- इमामबाड़ा मस्जिद बड़े काजीपुर में हुआ बज्म-ए-ख्वातीन जलसा

GORAKHPUR: इमामबाड़ा मस्जिद बड़े काजीपुर के निकट महिलाओं का बज्म-ए-ख्वातीन जलसा बुधवार को हुआ। सदारत करते हुए मुफ्तिया ताबिंदा खानम अमजदी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम अमल से पहले ज्ञान प्राप्त करने का आदेश देता है। पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इरशाद है इल्म का सीखना हर मुसलमान पर फर्ज है। कुरआन में वह आयतें जो दिमाग, इल्म और सोचने व समझने से संबंधित हैं। कुरआन-ए-पाक में विभिन्न स्थानों पर अल्लाह ने इल्म की इंपॉर्टेस को साफ किया है। यह इल्म ही है, जिसे हासिल करने के लिए एक व्यक्ति जब निकलता है, तो उसके लिए स्वर्ग का पथ सरल कर दिया जाता है, फरिश्ते उसके रास्ते में अपना पर बिछाते हैं, तालिबे इल्म के लिए धरती और आकाश की प्रत्येक वस्तुएं दुआ करती हैं।

इतिहास में नहीं कोई उदाहरण

मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया खानम ने कहा कि इस्लामी विद्वानों ने इल्म सीखने और इसके हासिल करने के लिए अपनी पूरी कोशिशें सर्फ कर दीं। इस्लामी विद्वानों ने जिस प्रकार इस रास्ते में परिश्रम किया दुनिया के इतिहास में इसका कोई उदाहरण नहीं मिलता। हमें उन विद्वानों के नक्शेकदम पर चलकर इल्म हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए.विशिष्ट वक्ता आलिमा नाजिश फातिमा शम्सी ने कहा कि आज युवा इंटरनेट पर अपना बहुमूल्य समय नष्ट कर देते हैं, कितने दुनिया कमाने में अपना पूरा समय लगाते हैं, कितने मनोरंजन में अपना बहुत सारा समय बर्बाद करते हैं, लेकिन जब इल्म सीखने की बारी आती है तो कहते हैं कि हमारे पास समय नहीं।

इल्म सीखने के लिए निकालें वक्त

विदित है कि ऐसे लोग ज्ञान में वृद्धि नहीं ला सकते, हर व्यक्ति को इल्म सीखने के लिए दिन या रात में कुछ घंटे जरूर निकालना चाहिए। इल्म हासिल करने के लिए धैर्य और सहनशीलता से काम लेना होगा, दिल को मनाना होगा, इच्छाओं को मारना होगा। आखिर में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली, तरक्की व अमन की दुआ की गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में आलिमा शमीना जबीं, आलिमा शोएबा अनीस, शबीना खातून, हदीसुननिशा, तरन्नुम फातिमा, संजीदा खातून आदि मौजूद रहीं।