गोरखपुर (ब्यूरो)। बांस-बल्ली के खंभें हटाकर सीमेंट के खंभें व एबीसी लगाए जाएंगे। ऊर्जा निगम के चेयरमैन के निर्देश पर जोन के सभी छह वितरण मंडलों के अभियंता 100 किमी के दायरे में लगे बांस-बल्ली के खंभों को बदलने की कार्ययोजना बनाने में जुटे है।

चेयरमैन ने प्रस्ताव मांगा

दरअसल, जोन के देवरिया, कुशीनगर, महारागंज व गोरखपुर जनपद के मुख्य शहर के बाहरी व नवविकसित मोहल्लों में बिजली वितरण नेटवर्क का विस्तार नहीं होने के कारण लोगों ने लंबी दूरी के कनेक्शन जुगाड़ से करा लिए है। बांस-बल्ली के सहारे केबल लगाकर बिजली इस्तेमाल कर रहे हैं। आए दिन केबल टूटने से इन सभी को बिजली कटौती झेलनी पड़ती है। ये लोग समय-समय पर बिजली निगम से खंभा व तार लगाने की मांग भी करते है। लेकिन बजट के अभाव में उनकी मांगों पर विचार नहीं हो पाता है। अब केंद्र सरकार की रिवैम्पड योजना के तहत चेयरमैन ने जोन के मुख्य अभियंता से सभी वितरण मंडलों से 100-100 किमी का प्रस्ताव मांगा है।

कराया जा रहा सर्वे

अभियंताओं का कहना है कि बांस-बल्ली के माध्यम से बिजली इस्तेमाल कर रहे कंज्यूमर्स नेटवर्क विस्तार से जोडऩे के लिए सर्वे कराया जा रहा है। सभी वितरण मंडलों को अपने खंडों में बांस-बल्ली वाले मोहल्लों को चिन्हित कर एस्टीमेट तैयार करना है। मसलन, गोरखपुर जनपद के तीन वितरण मंडलों के सभी खंडों में बांस-बल्ली के खंभों से करीब 20 हजार परिवार बिजली इस्तेमाल करते हैं। ये सभी शहर के बाहरी क्षेत्रों के नवविकसित मोहल्लों के हैं। इन सभी को बिजली वितरण नेटवर्क से जोडऩे के लिए सर्वे कराया जा रहा है।

चेयरमैन के निर्देश पर जोन के सभी वितरण मंडल अपने-अपने क्षेत्र में 100 किमी के दायरे में बांस-बल्ली के खंभों को बदलने व नेटवर्क विस्तार से जोडऩे के लिए सर्वे कर एस्टीमेट तैयार कर रहे हंै। वितरण मंडलों की ओर से एस्टीमेट भेजने के बाद रिवैम्प्ड योजना के तहत स्वीकृति मिलेगी। इसके बाद काम शुरु कराया जाएगा।

ई। आशु कालिया, चीफ इंजीनियर