
2019 नवंबर माह के अंत तक - 29
हर माह लापता होने वालों की तादाद- 03
वर्ष अन्य अपहरण
2019 347
2018 592
2017 479
यह होती लापरवाही
- सूचना मिलने पर गुमशुदा लोगों की तलाश की बात पुलिस करती है।
- गायब लोगों के परिजन फोटो लेकर थानों के चक्कर लगाते रहते हैं।
- थानों से जारी फोटो को अपलोड करके डाटा मेंटेन करने में प्राब्लम होती है।
- लापरवाही की वजह से कई बार परिजनों को गुमशुदा की जानकारी नहीं मिलती।
- पोस्टर चस्पा जारी करने और सूचनाएं प्रकाशित करने में काफी विलंब हो जाता है।
- कई बार गुमशुदगी के मामलों में किसी पर अपहरण का संदेह जताया जाता है।
वर्जन
किसी भी गुमशुदा के संबंध में सूचना का प्रकाशन कराया जाता है। सोशल मीडिया के जरिए भी पुलिस उनकी तलाश करती है। ऑनलाइन डाटा फीडिंग कराने के अलावा अन्य माध्यमों से भी सूचनाएं सभी जगहों पर भेजी जाती है। पुलिस के प्रयास से कई गुमशुदा परिजनों से मिल सके हैं।
-डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी