गोरखपुर (ब्यूरो)। इस अवसर पर कायस्थ समाज के लोगों ने अपने घरों, दफ्तरों और प्रतिष्ठानों पर भी भगवान चित्रगुप्त की पूजा की। कलम व दावात से कागज पर भगवान श्रीराम का नाम लिखकर लोगों ने भगवान चित्रगुप्त को अर्पित कर आज के दिन के लिए कलम त्यागा।

बहनों ने सुनी भैयादूज की कथा

इसके साथ ही भाई-बहन के अटूट प्रेम का फेस्टिव भैयादूज परंपरागत तरीके से मनाया गया। बहनों ने पूरे विधि-विधान से अपने भइयों के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र के साथ ही समृद्धि की कामना की। मुहूर्त के अनुसार बहनों ने पूजन की थाल सजाकर भैयादूज की कथा सुनी। थाल में रखी रोली से भाई के माथे पर टीका लगाकर उन्हें मिठाई खिलाई। इसके बाद उनकी लंबी उम्र के साथ ही समृद्धि की कामना की। इसके पूर्व बहनों की टोली शहर के मंदिरों में दर्शन-पूजन को उमड़ी रही। शहर के विभिन्न इलाकों में सुबह से ही दर्शन-पूजन के लिए भीड़ उमड़ी रही।

यम और चित्रगुप्त महराज के लिए की गई पूजा

मृत्यु के देवता यम और कलम के आराध्य चित्रगुप्त महराज को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को विशेष पूजा की गई। इस दिन भाई का बहन के घर या उसके हाथों भोजन करने और स्वेच्छा से बहन को उपहार देने का बड़ा महात्म्य है। यमुना (नदी) को यमराज की बहन कही जाती हैं इसीलिए कार्तिक शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि शनिवार के दिन भाई-बहन के यमुना में स्नान और पूजन से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।