- फैमिली प्लानिंग मैनुअल्स व दिशा-निर्देश को लेकर ऑर्गनाइज हुई वर्कशॉप

- प्रभारी चिकित्साधिकारियों, एचईओ, एआरओ, बीसीपीएम, बीपीएम को दी गईं अहम जानकारियां

GORAKHPUR: सीएमओ ऑफिस के प्रेरणा श्री सभागार में बुधवार को एक दिवसीय वर्कशॉप ऑर्गनाइज की गई। स्वास्थ्य विभाग ने उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के सहयोग से ऑर्गनाइज इस वर्कशॉप में फैमिली प्लानिंग मैनुअल्स एवं दिशा-निर्देश संबंधी दिशा निर्देश दिए गए। वर्कशॉप की अध्यक्षता सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी ने की। अपने संबोधन में सीएमओ ने कहा कि नसबंदी के लिए निर्धारित सेवा दिवस (एफडीएस) पर टीम भावना से काम होना चाहिए। वर्कशॉप में जनपद के सभी प्रभारी चिकित्साधिकारियों, एचईओ, एआरओ, बीपीएम और बीसीपीएम को फैमिली प्लानिंग से जुड़े सभी पहलुओं पर समुदाय हित की अहम जानकारियां दी गईं।

पांचों पटल पर मेनटेन करें क्वालिटी

सीएमओ ने कहा कि निर्धारित सेवा दिवस पर प्रभारी चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह सभी तैयारियां पूरी रखें और खुद पंजीकरण, परामर्श, क्लाइंट प्वॉइंट आउट, पैथोलॉजी टेस्ट और पेमेंट से संबंधित पांचों पटल की क्वालिटी को मेनटेन रखें। उन्होंने कहा कि एफडीएस पर सर्जन के अलावा एक एमबीबीएस चिकित्सक की उपलब्धता अवश्य होनी चाहिए। एफडीएस के दिन एलीवेशन के लिए अलग से स्टाफ दिया जाए। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी आरसीएच डॉ। नंद कुमार ने अपनी बातें रखीं। जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद और जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी केएन बरनवाल ने भी वर्कशॉप को संबोधित किया। इस अवसर पर उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी सुनीता पटेल, सर्जन डॉ। धनंजय चौधरी, डॉ। अवधेश, प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ। अश्वनी चौरसिया, डॉ। संतोष वर्मा, डॉ। धनंजय कुशवाहा, बीसीपीएम विकास प्रमुख तौर से मौजूद रहे।

इन बातों का रखें ध्यान

- नसबंदी के लाभार्थी का चिन्हीकरण करते समय सुनिश्चित कर लिया जाए कि वह गर्भवती न हो।

- पीरियड्स से सात दिन के भीतर की समयावधि हो।

- उम्र कम से कम 22 साल या अधिकतम 49 साल हो।

- दम्पत्ति में से किसी की नसबंदी न हुई हो

- मानसिक तौर पर स्वस्थ हो या उसका लीगल गार्जियन मौजूद रहे।

- लाभार्थी का पहला बच्चा कम से कम 12 माह की उम्र पूरी कर चुका हो।

- उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण सेवा के लिए आवश्यक है कि एफडीएस के दिन पांच अलग-अलग काउंटर काम करें।

इन प्वॉइंट्स पर डिस्कशन

- पोस्टपार्टम (प्रसव के तुरंत बाद) फैमिली प्लानिंग से समुदाय को जोड़ कर तीन में से एक मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है।

- आईयूसीडी मासिक धर्म से 12 दिन के भीतर, जबकि नसबंदी सात दिन के भीतर करना उचित है।

- आईयूसीडी में फॉलो अप अवश्य किया जाए। पहला फॉलो शुरू के तीन माह में प्रत्येक माह और उसके बाद हर तीन-तीन महीने पर होना चाहिए।

- नसबंदी में लाभार्थी का पारिवारिक इतिहास व क्लिनिकल हिस्ट्री जानना बेहद अहम है, इसके बाद ही सर्जरी की जाए।