गोरखपुर (ब्यूरो).नेत्र रोग विशेषज्ञ, आर्थो, बाल रोग विशेषज्ञ, मेडिसिन विशेषज्ञ के अलावा फर्मासिस्ट और हेल्थ एंप्लाइज की भी डयूटी शिफ्टवार लगाई गई हैं। इसके अलावा डॉक्टर्स को निर्देश दिए गए है कि वह कैंपस को छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे।

धमाकों की तेज आवाज से कान में दर्द, सुन्न होना, अस्थाई बहरापन की शिकायत आ सकती है। 90 डेसीबल तक सुनने की आदर्श स्थित है। 132 से 150 डेसीबल तक सुन्न होना और 200 डेसीबल से अधिक पर कान का पर्दा फट सकता है। जरूरी है कि बच्चों के कान में रुई लगाकर पटाखे चलवाएं।

डॉ। आदित्य पाठक, ईएनटी बीआरडी

पटाखे चलाने से अंगुली जलना, हाथ-पैर जलने के ज्यादा मामले आते हैं। ऐसे में घर में बीटाडिन जरूर रखें और घाव को ठंडे पानी से धोकर लगाएं।

डॉ। नवीन कुमार वर्मा, स्कीन जिला अस्पताल

आंखों से पानी बहना, लाल होना, करकराहट की दिक्कत सबसे ज्यादा रहती है। इसलिए पटाखा जलाने से पहले आप सावधान रहें। अगर बच्चे पटाखा जला रहे हैं तो अभिभावक साथ रहे। प्राथमिक उपचार में आंखों को साफ पानी से घोएं और डॉक्टर के परामर्श से ड्राप डालें, जख्म या कार्निया चोटिल होने पर तत्काल विशेषज्ञ को दिखाएं।

डॉ। कमलेश शर्मा, नेत्र रोग विशेषज्ञ

झुलसने पर यह करें

- जल जाने पर घाव को ठंडे पानी से धोएं।

- घाव पर सेवलॉन, डेटॉल कतई न लगाएं।

- घाव पर बीटाडिन लगाएं, डॉक्टर को दिखाएं।

- आंख में बारुद जाने पर साफ पानी से धोएं।

- डॉक्टर के परामर्श पर आई ड्राप डाल सकते हैं।

- तेज आवाज के पटाखे चलाने से बचें।

- आंखों पर चश्मा लगाकर पटाखे चलाएं।

- लकड़ी में मोमबत्ती बांधकर पटाखे को आग लगाएं।

दिवाली में किसी अनहोनी से निपटने के लिए तैयारियां पूरी हैं। साथ ही डॉक्टर्स और हेल्थ एंप्लाइज की ड्यूटी लगा दी गई है। इसके अलावा जीवन रक्षक दवाइयां भी उपलब्ध करा दी गई हैं। साथ ही इमरजेंसी से भी निपटने का प्रबंध किया गया है।

डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी जिला अस्पताल