गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर यूनिवर्सिटी का इनोवेशन सेल गोरखपुर ही नहीं आसपास के लोगों के लिए वरदान बना है। यहां शुरू किया गया इनोवेशन सेल, उन्हें अपने पैरों में खड़ा

करने के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म साबित होगा। इसको देखते हुए यूनिवर्सिटी में अप्लीकेशन की भरमार लगने लगी है। अब तक 120 से ज्यादा कैंडिडेट्स ने इसको लेकर इंटरेस्ट

दिखाया है। यूनिवर्सिटी में एफपीओ और स्टार्ट अप लगाने के लिए इच्छुक लोग ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। चयनित कंपनी मीटिंग, लेक्चरर्स के साथ यूनिवर्सिटी के ट्रेनिंग रूम

का इस्तेमाल कर सकेगी।
पहले देना होगा प्रेजेंटेशन
कोऑर्डिनेटर प्रो। दिव्या रानी सिंह ने बताया, एफपीओ और स्टार्टअप लगाने के लिए इच्छुक लोगों के अब तक 120 अप्लीकेशन आए हैं। इनको जल्द बुलाकर प्रेजेंटेशन देखा जाएगा,

जो भी यूनिवर्सिटी के मानकों पर खरा उतरेगा, उससे टाईअप कर यूनिवर्सिटी के साथ काम करने का मौका मिलेगा। इस व्यवस्था के बारे में मंथ में दो से तीन बार शासन को भी

अपडेट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस सेंटर के जरिए कैंडिडेट्स अपने आइडिया को इन्क्यूबेट कर सकेंगे। अगर कोई व्यक्ति एक सीट भी चाहता है तो उसे उपलब्ध कराई

जाएगी। वो यूनिवर्सिटी के सेंटर के भवन, इंटरनेट, फर्नीचर, लेक्चरर हॉल, सेमिनार रूम का इस्तेमाल कर सकेंगे।
ये एक्सपर्ट करेंगे मार्गदर्शन
स्टार्टअप और एफपीओ की स्थापना में प्राथमिकता एग्रीकल्चर और आईटी सेक्टर को दी जाएगी। डॉ। पंजाब सिंह, डॉ। रामचेत चौधरी, डॉ। कीर्ति सिंह, आईआईएम लखनऊ से प्रो

सुशील कुमार, एनआईआईटी जयपुर के डॉ। संजय गौर, प्रो। नरेश त्रिखा सरीखे एक्सपर्ट एफपीओ और स्टार्टअप लगाने वाले लोगों का ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में मार्गदर्शन

करेंगे।
कौन कर सकता है आवेदन?
- कोई भी स्टूडेंट जो स्टार्टअप लगाने का इच्छुक हो, उसके पास आइडिया हो।
- ऐसा शख्स जिसने कंपनी नहीं बनाई और वो कंपनी बनाना चाह रहा है।
- ऐसे व्यक्ति जिसकी कंपनी पंजीकृत है, मगर संसाधनों के अभाव में वो उसका संचालन नहीं कर पा रहे हैं।
इन पर है जिम्मेदारी
- डीडीयू के वीसी प्रो। राजेश सिंह की अध्यक्षता गवर्नमेंट ने तीन लोगों की कमेटी बनाई है। इस कमेटी में जल्द सीईओ नियुक्त किया जाएगा।
- सेल में चार लोगों को शामिल किया गया है। जिनमें प्रो। दिव्या रानी को एग्रो बेस्ड स्टार्टअप के मार्गदर्शन का जिम्मा सौंपा गया है।
- सदस्य प्रो। राजीव प्रभाकर और डॉ। मनीष श्रीवास्तव जबकि वेस्ट मैनेजमेंट पर स्टार्टअप शुरू करने वाले स्टूडेंट्स की मदद डॉ। स्मृति मल्ल करेंगी।
- यह एक्सपट्र्स कंपनी स्थापित करने से लेकर बिजनेस को आगे बढ़ाने तक में स्टूडेंट्स की मदद करेंगे।
- स्टार्टअप शुरू करने वाले स्टूडेंट्स को पुराने एंटरप्रेन्योर से मार्गदर्शन दिलाने की व्यवस्था भी यूनिवर्सिटी करेगा।
20 से 30 लोगों को होगा चयन
पूर्वांचल इन्क्यूबेशन काउंसिल एंड इनोवेशन के तहत पहली बार की प्रजेंटेशन प्रोसेस फरवरी लास्ट तक कंप्लीट कर ली जाएगी। आवेदन किए गए 120 लोगों में से यूनिवर्सिटी पहली

बार में अधिकतम 30 लोगों का सेलेक्शन किया जाएगा, जिनमे दस से पंद्रह स्टार्टअप के लिए और दस से पंद्रह एफपीओ के लिए चुनाव होगा।
वर्कशॉप में दिखाएंगे सफल होने की राह
स्टार्टअप के लिए लोगों का चयन उनकी योजना की सार्थकता पर किया जाएगा। चयनित कैंडिडेंट्स को अपनी योजना की खूबी और कमी का पता चल सके, इसके लिए यूनिवर्सिटी के

ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर की ओर से वर्कशॉप ऑर्गनाइज की जाएगी। वर्कशॉप से ऐसे विषय विशेषज्ञों और सफल उद्यमियों को जोड़ा जाएगा, जो चयनित लोगों को स्टार्टअप से

सफलता की राह दिखा सकें।
24 जनवरी को हुई मीटिंग
24 जनवरी को हुई उच्च शिक्षा विभाग की वर्चुअल मीटिंग में 10 बिंदुओं पर चर्चा हुई। प्रदेशभर की यूनिवर्सिटीज के वीसी, रजिस्ट्रार और फाइनेंस कंट्रोलर की मौजूदगी में निर्णय

लिया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020, सेंटर फॉर एक्सीलेंस, इंक्यूबेटर्स की स्थापना की प्रगति और फंड मैनेजमेंट के प्वाइंट्स पर वीसी प्रो। राजेश कुमार अपनी रिपोर्ट

सब्मिट करेंगे और उसकी स्टडी के बाद उसे प्रदेश भर की यूनिवर्सिटी में लागू किया जाएगा।
वर्जन
स्टार्टअप के लिए बेस्ट इंक्यूबेशन सेंटर पर हमारा फोकस है। सेंटर के अंदर एक सीओ, कोआर्डिनेटर, वित्त अधिकारी एवं ऑफिस सेक्रेट्री होंगे। स्टूडेंट्स को धन के लिए मदद कराने में

नाबार्ड को सेंटर से जोड़ा जाएगा। फिलहाल सभी काम ऑनलाइन किया जा रहा है।
- प्रो। राजेश सिंह, वीसी डीडीयूजीयू