गोरखपुर (ब्यूरो).सुबह करीब 11.45 बजे मंत्री समूह जिला अस्पताल पहुंचा। सबसे पहले वह ओपीडी के कमरा नंबर 32 में गए। यह आर्थोपेडिक विभाग का कमरा है। कमरे की हालत देखकर मंत्री समूह भड़क गए। कमरे में सीलन थी। खिड़कियों की जाली टूटी थीं। साफ सफाई नहीं थी। इस दौरान वहां मौजूद एक पेशेंट के हाथ में पर्ची देखकर कैबिनेट मंत्री चौंक गए। उन्होंने पूछा तो पेशेंट ने बताया कि बाहर से दवा खरीदना है। इसके बाद तो मंत्री भड़क गए। उन्होंने एसआईसी डॉ। राजेंद्र ठाकुर और संबंधित डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने बताया कि पेशेंट को जन औषधि केंद्र की दवा लिखी गई है। इसके बाद मंत्री समूह जनरल सर्जरी और मेडिसिन की ओपीडी कक्ष में गए। वहां भी डॉक्टर और पेशेंट्स से बात की। अंतिम चरण में मंत्री समूह ने पीडियाट्रिक आईसीयू और पीडियाट्रिक वार्ड का निरीक्षण किया। वहां भर्ती पेशेंट्स और तीमारदारों से बात की। मंत्रियों ने पूछा कि दवाएं मिलती हैं या नहीं, डॉक्टर इलाज के लिए वार्ड में आते हैं या नहीं।

शिकायत करने पहुंचे आउटसोर्सिंग कर्मचारी

इस दौरान आउटसोर्सिंग पर तैनात रहे कुछ कर्मचारियों ने दोबारा नियुक्ति ना मिलने की भी शिकायत की। अस्पताल में चिंटी कंपनी के जरिए तैनात रहे अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि पिछले एसआईसी के कार्यकाल के दौरान आउटसोर्सिंग कंपनी चिंटी के जरिए तैनात हुआ था। उस समय 80 हजार रुपए घूस दी। तीन महीने बाद कंपनी ने निकाल दिया। इस बार आउटसोर्सिंग के लिए नई कंपनी को टेंडर मिला है। उसके दलाल डेढ़ लाख रुपए तक मांग रहे हैं।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने बताई पीड़ा

मंत्री समूह को अस्पताल के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने पत्र देकर पीड़ा बताई। कर्मचारियों ने बताया कि पिछले सात साल से अस्पताल में तैनात हैं। इतना समय बीतने के बावजूद आज तक मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। जबकि इस बीच में चार बार नियोक्ता कंपनी बदल चुकी है। कर्मचारियों को एनएचएम के फंड से मानदेय मिलता है। एनएचएम के कर्मचारियों को हर साल पांच फीसदी मानदेय बढ़ोत्तरी मिलती है। इसी फंड से मानदेय पाने वाले आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को वेतन बढ़ोत्तरी नहीं मिलती। उन्हें वेतन भी समय से नहीं मिलता है।